Benefits Of Clay Pots: मिट्टी के बर्तनों में पकाया और खाया गया भोजन क्यों है सेहत और स्वाद का खजाना

Benefits Of Clay Pots: मिट्टी के बर्तनों में पकाया और खाया गया भोजन क्यों है सेहत और स्वाद का खजाना
भारत की पारंपरिक रसोई संस्कृति में मिट्टी के बर्तनों का उपयोग सदियों पुराना है, लेकिन आधुनिकता की दौड़ में ये कहीं पीछे छूट गए हैं। हालांकि, अब एक बार फिर स्वास्थ्य और पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ने के साथ ही इन बर्तनों की ओर रुझान बढ़ रहा है। मिट्टी के बर्तनों में खाना पकाने और खाने से जुड़े फायदे न सिर्फ वैज्ञानिक हैं, बल्कि आयुर्वेद में भी इन्हें अत्यधिक उपयोगी बताया गया है।
भोजन पकाने का प्राकृतिक तरीका
आयुर्वेद के अनुसार, भोजन को धीरे-धीरे पकाना चाहिए ताकि उसके भीतर मौजूद सभी पोषक तत्व सुरक्षित रहें। मिट्टी के बर्तनों की बनावट और उनकी ऊष्मा सहन करने की प्राकृतिक क्षमता के कारण इनमें पकने वाला भोजन धीमी आंच पर धीरे-धीरे पकता है। इससे भोजन का हर हिस्सा अच्छे से पकता है और उसमें उपस्थित सभी सूक्ष्म पोषक तत्व शरीर को मिलते हैं। ऐसे भोजन का सेवन शरीर को गंभीर बीमारियों से बचाने में सहायक होता है।
स्वास्थ्यवर्धक और किफायती विकल्प
मिट्टी के बर्तन बाकी धातुओं से बने बर्तनों के मुकाबले बेहद सस्ते होते हैं और भारत जैसे देश में आसानी से हर जगह उपलब्ध हैं। ये विभिन्न आकारों और रूपों में बाजार और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर भी मिल जाते हैं। न सिर्फ रसोई बल्कि ये बर्तन घर की सजावट और पारंपरिक सौंदर्य को भी बढ़ाते हैं।
खुशबूदार और जायकेदार भोजन
मिट्टी में पकने वाले खाने की एक खास बात उसकी अनोखी खुशबू और स्वाद होता है। जब मसालों और सब्जियों को मिट्टी के बर्तन में धीमी आंच पर पकाया जाता है, तो उसमें मिट्टी की सौंधी खुशबू शामिल हो जाती है जो खाने के स्वाद को कहीं अधिक बढ़ा देती है। चाहे वह दाल हो, सब्जी हो या मांसाहारी व्यंजन – सबका स्वाद मिट्टी के बर्तनों में दुगुना हो जाता है।
पोषण की दृष्टि से सबसे श्रेष्ठ
मिट्टी के बर्तनों में भोजन पकाने से उसके पोषक तत्व पूरी तरह से सुरक्षित रहते हैं। वैज्ञानिक शोधों और आयुर्वेदिक मतों के अनुसार, एल्यूमीनियम प्रेशर कूकर में पकाया गया भोजन 87 प्रतिशत पोषक तत्वों को नष्ट कर देता है। पीतल और कांसे में यह हानि क्रमशः 7 और 3 प्रतिशत होती है। वहीं केवल मिट्टी के बर्तन ही ऐसे हैं जो 100 प्रतिशत पोषक तत्वों को संरक्षित रखते हैं। इतना ही नहीं, इन बर्तनों में पका भोजन शरीर को 18 प्रकार के आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्व भी प्रदान करता है जो मिट्टी से ही मिलते हैं।
स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने वाले कुकवेयर से बचाव
एल्यूमीनियम के प्रेशर कूकर से बनी भाप में खाना उबलता है, न कि पकता है, जिससे भोजन की मूल संरचना टूट जाती है। इसके लगातार सेवन से शरीर को टी.बी., अस्थमा, मधुमेह और पक्षाघात जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा रहता है। इसके विपरीत, मिट्टी के बर्तनों में पकने वाला खाना सूर्य की किरणों और वायु के संपर्क में रहकर पकता है, जो आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से आदर्श माना गया है।
आधुनिक रसोई में पारंपरिक छाप
कांच और सिरेमिक के बर्तनों की तरह ही मिट्टी के बर्तन अब विभिन्न रंगों, डिजाइनों और कलात्मकता के साथ उपलब्ध हैं। मिट्टी के कुल्हड़ में चाय का आनंद लेना या मटकी में पानी ठंडा करके पीना – ये न केवल स्वाद बढ़ाते हैं, बल्कि डाइनिंग टेबल को एक विशिष्ट भारतीयता और पारंपरिकता भी प्रदान करते हैं।
दूध और दुग्ध उत्पादों के लिए आदर्श
मिट्टी के बर्तन विशेष रूप से दूध और उससे बने उत्पादों के लिए बेहद उपयोगी माने जाते हैं। बंगाल की लोकप्रिय मिठाई मिष्टी दोई हो या दही, ये सब मिट्टी की हांडी में बनाकर घर पर ही तैयार किए जा सकते हैं। मिट्टी के बर्तन में गरम दूध डालने पर उसमें मिट्टी की सोंधी खुशबू घुल जाती है जो दूध को और भी स्वादिष्ट बना देती है।
सही उपयोग से बनें लाभदायक
मिट्टी के बर्तनों में पकाने से जुड़ी एक आम धारणा यह है कि ये जल्दी टूट जाते हैं, लेकिन सच यह है कि यदि इन्हें धीमी आंच पर इस्तेमाल किया जाए तो ये सालों तक चलते हैं। ये माइक्रोवेव में भी उपयोग किए जा सकते हैं। दाल, चावल, सब्जी जैसी दैनिक जरूरतों के व्यंजन मिट्टी के बर्तनों में बड़ी आसानी से पकाए जा सकते हैं। मिट्टी के बर्तन सिर्फ रसोई का एक विकल्प नहीं, बल्कि स्वस्थ जीवनशैली की ओर एक सार्थक कदम हैं। जहां एक ओर ये पर्यावरण के अनुकूल हैं, वहीं दूसरी ओर यह शरीर को संपूर्ण पोषण देने में सहायक हैं। अब समय आ गया है कि हम फिर से अपने पारंपरिक तरीकों की ओर लौटें और मिट्टी से जुड़कर अपने शरीर और प्रकृति – दोनों को स्वस्थ बनाएं।