• May 17, 2025

Yogi Government: 2030 तक निर्यात को तीन गुना करने की तैयारी में योगी सरकार, खेतीबाड़ी बनेगी प्रमुख स्तंभ

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उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के आर्थिक विकास को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने के लिए एक महत्त्वाकांक्षी योजना पर काम शुरू कर दिया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में राज्य सरकार ने वर्ष 2030 तक निर्यात को तीन गुना करने का लक्ष्य तय किया है, और इस लक्ष्य की प्राप्ति में खेतीबाड़ी—विशेषकर ऑर्गेनिक और प्राकृतिक खेती—को केंद्र में रखा गया है। सरकार मानती है कि वैश्विक मांग और बदलते फूड ट्रेंड्स के बीच कृषि उत्पादों का निर्यात राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने वाला प्रमुख इंजन साबित हो सकता है।

पिछले कुछ वर्षों में विशेष रूप से कोविड-19 महामारी के बाद कृषि और खाद्य उत्पादों के निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। राष्ट्रीय स्तर के आंकड़े बताते हैं कि 2023-24 की तुलना में 2024-25 में कृषि निर्यात में करीब 10 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। उत्तर प्रदेश के कई फलों और सब्जियों को नए वैश्विक बाजार मिले हैं, खासकर यूरोप और अमेरिका में ऑर्गेनिक उत्पादों की मांग तेजी से बढ़ी है। इस मांग को देखते हुए राज्य सरकार प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित कर रही है, जिससे न केवल किसानों को बेहतर मूल्य मिलेगा, बल्कि वैश्विक मानकों के अनुरूप उत्पादों की गुणवत्ता भी सुनिश्चित की जा सकेगी।

सरकार की योजना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा जेवर में एशिया के सबसे बड़े अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के पास बन रहा एक्सपोर्ट हब है। इस विशेष निर्यात केंद्र में अत्याधुनिक प्रयोगशालाएं स्थापित की जा रही हैं, जहां कृषि उत्पादों की गुणवत्ता की जांच और प्रमाणीकरण किया जाएगा। यह हब देश-विदेश के बाजारों तक उत्तर प्रदेश के कृषि उत्पादों की निर्बाध और गुणवत्ता सुनिश्चित आपूर्ति को संभव बनाएगा।

प्राकृतिक खेती के क्षेत्र में बुंदेलखंड और गंगा नदी के दोनों किनारों पर पहले से ही कुछ प्रयास किए जा चुके हैं। अब सरकार इन प्रयासों को क्रमबद्ध तरीके से पूरे प्रदेश में विस्तार देने की योजना बना रही है। विश्व बैंक के सहयोग से संचालित “यूपी एग्रीज” जैसी योजनाएं विशेष रूप से बुंदेलखंड और पूर्वांचल क्षेत्रों में कृषि को निर्यात योग्य बनाने पर ध्यान केंद्रित करेंगी। इन योजनाओं से किसानों को न केवल आधुनिक कृषि तकनीकें मिलेंगी, बल्कि वैश्विक बाजारों तक सीधी पहुंच भी सुनिश्चित होगी।

उत्तर प्रदेश की भौगोलिक और प्राकृतिक स्थितियां भी इस अभियान को सफल बनाने में सहायक हैं। इंडो-गंगेटिक बेल्ट की सबसे अधिक उर्वर भूमि प्रदेश में है, जो हर प्रकार की फसल, फल और सब्जी की खेती के लिए उपयुक्त मानी जाती है। गंगा, यमुना और सरयू जैसी प्रमुख नदियों में सालभर पानी की उपलब्धता और सिंचाई क्षेत्र का सतत विस्तार प्रदेश की कृषि क्षमता को कई गुना बढ़ाता है। इसके अतिरिक्त, राज्य के नौ कृषि-जलवायु क्षेत्र इसे एक बहु-विविधतापूर्ण कृषि राज्य बनाते हैं।

योगी सरकार का यह मानना है कि खेती-किसानी केवल पेट भरने का माध्यम नहीं बल्कि प्रदेश के आर्थिक आत्मनिर्भरता की कुंजी बन सकती है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समय-समय पर यह दोहराते रहे हैं कि प्रकृति और परमात्मा की कृपा से उत्तर प्रदेश “फूड बास्केट ऑफ इंडिया” बनने की पूरी क्षमता रखता है। इसी सोच के तहत किसानों को बीज से लेकर बाजार तक हर मोर्चे पर सरकारी सहायता दी जा रही है—चाहे वह कृषि प्रशिक्षण हो, फसल बीमा हो, भंडारण सुविधाएं हों या निर्यात के लिए ब्रांडिंग और पैकेजिंग।

निष्कर्षतः, खेतीबाड़ी को राज्य के निर्यात विस्तार अभियान का केंद्रबिंदु बनाकर योगी सरकार न केवल किसानों की आमदनी बढ़ाने की दिशा में ठोस कदम उठा रही है, बल्कि उत्तर प्रदेश को वैश्विक कृषि बाजार का एक प्रमुख खिलाड़ी बनाने की तैयारी भी कर रही है। यह रणनीति न केवल आर्थिक दृष्टि से लाभप्रद सिद्ध हो सकती है, बल्कि पर्यावरणीय और सामाजिक दृष्टिकोण से भी एक स्थायी विकास मॉडल की स्थापना कर सकती है।

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