Uttarakhand Drug Free Mission: उत्तराखंड में बढ़ते नशे पर कड़ा एक्शन, मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने ENCord बैठक में दिए सख्त निर्देश

Uttarakhand Drug Free Mission: उत्तराखंड में बढ़ते नशे पर कड़ा एक्शन, मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने ENCord बैठक में दिए सख्त निर्देश
देहरादून: उत्तराखंड में युवाओं में तेजी से बढ़ती नशे की प्रवृत्ति पर चिंता जताते हुए प्रदेश के मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन ने मंगलवार को सचिवालय में राष्ट्रीय नारकोटिक्स समन्वय पोर्टल (एनकॉर्ड) की बैठक की अध्यक्षता की। बैठक के दौरान मुख्य सचिव ने नशे के खिलाफ ठोस रणनीति बनाने, प्रवर्तन बढ़ाने और जन-जागरूकता अभियानों को तेज करने के निर्देश सभी संबंधित विभागों को दिए।
मुख्य सचिव ने पर्वतीय और मैदानी क्षेत्रों में युवाओं के बीच बढ़ते नशे को एक गंभीर सामाजिक चुनौती बताते हुए कहा कि यह समस्या अब नियंत्रण से बाहर जा रही है और इसके लिए अब कड़े कदम उठाने की आवश्यकता है। उन्होंने नशे की रोकथाम के लिए पुलिस विभाग को निर्णायक कार्रवाई करने का निर्देश देते हुए एसएसपी एसटीएफ नवनीत सिंह को सिंगल पॉइंट नोडल अधिकारी नियुक्त किया और उन्हें नशे के खिलाफ कठोर अभियान चलाने के लिए पूर्ण स्वतंत्रता देने की घोषणा की।
उन्होंने कहा कि नशे का जो ईको सिस्टम प्रदेश में बन चुका है, उसे जड़ से खत्म करने की जरूरत है। इसके लिए पूरे प्रदेश में एक साथ व्यापक अभियान चलाया जाए जिसमें पुलिस, स्वास्थ्य, शिक्षा, सूचना, समाज कल्याण और अन्य सभी संबंधित विभागों की सहभागिता सुनिश्चित की जाए। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग को निर्देशित किया कि ड्रग इंस्पेक्टरों को भी इस मिशन में सक्रिय भूमिका दी जाए।
शिक्षण संस्थानों और हॉस्टलों में मेडिकल जांच
मुख्य सचिव ने कहा कि नशे के खिलाफ प्रभावी कदम उठाने के लिए सभी जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक अपने-अपने जनपदों में कॉलेजों, स्कूलों और हॉस्टलों के प्रभारियों से संवाद करें और उन्हें संस्थानों में मेडिकल जांच कराने हेतु सहमत करें। उन्होंने स्पष्ट किया कि जांच के लिए सभी आवश्यक उपकरण और परीक्षण सामग्री स्वास्थ्य विभाग की ओर से उपलब्ध कराई जाएगी।
जन-जागरूकता पर विशेष जोर
नशा मुक्ति के लिए केवल कानून ही नहीं, बल्कि सामाजिक चेतना की भी आवश्यकता है। इस बात पर बल देते हुए मुख्य सचिव ने गृह, सूचना, उच्च शिक्षा, विद्यालयी शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग को एक समन्वित जागरूकता अभियान चलाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया और प्रभावशाली सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर्स को भी इस अभियान से जोड़ा जाए ताकि युवाओं तक प्रभावी संदेश पहुंच सके।
जिला स्तर पर सशक्त संरचना
मुख्य सचिव ने कहा कि हर जिले में जिलाधिकारी की अध्यक्षता में जिला मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण और जिला स्तरीय समन्वय समिति की मासिक बैठकें अनिवार्य रूप से आयोजित की जाएं। इसके साथ ही सरकारी नशा मुक्ति केंद्रों और मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों की क्षमता को बढ़ाने के भी निर्देश दिए गए।
प्राइवेट नशामुक्ति केन्द्रों पर निगरानी
प्राइवेट डि-एडिक्शन सेंटर्स की गुणवत्ता पर चिंता जताते हुए मुख्य सचिव ने इन केंद्रों का भौतिक निरीक्षण करने के निर्देश दिए। जो संस्थान निर्धारित मानकों पर खरे नहीं उतरते, उन पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि नशा छोड़ चुके युवाओं को सकारात्मक गतिविधियों में जोड़ा जाए ताकि वे फिर इस दलदल में न फंसें।
इस महत्वपूर्ण बैठक में सचिव शैलेश बगौली, डॉ. आर. राजेश कुमार, डॉ. रंजीत सिन्हा, एडीजी लॉ एंड ऑर्डर डॉ. वी. मुरूगेशन, आईजी लॉ श्री नीलेश भरणे, अपर सचिव गृह श्रीमती निवेदिता कुकरेती, अपर सचिव श्रीमती रंजना राजगुरू, एसएसपी एसटीएफ नवनीत सिंह सहित कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे। मुख्य सचिव के इन निर्देशों से स्पष्ट है कि उत्तराखंड सरकार अब नशे के खिलाफ ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति पर काम कर रही है और इसे केवल पुलिसिंग नहीं, बल्कि सामाजिक भागीदारी के माध्यम से जड़ से खत्म करने की तैयारी कर रही है।