Jyoti Success Story: सपनों को मिला नया सहारा: ग्रामोत्थान परियोजना से ज्योति बनीं आत्मनिर्भर उद्यमी

Jyoti Success Story: सपनों को मिला नया सहारा: ग्रामोत्थान परियोजना से ज्योति बनीं आत्मनिर्भर उद्यमी
हरिद्वार जनपद के बहादराबाद विकासखंड के मिसरपुर गांव की रहने वाली ज्योति की कहानी आज हजारों ग्रामीण महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बन चुकी है। कभी एक छोटे से ब्यूटी पार्लर के सहारे परिवार की जरूरतें पूरी करने वाली ज्योति आज ग्रामोत्थान (रीप) परियोजना के सहयोग से आत्मनिर्भर उद्यमी बन चुकी हैं। उनका जीवन अब सिर्फ एक साधारण संघर्ष की दास्तान नहीं, बल्कि सशक्तिकरण की सफलता का प्रमाण है।
ज्योति की आर्थिक स्थिति सामान्य थी, और उनका पार्लर भी सीमित संसाधनों के चलते बहुत छोटे स्तर पर चल रहा था। इसी बीच उत्तराखंड ग्राम्य विकास समिति (यूजीवीएस) द्वारा संचालित ग्रामोत्थान परियोजना ने हस्तक्षेप किया और ज्योति की उद्यमिता को नई दिशा देने का जिम्मा उठाया। परियोजना के अंतर्गत उन्हें पार्लर विस्तार के लिए कुल 60,000 रुपये की वित्तीय आवश्यकता के विरुद्ध 35,000 रुपये का ब्याज मुक्त ऋण प्रदान किया गया।
ज्योति ने स्वयं 5,000 रुपये का अंशदान किया और उनके स्व-सहायता समूह ‘निधि एसएचजी’ तथा संबंधित संगठन ‘रिद्धि-सिद्धि’, जो कि ‘स्वागत सीएलएफ’ से जुड़ा है, से अतिरिक्त 20,000 रुपये की सहायता प्राप्त की। इस सामूहिक प्रयास से उन्हें एक मजबूत आर्थिक आधार मिला।
इस वित्तीय सहयोग और मार्गदर्शन की बदौलत ज्योति ने अपने पार्लर को आधुनिक उपकरणों, बेहतर इंटीरियर और ग्राहकों की सुविधा के अनुरूप ढाल लिया। अब वह न केवल अपने गांव में बेहतर सेवाएं दे रही हैं, बल्कि प्रतिमाह 10,000 से 12,000 रुपये तक की आय भी अर्जित कर रही हैं। इससे उनका जीवन स्तर बेहतर हुआ है और उन्हें समाज में सम्मानजनक स्थान भी प्राप्त हुआ है।
ज्योति की यह परिवर्तनशील यात्रा ग्रामोत्थान परियोजना के प्रभावी क्रियान्वयन और ग्रामीण महिलाओं की क्षमता पर भरोसे का जीवंत उदाहरण है। यह पहल यह दर्शाती है कि सही मार्गदर्शन, सहयोग और संसाधन मिलने पर कोई भी महिला आत्मनिर्भरता की ओर सफलतापूर्वक कदम बढ़ा सकती है। यह न सिर्फ व्यक्तिगत विकास की कहानी है, बल्कि ग्रामीण भारत में उद्यमशीलता को बढ़ावा देने की दिशा में एक सशक्त पहल भी है।