दो साल के प्रत्यक्ष ने तीन किलोमीटर दौड़ पूरी कर रचा इतिहास, दिल्ली द्वारका में ‘से नो टू ड्रग्स, से यस टू फिटनेस’ मैसेज के साथ दी प्रेरणा

दो साल के प्रत्यक्ष ने तीन किलोमीटर दौड़ पूरी कर रचा इतिहास, दिल्ली द्वारका में ‘से नो टू ड्रग्स, से यस टू फिटनेस’ मैसेज के साथ दी प्रेरणा
कभी-कभी असाधारण उपलब्धियां सबसे छोटी उम्र में भी जन्म लेती हैं। ऐसा ही एक प्रेरणादायक दृश्य रविवार को दिल्ली के द्वारका में देखने को मिला, जब मात्र दो साल तीन महीने के प्रत्यक्ष बंसल ने तीन किलोमीटर की दौड़ पूरी कर सभी को चकित कर दिया। प्रत्यक्ष ने न केवल दौड़ को सफलतापूर्वक पूरा किया, बल्कि अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति और फिटनेस के जज़्बे से आयोजकों, प्रतिभागियों और दर्शकों का दिल भी जीत लिया। उसकी इस शानदार उपलब्धि पर उसे मंच पर सम्मानित भी किया गया और एक विशेष मेडल प्रदान किया गया।
प्रत्यक्ष गाजियाबाद के लोनी क्षेत्र के शर्मा एनक्लेव, आर्य नगर निवासी एडवोकेट अंकित बंसल के पुत्र हैं। दिल्ली के द्वारका में 18 संस्थाओं के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित “द्वारका 10के रन दिल्ली” कार्यक्रम का उद्देश्य ‘से नो टू ड्रग्स, से यस टू फिटनेस’ का संदेश फैलाना था। करीब 3000 धावकों ने विभिन्न आयु वर्गों में इस आयोजन में हिस्सा लिया, परंतु सबसे कम उम्र के धावक प्रत्यक्ष ने अपनी मासूम yet मजबूत उपस्थिति से सबका ध्यान खींच लिया।
प्रत्यक्ष के पिता अंकित बंसल ने भी उसके साथ दौड़ में भाग लिया। अंकित बंसल पेशे से वकील हैं और दिल्ली के कड़कड़डूमा कोर्ट में प्रैक्टिस करते हैं। खेलों के प्रति उनका समर्पण व्यक्तिगत ही नहीं, पारिवारिक भी है। बंसल परिवार में फिटनेस और खेलों को जीवन का एक अभिन्न हिस्सा माना जाता है। अंकित स्वयं बच्चों के साथ दौड़ते हैं और उन्हें प्रेरित करते हैं कि वे भी खेल और फिटनेस को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाएं।
प्रत्यक्ष से पहले, इसी माह अप्रैल में उसकी बड़ी बहनों अद्रिका बंसल (8 वर्ष) और अन्विका बंसल (6 वर्ष) ने भी अद्भुत उपलब्धियां हासिल की थीं। दोनों बहनों ने क्रमशः पीएनबी हाफ मैराथन और भारतीय सेना द्वारा आयोजित 10 किलोमीटर की “सोल्जराथन” दौड़ पूरी कर मेडल हासिल किए थे। 20 अप्रैल को दिल्ली के धौला कुआं क्षेत्र में आयोजित सोल्जराथन में अद्रिका ने 10 किलोमीटर की दूरी 1 घंटे 20 मिनट 31 सेकंड में जबकि छोटी बहन अन्विका ने 1 घंटे 21 मिनट 11 सेकंड में पूरी कर सबको चौंका दिया था। इतनी कम उम्र में इस तरह की लंबी दौड़ पूरी करना खुद में एक बड़ी उपलब्धि है, जो बच्चों की मजबूत इच्छाशक्ति, अनुशासन और कड़ी मेहनत को दर्शाता है।
बंसल परिवार की खेलों में रुचि केवल व्यक्तिगत प्रयास तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका एक मजबूत पारिवारिक आधार भी है। प्रत्यक्ष, अद्रिका और अन्विका की बुआ आकांक्षा बंसल एक अंतरराष्ट्रीय स्तर की शूटर हैं। उनके उल्लेखनीय योगदान के सम्मान में चार वर्ष पूर्व दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे के मंडोला से गोठरा गांव तक एक सड़क का निर्माण कर उसे उनके नाम से जोड़ा गया था।
प्रत्यक्ष की यह उपलब्धि एक नज़ीर है कि यदि बच्चों को सही दिशा, प्रोत्साहन और अवसर मिलें तो वे किसी भी उम्र में अद्भुत मुकाम हासिल कर सकते हैं। साथ ही इस आयोजन ने नशामुक्ति और फिटनेस को लेकर जो संदेश फैलाया, उसमें प्रत्यक्ष की भागीदारी ने एक नई ऊर्जा भर दी। द्वारका की धरती पर दो साल के इस छोटे से धावक ने यह साबित कर दिया कि फिटनेस के प्रति जागरूकता उम्र नहीं, जज़्बे से तय होती है।