ग्रामोत्थान योजना: उत्तराखंड के ग्रामीणों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक प्रभावी कदम

ग्रामोत्थान योजना: उत्तराखंड के ग्रामीणों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक प्रभावी कदम
उत्तराखंड सरकार द्वारा संचालित ‘ग्रामोत्थान योजना’ (पूर्व में ‘ग्रामीण उद्यम वेग वृद्धि परियोजना’) का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में स्वरोजगार को बढ़ावा देना और स्थानीय निवासियों की आय में वृद्धि करना है। इस योजना के माध्यम से ग्रामीणों को लघु उद्योग स्थापित करने के लिए आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है, जिससे वे आत्मनिर्भर बन सकें।
योजना का उद्देश्य
ग्रामोत्थान योजना का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण गरीब परिवारों की आजीविका को उद्यमिता से जोड़कर सशक्त बनाना है। इसके तहत फूड प्रोसेसिंग, हैचरी यूनिट जैसे उद्यम स्थापित करने के लिए अनुदान के आधार पर आर्थिक मदद प्रदान की जाती है ।
आर्थिक सहायता का ढांचा
इस योजना के अंतर्गत उद्यम स्थापित करने की कुल लागत का विभाजन इस प्रकार है:
50%: बैंक ऋण
20%: लाभार्थी का अंशदान
30%: रीप (रूरल इंटरप्राइजेज एक्सीलरेशन प्रोजेक्ट) परियोजना द्वारा अनुदान
इस सहयोग से ग्रामीणों को आवश्यक पूंजी मिलती है, जिससे वे अपने व्यवसाय को शुरू कर सकते हैं।
आय के स्रोत
ग्रामोत्थान योजना के माध्यम से ग्रामीणों को विभिन्न प्रकार के लघु उद्योगों में संलग्न होने का अवसर मिलता है, जैसे:
फूड प्रोसेसिंग यूनिट्स: स्थानीय उत्पादों का प्रसंस्करण कर बाजार में बेचना।
हैचरी यूनिट्स: मछली पालन और अंडा उत्पादन के माध्यम से आय अर्जित करना।
बकरी पालन, गाय पालन: पशुपालन के माध्यम से दूध और अन्य उत्पादों की बिक्री।
दुकान, सिलाई सेंटर: खुदरा व्यापार और सेवाओं के माध्यम से आय प्राप्त करना।
इन उद्यमों के माध्यम से ग्रामीणों को स्थायी आय का स्रोत मिलता है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होता है।
योजना का प्रभाव
ग्रामोत्थान योजना के तहत कई ग्रामीण परिवारों को आर्थिक सहायता प्रदान की गई है। उदाहरण के लिए, पौड़ी जिले के अमकोटी गांव में 15 आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों को रोजगार के लिए 35-35 हजार रुपए के चेक वितरित किए गए हैं । इस प्रकार की सहायता से ग्रामीणों को अपने व्यवसाय शुरू करने में मदद मिलती है, जिससे वे आत्मनिर्भर बनते हैं।
निष्कर्ष
ग्रामोत्थान योजना उत्तराखंड सरकार की एक महत्वपूर्ण पहल है, जो ग्रामीण क्षेत्रों में स्वरोजगार को बढ़ावा देकर स्थानीय निवासियों की आय में वृद्धि करती है। इस योजना के माध्यम से ग्रामीणों को आर्थिक सहायता प्रदान कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है, जिससे राज्य की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल रही है।