• April 14, 2025

Uttarakhand: कमल गिरी की मेहनत से बदली गांव की तस्वीर, जंगल के बीच खड़ा किया हरा-भरा उद्यान

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उत्तराखंड के चम्पावत जिले के छोटे से गांव दूधपोखरा के रहने वाले 35 वर्षीय कमल गिरी की कहानी आज प्रदेशभर के युवाओं और किसानों के लिए प्रेरणा बन चुकी है। कुछ साल पहले तक वह अपने गांव में एक छोटी सी दुकान चलाते थे, लेकिन आज वे 35 नाली जमीन पर सेब, कीवी, आड़ू, खुमानी, तेजपत्ता, सब्जियों और औषधीय फसलों का उत्पादन कर रहे हैं। उन्होंने मधुमक्खी पालन और मशरूम उत्पादन जैसी सहायक गतिविधियों के जरिए भी आय का नया रास्ता खोला है।

कमल गिरी का यह सफर महज किस्मत का नहीं, बल्कि दूरदर्शिता, कठोर परिश्रम और सरकारी योजनाओं के सही उपयोग का परिणाम है। सालों पहले जब उन्हें जल्दी फल देने वाली सेब की एक विशेष प्रजाति के बारे में जानकारी मिली, तो वे सीधे भीमताल स्थित नर्सरी जा पहुंचे। वहां उन्होंने बागवानी विभाग की एप्पल मिशन योजना के तहत आवेदन किया और सब्सिडी पर 500 सेब के पौधे प्राप्त किए।

सिर्फ सेब ही नहीं, कमल गिरी ने कीवी मिशन योजना का लाभ लेते हुए 10 नाली जमीन में कीवी के पौधे भी लगाए। इसके अलावा पांच नाली में तेजपत्ता और बड़ी इलायची की खेती शुरू की। उन्होंने जंगल के बीच अपनी जमीन को घेरकर जंगली जानवरों से फसलों की सुरक्षा सुनिश्चित की। इसी बीच उन्होंने मधुमक्खी पालन और पॉलीहाउस तकनीक से सब्जियों की खेती भी शुरू कर दी।

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सरकार की योजनाओं ने उन्हें नए पंख दिए। सेब के पौधे उन्हें 60 प्रतिशत सब्सिडी पर मिले, जबकि पॉलीहाउस निर्माण के लिए 80 प्रतिशत तक सब्सिडी मिली। तारबाड़ के लिए भी विभाग ने पूरा सहयोग किया। इन सभी प्रयासों से उन्होंने जंगल के बीच एक ऐसा आधुनिक और आत्मनिर्भर उद्यान खड़ा कर दिया है, जो आज गांव की आर्थिक रीढ़ बन चुका है।

आज कमल गिरी 21 कुंतल सेब, 15 कुंतल तेजपत्ता और कीवी के पहले उत्पादन से लाखों की आमदनी कर रहे हैं। पॉलीहाउस से मिलने वाली ताजी सब्जियां नियमित बाजार पहुंच रही हैं, जबकि मधुमक्खी पालन से भी अतिरिक्त आमदनी हो रही है।

उनकी मेहनत और सफलता को खुद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी सराहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड के ग्रामीण इलाकों की अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने के लिए बागवानी एक बड़ा जरिया बन रही है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि राज्य सरकार एप्पल मिशन, कीवी मिशन और अन्य योजनाओं के ज़रिए किसानों को आगे बढ़ने का अवसर दे रही है।

कमल गिरी की इस सफलता ने यह साबित कर दिया है कि पहाड़ों से पलायन रोका जा सकता है, बशर्ते वहां के संसाधनों को पहचानकर सही दिशा में प्रयास किए जाएं। उन्होंने न सिर्फ अपनी जिंदगी बदली, बल्कि गांव के अन्य किसानों को भी प्रेरणा दी, जो अब बागवानी की ओर अग्रसर हो रहे हैं।

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