Uttarakhand: “एक देश, एक चुनाव” लोकतंत्र को करेगा सशक्त – मुख्यमंत्री धामी

Uttarakhand: “एक देश, एक चुनाव” लोकतंत्र को करेगा सशक्त – मुख्यमंत्री धामी
देहरादून, 21 मई 2025: उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार को मसूरी रोड स्थित एक होटल में “एक देश, एक चुनाव” विषय पर आयोजित संयुक्त संसदीय समिति की बैठक में प्रतिभाग किया। इस संवाद कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने संयुक्त संसदीय समिति के अध्यक्ष श्री पी. पी. चौधरी और समिति के सभी सदस्यों का स्वागत करते हुए विचार साझा किए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘एक देश, एक चुनाव’ की अवधारणा लोकतंत्र को अधिक सशक्त, प्रभावी और समावेशी बनाएगी। उन्होंने बताया कि वर्तमान चुनाव प्रणाली भले ही सुदृढ़ है, लेकिन बार-बार होने वाले चुनावों से प्रशासनिक कार्यों में बाधा आती है। आचार संहिता के प्रभाव से शासन तंत्र ठप हो जाता है, जिससे विकास कार्यों की गति धीमी पड़ती है।
175 दिनों तक बाधित रही प्रशासनिक प्रक्रिया
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि पिछले तीन वर्षों में राज्य में विधानसभा, लोकसभा और निकाय चुनावों के चलते करीब 175 दिन तक आचार संहिता लागू रही, जिससे राज्य सरकार नीतिगत फैसले नहीं ले सकी। विशेष रूप से छोटे और सीमित संसाधनों वाले राज्य के लिए यह अवधि बेहद अहम होती है।
एक साथ चुनाव से खर्च में 30–35% की होगी बचत
उन्होंने बताया कि विधानसभा चुनावों का पूरा खर्च राज्य सरकार वहन करती है, जबकि लोकसभा चुनावों का खर्च केंद्र सरकार उठाती है। यदि दोनों चुनाव एक साथ कराए जाएं, तो खर्च का समान बंटवारा होगा और कुल व्यय में 30 से 35 प्रतिशत की बचत होगी। इस बचत का उपयोग शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़कों, जल संसाधन और महिला सशक्तिकरण जैसे क्षेत्रों में किया जा सकता है।
पर्वतीय राज्यों के लिए अधिक जरूरी
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड जैसे पर्वतीय और विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाले राज्य में एक साथ चुनाव कराना विशेष रूप से आवश्यक है। जून से सितंबर के दौरान चारधाम यात्रा और मानसून की गतिविधियां रहती हैं, जिससे चुनाव कराना चुनौतीपूर्ण हो जाता है। वहीं, जनवरी से मार्च की तिमाही में वित्तीय वर्ष का आखिरी चरण और बोर्ड परीक्षाएं होती हैं, जिससे प्रशासनिक दबाव और बढ़ता है।
उन्होंने बताया कि पर्वतीय क्षेत्रों में मतदान केंद्रों तक पहुंचना कठिन होता है, जिससे मतदान प्रक्रिया में समय, संसाधन और मानवीय श्रम अधिक लगता है। बार-बार चुनाव कराने से मतदाताओं में रुचि घटती है और मतदान प्रतिशत प्रभावित होता है।
मुख्यमंत्री ने अंत में कहा कि “एक देश, एक चुनाव” न केवल व्यावहारिक दृष्टिकोण से आवश्यक है, बल्कि यह लोकतंत्र को स्थिरता और गति देने वाला कदम भी है।