Mamta Devi Story: ग्राम सिकंदरपुर की ममता देवी बनी आत्मनिर्भरता की मिसाल, ग्रामोत्थान परियोजना से बदली तकदीर

Mamta Devi Story: ग्राम सिकंदरपुर की ममता देवी बनी आत्मनिर्भरता की मिसाल, ग्रामोत्थान परियोजना से बदली तकदीर
उत्तराखंड के हरिद्वार जिले के सीमांत गांव सिकंदरपुर की निवासी ममता देवी ने अपनी मेहनत, लगन और सरकारी योजनाओं के सहारे वह कर दिखाया है, जो कभी उनके लिए सपना था। विकासखण्ड खानपुर के इस छोटे से गांव में रहने वाली ममता देवी आज न केवल अपने परिवार की आर्थिक रीढ़ बनी हैं, बल्कि गांव की अन्य महिलाओं के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बन चुकी हैं। सीमांत क्षेत्र में बसे इस गांव के अधिकांश लोग दिहाड़ी मजदूरी पर निर्भर हैं। ममता देवी भी पहले अपने पति के साथ खेतों में मजदूरी कर परिवार का पालन-पोषण करती थीं, लेकिन बढ़ती जरूरतों और आर्थिक तंगी ने उनके जीवन को कठिन बना दिया था। मजदूरी से होने वाली मामूली आमदनी से घर चलाना मुश्किल हो रहा था। इसी संघर्ष के बीच ममता देवी ने आत्मनिर्भर बनने का निश्चय किया और डेयरी फार्मिंग के जरिये अपने जीवन को नई दिशा देने का सपना देखा। लेकिन आर्थिक संसाधनों की कमी उनके मार्ग में सबसे बड़ी बाधा थी।
इसी दौरान सखी सहेली स्वयं सहायता समूह की एक बैठक में उन्हें ग्रामोत्थान (रीप) परियोजना की जानकारी मिली। यह समूह गोवर्धनपुर सीएलएफ के अंतर्गत आता है, जिसमें ममता देवी सक्रिय सदस्य हैं। उन्होंने अपनी योजना समूह के सामने साझा की और सीएलएफ स्टाफ से संपर्क कर मदद की गुहार लगाई। ममता देवी की लगन और दूरदर्शिता को देखते हुए परियोजना के तहत उन्हें अल्ट्रा पुअर पैकेज के अंतर्गत ₹35,000 की ब्याज मुक्त ऋण सहायता स्वीकृत की गई। इसके साथ ही उन्होंने अपनी स्वयं की बचत से ₹16,500 की पूंजी भी निवेश की। इस सहायता राशि से ममता देवी ने एक उच्च नस्ल की दुधारू गाय खरीदी और पशुपालन की शुरुआत की। उन्होंने विशेषज्ञों से सलाह लेकर पशुओं के पोषण, स्वच्छता और देखभाल का पूरा ध्यान रखा। मेहनत रंग लाई और गाय से नियमित दूध उत्पादन शुरू हुआ, जिससे उनकी आय में निरंतर बढ़ोतरी हुई।
आज ममता देवी हर तीन से छह महीने में ₹4,000 से ₹6,000 तक की बचत कर रही हैं। उनकी आमदनी में स्थिरता आई है और उनका जीवन स्तर पहले की तुलना में काफी बेहतर हुआ है। अब वह न केवल अपने परिवार की जरूरतें आसानी से पूरी कर रही हैं, बल्कि उनके आत्मविश्वास में भी जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है। गांव में उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ी है और अन्य महिलाएं भी उनसे प्रेरणा लेकर आत्मनिर्भर बनने की राह पर कदम बढ़ा रही हैं। ममता देवी का यह सफर बताता है कि अगर इरादे मजबूत हों और सरकारी योजनाओं का सही लाभ मिले तो कोई भी गरीबी के बंधनों को तोड़कर सम्मानजनक जीवन जी सकता है। उनकी सफलता आज पूरे खानपुर विकासखण्ड में चर्चा का विषय बनी हुई है।