Uttarakhand: मुख्यमंत्री धामी ने ‘गांव से ग्लोबल तक होम स्टे’ संवाद में किया प्रतिभाग, उत्तराखंड के होम स्टे मॉडल को बताया आत्मनिर्भरता का आधार

Uttarakhand: मुख्यमंत्री धामी ने ‘गांव से ग्लोबल तक होम स्टे’ संवाद में किया प्रतिभाग, उत्तराखंड के होम स्टे मॉडल को बताया आत्मनिर्भरता का आधार
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को देहरादून स्थित मुख्यमंत्री आवास में आयोजित ‘मुख्य सेवक संवाद’ कार्यक्रम के तहत ‘गांव से ग्लोबल तक होम स्टे’ संवाद में भाग लिया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य राज्य के विभिन्न हिस्सों में होम स्टे संचालित कर रहे लोगों से संवाद स्थापित करना और उनके सुझावों के आधार पर राज्य की पर्यटन नीतियों को और अधिक समावेशी व सशक्त बनाना था।
मुख्यमंत्री ने होम स्टे संचालकों से संवाद करते हुए कहा कि उत्तराखंड की आत्मा गांवों में बसती है, जहां अद्भुत प्राकृतिक सुंदरता, समृद्ध संस्कृति और पारंपरिक विरासत का गहरा संगम देखने को मिलता है। राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई होम स्टे योजना ने न केवल स्थानीय लोगों को स्वरोजगार प्रदान किया है, बल्कि राज्य के ग्रामीण पर्यटन को भी वैश्विक पहचान दिलाने का कार्य किया है। वर्तमान में राज्य के पाँच हजार से अधिक परिवार इस योजना से जुड़कर पर्यटकों को अपने घरों में ठहरने के साथ ही उन्हें उत्तराखंडी संस्कृति, खानपान, लोक परंपराएं और पहनावे से भी परिचित करा रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार होम स्टे योजनाओं को और अधिक सशक्त बनाने की दिशा में लगातार काम कर रही है। उनके अनुसार, राज्य के होम स्टे संचालक स्वयं उत्तराखंड के ब्रांड एंबेसडर हैं, जो पर्यटकों को घर जैसी अनुभूति देते हुए उन्हें सांस्कृतिक रूप से समृद्ध अनुभव भी दे रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि संचालकों से प्राप्त सुझावों को गंभीरता से लेते हुए आगामी कार्य योजनाओं में समाहित किया जाएगा।
धामी ने बताया कि राज्य में ‘एक जनपद, दो उत्पाद’ योजना, ‘हाउस ऑफ हिमालयाज’ ब्रांड और स्टेट मिलेट मिशन जैसे प्रयासों के माध्यम से स्थानीय उत्पादों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई जा रही है। उन्होंने कहा कि तीर्थाटन और पर्यटन राज्य की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। धार्मिक पर्यटन के साथ-साथ साहसिक, ईको, वेलनेस, एग्रो और फिल्म पर्यटन को भी राज्य सरकार लगातार बढ़ावा दे रही है।
मानसखंड कॉरिडोर के माध्यम से कुमाऊं के धार्मिक स्थलों का विकास किया जा रहा है, जबकि ऋषिकेश और हरिद्वार को योग और आध्यात्मिक केंद्रों के रूप में वैश्विक स्तर पर प्रचारित किया जा रहा है। उत्तराखंड में फिल्म शूटिंग को प्रोत्साहित करने हेतु सिंगल विंडो सिस्टम लागू किया गया है और विशेष सब्सिडी प्रदान की जा रही है, जिसके चलते राज्य को ‘मोस्ट फिल्म फ्रेंडली स्टेट’ का राष्ट्रीय पुरस्कार भी प्राप्त हुआ है।
कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने कार्यक्रम के दौरान कहा कि यह संवाद केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक आंदोलन की शुरुआत है, जो उत्तराखंड के गांवों को वैश्विक मंच पर प्रतिष्ठित करेगा। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘वोकल फॉर लोकल’ विजन और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के विकास मॉडल को इस प्रयास का आधार बताया। उन्होंने कहा कि वर्ष 2024-25 में 317 होम स्टे संचालकों को वित्तीय और प्रबंधन प्रशिक्षण दिया गया है और 2025-26 में यह प्रशिक्षण सभी जनपदों में लागू किया जाएगा। इसके अतिरिक्त, राज्य में पर्यटन, पंचायती राज, ग्राम्य विकास और स्वास्थ्य विभागों के समन्वय से एक स्टेट टास्क फोर्स का गठन भी किया गया है।
कार्यक्रम के दौरान विभिन्न जिलों से आए होम स्टे संचालकों ने भी अपने सुझाव रखे। पौड़ी की नम्रता कंडवाल ने ब्लॉक स्तर पर होम स्टे रजिस्ट्रेशन की सुविधा शुरू करने और छात्रों को शैक्षिक टूर पर होम स्टे ले जाने का सुझाव दिया। मुक्तेश्वर के दीपक बिष्ट ने प्रक्रिया सरलीकरण और आसान ऋण सुविधा पर जोर दिया। चमोली के नरेंद्र सिंह बिष्ट ने होम स्टे को सड़कों से जोड़ने और कचरा प्रबंधन पर कार्य करने की बात कही। लैंसडाउन के विक्की रावत ने सस्टेनेबल आर्किटेक्चर के प्रयोग और होम स्टे की सुरक्षा पर ध्यान देने की आवश्यकता जताई। उत्तरकाशी के अखिल पंत ने जागरूकता अभियान और कार्यशालाएं स्वयं होम स्टे में ही आयोजित करने का सुझाव दिया।
कार्यक्रम में कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी, विधायक डॉ. प्रमोद नैनवाल, सचिव सचिन कुर्वे समेत अनेक जनप्रतिनिधि और अधिकारी उपस्थित रहे। यह संवाद कार्यक्रम राज्य के पर्यटन क्षेत्र को नई दिशा देने की ओर एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है, जो आने वाले समय में उत्तराखंड को ‘गांव से ग्लोबल’ की यात्रा में मजबूत करेगा।