• July 2, 2025

Chamoli: माणा गांव में 12 वर्षों बाद विधि-विधान के साथ शुरू हुआ पुष्कर कुंभ, दक्षिण भारत के श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी

 Chamoli: माणा गांव में 12 वर्षों बाद विधि-विधान के साथ शुरू हुआ पुष्कर कुंभ, दक्षिण भारत के श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी
Sharing Is Caring:

Chamoli: माणा गांव में 12 वर्षों बाद विधि-विधान के साथ शुरू हुआ पुष्कर कुंभ, दक्षिण भारत के श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी

चमोली जिले के सीमांत माणा गांव में केशव प्रयाग पर 12 वर्षों के बाद विधिवत पुष्कर कुंभ का आयोजन शुरू हो गया है। यह महापर्व न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है बल्कि उत्तर और दक्षिण भारत के बीच सांस्कृतिक एकता का संदेश भी देता है। माणा गांव के केशव प्रयाग पर स्थित अलकनंदा और सरस्वती नदियों के संगम पर यह पवित्र स्नान समारोह धूमधाम से मनाया जा रहा है।

जिले के अधिकारी और पुलिस प्रशासन ने तीर्थयात्रियों की सुविधा के लिए हर संभव इंतजाम किए हैं। जिलाधिकारी संदीप तिवारी ने बताया कि पैदल मार्ग को सुधारकर विभिन्न भाषाओं में साइन बोर्ड लगाए गए हैं, ताकि आने वाले श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की दिक्कत न हो। सुरक्षा के लिहाज से पुलिस बल और एसडीआरएफ के जवान भी पूरे क्षेत्र में तैनात हैं ताकि कुंभ समारोह सुरक्षित और शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हो सके। तहसील प्रशासन को भी इस आयोजन की व्यवस्थाओं की नियमित मॉनिटरिंग करने के निर्देश दिए गए हैं।

Photo 07 Dt 15 May 2025

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, 12 वर्षों में जब बृहस्पति ग्रह मिथुन राशि में प्रवेश करता है, तब माणा गांव के केशव प्रयाग पर पुष्कर कुंभ का आयोजन किया जाता है। यह स्थान हिंदू धर्म के पौराणिक ग्रंथ महाभारत की रचना का केंद्र भी माना जाता है, जहां महर्षि वेदव्यास ने तपस्या की थी। साथ ही, दक्षिण भारत के महान आचार्य रामानुजाचार्य और माध्वाचार्य ने इसी स्थान पर माँ सरस्वती से ज्ञान प्राप्त किया था। इसीलिए दक्षिण भारत के वैष्णव मतावलंबी बड़ी संख्या में इस कुंभ में हिस्सा लेने आते हैं और अपनी धार्मिक परंपराओं का पालन करते हैं।

यह तीर्थ स्थल न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि यह देश की एकता और सांस्कृतिक समरसता का प्रतीक भी है। विभिन्न भागों से आए श्रद्धालु यहां एकत्रित होकर ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को जीवित करते हैं। माणा गांव में पुष्कर कुंभ के आयोजन से उत्तर और दक्षिण भारत के बीच सांस्कृतिक सेतु मजबूत होता है, जो हमारे देश की विविधता में एकता की मिसाल है।

Sharing Is Caring:

Admin

https://nirmanshalatimes.com/

A short bio about the author can be here....

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *