Dehradun: तीन करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकालने में सफल रही मोदी सरकार की नीतियाँ : देहरादून चिंतन शिविर में बोले मुख्यमंत्री धामी

Dehradun: तीन करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकालने में सफल रही मोदी सरकार की नीतियाँ : देहरादून चिंतन शिविर में बोले मुख्यमंत्री धामी
देहरादून में केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की ओर से आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय चिंतन शिविर की शुरुआत सोमवार को हुई, जिसमें मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देशभर में बीते दस वर्षों में लगभग 30 करोड़ लोग गरीबी रेखा से बाहर निकलने में सफल हुए हैं। उन्होंने इस शिविर को एक ऐतिहासिक अवसर बताया, जहां सामाजिक सशक्तिकरण को लेकर भविष्य की योजनाओं का खाका तैयार किया जाएगा।
मुख्यमंत्री धामी ने शिविर को संबोधित करते हुए कहा कि उत्तराखंड जैसे छोटे राज्य में राष्ट्रीय स्तर पर सामाजिक न्याय जैसे महत्वपूर्ण विषय पर यह चिंतन शिविर आयोजित होना गर्व की बात है। उन्होंने इसे बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर और पंडित दीनदयाल उपाध्याय के विचारों का आधुनिक विस्तार बताते हुए कहा कि इन महापुरुषों की प्रेरणा से ही आज देश में सामाजिक सशक्तिकरण की ठोस नीतियाँ बनाई जा रही हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज केंद्र सरकार “सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास” के मूलमंत्र के साथ काम कर रही है। पहले समाज कल्याण को एक सीमित विभाग माना जाता था, लेकिन बीते एक दशक में इस विभाग के माध्यम से गरीबों, दलितों, पिछड़ों और वंचितों के जीवन को नई दिशा दी गई है। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा दी जा रही वृद्धावस्था पेंशन, विधवाओं और दिव्यांगों के लिए विशेष योजनाएं, छात्रों को छात्रवृत्ति और स्वरोजगार को बढ़ावा देने वाली योजनाओं ने सामाजिक न्याय को हकीकत में बदला है।
मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य सरकार ने भी सामाजिक सुरक्षा को मजबूती देने के लिए अनेक कदम उठाए हैं। उत्तराखंड में वृद्धावस्था पेंशन योजना को और अधिक प्रभावी बनाते हुए पति-पत्नी दोनों को पेंशन देने की व्यवस्था की गई है। पेंशन का भुगतान अब मासिक आधार पर किया जा रहा है और इसे पूरी तरह से ऑनलाइन बना दिया गया है। अंत्योदय परिवारों को हर वर्ष तीन मुफ्त गैस सिलेंडर दिए जा रहे हैं, जिससे उनकी घरेलू आर्थिक स्थिति को सहारा मिल रहा है।
राज्य सरकार अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के बच्चों को कक्षा एक से बारहवीं तक छात्रवृत्ति दे रही है। इनके लिए 15 निशुल्क छात्रावास, 5 आवासीय विद्यालय और 3 आईटीआई संचालित किए जा रहे हैं। प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए निःशुल्क कोचिंग और मासिक छात्रवृत्ति की व्यवस्था भी की गई है। इन वर्गों की बेटियों की शादी के लिए 50 हजार रुपये की सहायता भी दी जा रही है। जनजातीय इलाकों में बुनियादी सुविधाओं के विकास के साथ-साथ जनजातीय शोध संस्थान के लिए 1 करोड़ रुपये का कोष भी गठित किया गया है।
मुख्यमंत्री ने बताया कि अनुसूचित वर्ग के आवासहीन परिवारों को “अटल आवास योजना” के तहत 1 लाख 20 हजार रुपये की आर्थिक सहायता दी जा रही है, जिससे वे पक्का मकान बना सकें। प्रधानमंत्री जनजातीय उन्नत ग्राम अभियान के तहत उत्तराखंड के 128 जनजातीय गांवों का चयन किया गया है। बुजुर्गों की देखभाल के लिए जेरियाट्रिक केयर प्रशिक्षण और आंखों के इलाज की विशेष सुविधाएं भी राज्य में उपलब्ध कराई जा रही हैं।
राज्य सरकार दिव्यांगजनों को सरकारी नौकरियों में 4 प्रतिशत आरक्षण दे रही है और प्रदेश में नशामुक्त देवभूमि अभियान को मिशन मोड में संचालित किया जा रहा है। हल्द्वानी में एक आधुनिक नशा मुक्ति केंद्र की शुरुआत भी की जा चुकी है और शेष जनपदों में भी ऐसे केंद्र स्थापित करने की योजना है। भिक्षावृत्ति में संलिप्त बच्चों को स्कूलों से जोड़ा जा रहा है और युवाओं को कौशल प्रशिक्षण देकर स्वरोजगार से जोड़ा जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने बताया कि केंद्र सरकार की SMILE योजना के अंतर्गत उत्तराखंड के चार शहरों को चुना गया है जिससे इन प्रयासों को और मजबूती मिलेगी। उन्होंने सभी राज्यों के प्रतिनिधियों को चारधाम यात्रा का निमंत्रण देते हुए यह भी बताया कि इस वर्ष से शीतकालीन यात्रा की भी शुरुआत की गई है, जिसे स्वयं प्रधानमंत्री मोदी ने हर्षिल आकर प्रोत्साहित किया।
इस चिंतन शिविर में केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार ने राज्यों की भूमिका को अत्यंत महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों को मिलकर काम करना होगा, तभी योजनाओं का लाभ अंतिम व्यक्ति तक पहुंचेगा। उन्होंने “नशामुक्त भारत अभियान” का विशेष रूप से उल्लेख किया और कहा कि युवाओं में बढ़ रही नशे की प्रवृत्ति बेहद चिंता का विषय है, जिसे मिलकर नियंत्रित करना होगा। उन्होंने बताया कि इस शिविर में अब तक 15 राज्यों के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं, जो कि सकारात्मक संकेत है।
केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्यमंत्री बीएल वर्मा ने बताया कि वित्तीय वर्ष की समाप्ति के बाद इस शिविर के आयोजन का उद्देश्य यही है कि योजना निर्माण के प्रारंभिक चरण में ही केंद्र और राज्यों के बीच समन्वय स्थापित हो सके ताकि नीतियों के परिणाम बेहतर हों।
वहीं राज्य मंत्री रामदास अठावले ने कहा कि सामाजिक न्याय एक गंभीर जिम्मेदारी है और हमें मिलकर वंचित वर्ग को न्याय दिलाने की दिशा में काम करना है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “सबका साथ, सबका विकास” के मंत्र को दोहराते हुए इसे सामाजिक समरसता की दिशा में सबसे प्रभावशाली विचार बताया।
इस राष्ट्रीय चिंतन शिविर में देश के विभिन्न राज्यों के समाज कल्याण मंत्री, वरिष्ठ अधिकारी और विशेषज्ञ शामिल हुए। कार्यक्रम का उद्देश्य सामाजिक सशक्तिकरण को धरातल पर उतारने की दिशा में नई राहें तलाशना और केंद्र व राज्य सरकारों के बीच समन्वय को और सुदृढ़ करना है।