“एक राज्य, एक ग्रामीण बैंक” योजना लागू: 11 राज्यों के 26 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का विलय, अब पूरे देश में सिर्फ 28 RRB

“एक राज्य, एक ग्रामीण बैंक” योजना लागू: 11 राज्यों के 26 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का विलय, अब पूरे देश में सिर्फ 28 RRB
देश की ग्रामीण बैंकिंग प्रणाली में 1 मई 2025 से एक बड़ा बदलाव लागू हो गया है। केंद्र सरकार ने “एक राज्य, एक आरआरबी” (One State-One RRB) नीति को आधिकारिक रूप से लागू करते हुए 11 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में कार्यरत 26 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (RRBs) का विलय कर दिया है। इस अभूतपूर्व कदम के तहत अब पूरे भारत में सिर्फ 28 RRB काम करेंगे, जो पहले की 43 बैंकों की संख्या से 15 कम हैं।
वित्त मंत्रालय के अधीन वित्तीय सेवा विभाग (DFS) ने इस योजना की जानकारी सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ के जरिए साझा करते हुए बताया कि इस बदलाव से ग्रामीण बैंकिंग व्यवस्था अधिक मजबूत, कुशल और वित्तीय रूप से सक्षम बन सकेगी। मंत्रालय के मुताबिक, विलय के बाद बने नए ग्रामीण बैंक अब 700 से अधिक जिलों में मौजूद 22,000 से भी ज्यादा शाखाओं के माध्यम से देश के ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकिंग सेवाएं उपलब्ध कराएंगे।
इस योजना का सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि अब प्रत्येक राज्य या केंद्रशासित प्रदेश में एक ही क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक कार्यरत होगा, जिससे प्रशासनिक दक्षता, पूंजी प्रबंधन और ऋण वितरण प्रणाली में सुधार की उम्मीद की जा रही है। इससे बैंकिंग सेवाएं ज्यादा संगठित, सरल और ग्राहकों के लिए अधिक सुलभ होंगी।
विलय के बाद बने बैंकों की अधिकृत पूंजी 2,000 करोड़ रुपये निर्धारित की गई है। इस पूंजी से संबंधित राज्य की ग्रामीण बैंकिंग आवश्यकताओं के अनुसार ऋण वितरण, क्रेडिट विस्तार, तकनीकी उन्नयन और बैंकिंग सेवाओं के विस्तार को मजबूती मिलेगी। सरकार को उम्मीद है कि इस एकीकरण से RRBs की वित्तीय व्यवहार्यता में सुधार होगा और वे खुद को टिकाऊ संस्थान के रूप में स्थापित कर सकेंगे।
इस योजना का सीधा प्रभाव जिन 11 राज्यों पर पड़ा है, वे हैं: उत्तर प्रदेश, बिहार, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, गुजरात, कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, ओडिशा, राजस्थान और जम्मू-कश्मीर। इन राज्यों में पहले अनेक क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक अलग-अलग काम कर रहे थे, जिनकी संख्या और कार्यक्षमता में असमानता थी। अब इन सभी को मिलाकर प्रत्येक राज्य के लिए एक समेकित और सशक्त बैंक तैयार किया गया है।
विशेषज्ञों के अनुसार, यह कदम देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को संगठित करने और बैंकिंग क्षेत्र में सुधार लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकता है। सरकार की इस पहल से जहां बैंकों के संचालन खर्च में कटौती होगी, वहीं ग्राहकों को एकीकृत और आधुनिक बैंकिंग सेवाएं मिलने का रास्ता भी खुलेगा।
अब देखना यह होगा कि इस विलय के बाद नई संरचना किस हद तक ग्राहकों की सेवा में पारदर्शिता और प्रभावशीलता ला पाती है और क्या यह योजना भारत के ग्रामीण विकास को अपेक्षित गति प्रदान कर पाएगी।