Dehradun: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के वीर जवानों संग किया संवाद, सैन्य कल्याण को लेकर की बड़ी घोषणाएं

Dehradun: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के वीर जवानों संग किया संवाद, सैन्य कल्याण को लेकर की बड़ी घोषणाएं
देहरादून के गढ़ीकैंट स्थित दून सैनिक इंस्टीट्यूट में आज एक ऐतिहासिक और भावनात्मक कार्यक्रम का आयोजन हुआ, जिसमें उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के वीर सैनिकों के सम्मान में ‘एक संवाद: वीर सैनिकों के साथ’ कार्यक्रम में हिस्सा लिया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने सैनिकों की बहादुरी और बलिदान को नमन करते हुए कई बड़ी घोषणाएं कीं, जो न सिर्फ सेवारत और पूर्व सैनिकों बल्कि उनके परिजनों के कल्याण की दिशा में भी अहम साबित होंगी।
मुख्यमंत्री धामी ने घोषणा की कि राज्य में सेवानिवृत्त सैनिकों की प्रशिक्षण के लिए एक समर्पित सेंटर स्थापित किया जाएगा, जिसकी जिम्मेदारी सैनिक कल्याण विभाग को सौंपी गई है। उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर की सफलता को भारतीय सेना के अद्वितीय शौर्य, साहस, और राष्ट्रभक्ति का प्रतीक बताते हुए कहा कि इस अभियान ने आने वाली पीढ़ियों को एक अमिट प्रेरणा दी है।
उन्होंने याद दिलाया कि 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकवादियों द्वारा निर्दोष पर्यटकों पर किए गए कायरतापूर्ण हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया था। इस बर्बर कृत्य के जवाब में, भारत ने 7 मई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत एक सख्त कार्रवाई की, जिसमें भारतीय सेनाओं ने आतंकियों के 9 ठिकानों को ध्वस्त करते हुए 100 से अधिक आतंकियों का सफाया कर दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत अब आतंकियों को करारा जवाब देने में संकोच नहीं करता — हमारी सेनाएं अब गोली का जवाब गोले से देती हैं।
मुख्यमंत्री धामी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की जमकर प्रशंसा करते हुए कहा कि यह कार्रवाई उनके दृढ़ नेतृत्व और स्पष्ट नीति का ही परिणाम है। उन्होंने बताया कि अब सेना को अत्याधुनिक हथियारों और तकनीक से लैस किया जा रहा है और भारत रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में मजबूती से आगे बढ़ रहा है।
उन्होंने यह भी कहा कि पहलगाम आतंकी हमले के तुरंत बाद केंद्र सरकार ने सिंधु जल संधि को रद्द कर दिया और पाकिस्तान के साथ सभी व्यापारिक रास्तों को बंद कर दिया गया, क्योंकि “ट्रेड और टेरर एक साथ नहीं चल सकते।”
कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने सैनिकों और उनके परिवारों के लिए राज्य सरकार की कई कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि शहीदों के परिजनों को मिलने वाली अनुग्रह राशि ₹10 लाख से बढ़ाकर ₹50 लाख कर दी गई है। साथ ही परमवीर चक्र, अशोक चक्र, वीर चक्र और अन्य वीरता पुरस्कार प्राप्त सैनिकों को मिलने वाली एकमुश्त राशि और वार्षिकी में भी वृद्धि की गई है।
इसके अलावा, बलिदान देने वाले सैनिकों के परिवारों को राज्य सरकार की नौकरी में समायोजित करने की अवधि को 2 साल से बढ़ाकर 5 साल कर दिया गया है। वीरता पुरस्कार प्राप्त सैनिकों और पूर्व सैनिकों को सरकारी बसों में मुफ्त यात्रा की सुविधा भी दी गई है, और राज्य में सेवारत एवं सेवानिवृत्त सैनिकों के लिए ₹25 लाख तक की संपत्ति खरीद पर स्टाम्प ड्यूटी में 25% की छूट प्रदान की जा रही है।
मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि देहरादून के गुनियाल गांव में प्रदेश के शहीदों की स्मृति में एक भव्य सैन्य धाम का निर्माण किया जा रहा है, जो राज्य के वीर जवानों की गौरवगाथा का प्रतीक बनेगा।
इस मौके पर उत्तराखंड के सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी, सचिव सैनिक कल्याण दीपेन्द्र चौधरी, स्टेशन कमांडर आर.एस. थापा, निदेशक सैनिक कल्याण ब्रिगेडियर (से.नि.) अमृत लाल, उपनल के एमडी ब्रिगेडियर (से.नि.) जे.एन.एस. बिष्ट सहित भारतीय सेना, वायुसेना और नौसेना के उच्च अधिकारी और अनेक पूर्व सैनिक संगठन के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।
कार्यक्रम के माध्यम से न केवल सैनिकों की बहादुरी को सम्मानित किया गया, बल्कि यह संदेश भी दिया गया कि उत्तराखंड सरकार उनके कल्याण को लेकर पूर्णतः प्रतिबद्ध है।