Uttarakhand: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने किया हिंदी पत्रकारिता दिवस पर स्मारिका ‘गुलदस्ता’ का विमोचन, पत्रकारिता को बताया लोकतंत्र का मजबूत स्तंभ

Uttarakhand: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने किया हिंदी पत्रकारिता दिवस पर स्मारिका ‘गुलदस्ता’ का विमोचन, पत्रकारिता को बताया लोकतंत्र का मजबूत स्तंभ
मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने मुख्यमंत्री आवास में आयोजित एक गरिमामयी समारोह में हिंदी पत्रकारिता दिवस के अवसर पर उत्तरांचल प्रेस क्लब द्वारा प्रकाशित स्मारिका ‘गुलदस्ता’ का विमोचन किया। इस अवसर पर उत्तराखंड के विभिन्न क्षेत्रों से आए वरिष्ठ पत्रकारों की गरिमामयी उपस्थिति रही। मुख्यमंत्री ने सभी पत्रकारों और प्रेस क्लब के सदस्यों को हिंदी पत्रकारिता दिवस की शुभकामनाएं दीं और पत्रकारिता के सामाजिक और लोकतांत्रिक महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि पत्रकारिता लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है, जो समाज और शासन के बीच सेतु का कार्य करती है। उन्होंने कहा कि पत्रकार सत्ता की योजनाओं और निर्णयों को जन-जन तक पहुंचाने के साथ-साथ जनता की समस्याओं और विचारों को भी सरकार तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्होंने पत्रकारों की इस जिम्मेदारी को राष्ट्र निर्माण के लिए अत्यंत आवश्यक बताया और कहा कि यह कार्य जितना चुनौतीपूर्ण है, उतना ही सम्मानजनक भी।
मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि राज्य सरकार पत्रकारों के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा पत्रकारों और उनके आश्रितों के कल्याण के लिए विभिन्न योजनाएं प्रारंभ की गई हैं, जिससे पत्रकारों को सामाजिक सुरक्षा और पेशेवर सहयोग मिल सके। उन्होंने उत्तराखंड में पत्रकारिता की भूमिका की सराहना करते हुए कहा कि उत्तराखंड के विकास और जनहित में मीडिया की जागरूकता और सक्रियता अत्यंत सराहनीय है।
इस अवसर पर उत्तरांचल प्रेस क्लब के वरिष्ठ पत्रकारों श्री भूपेंद्र सिंह कंडारी, श्री सुरेंद्र सिंह डसीला, श्री संदीप बडोला, श्री मनीष डंगवाल, श्री रमन जायसवाल, श्री किशोर रावत सहित अन्य कई पत्रकार उपस्थित रहे। सभी ने स्मारिका ‘गुलदस्ता’ की प्रशंसा की और इसे पत्रकारिता के मूल्यों और संवेदनशीलता का प्रतीक बताया।
कार्यक्रम का उद्देश्य न केवल हिंदी पत्रकारिता के योगदान को सम्मान देना था, बल्कि समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए पत्रकारों की भूमिका को रेखांकित करना भी था। यह आयोजन पत्रकारिता के दायित्वों और चुनौतियों पर विचार-विमर्श का एक उत्तम अवसर बना।