Amla: बहुपयोगी आंवला : प्रकृति का अनुपम वरदान, हर रोग का समाधान

Amla: बहुपयोगी आंवला : प्रकृति का अनुपम वरदान, हर रोग का समाधान
आंवला, जिसे भारतीय गूसबेरी भी कहा जाता है, आयुर्वेदिक औषधियों में एक अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह छोटा-सा हरा फल जितना साधारण दिखता है, उतना ही चमत्कारी गुणों से भरपूर होता है। आंवले को आयुर्वेद में ‘रसायन’ कहा गया है, जिसका अर्थ है शरीर की समग्र शक्ति को बढ़ाने वाला तत्व। यह विटामिन सी का अत्यंत समृद्ध स्रोत है—एक आंवला लगभग चार नींबुओं या तीस संतरों के बराबर विटामिन सी प्रदान करता है। यह शरीर को ठंडी प्रकृति प्रदान करता है और त्वचा की चमक, रोग प्रतिरोधक क्षमता तथा पाचन तंत्र को सशक्त बनाता है।
बालों के लिए अमृत समान
आंवला बालों के लिए अत्यंत लाभकारी है। आंवले का चूर्ण रात भर पानी में भिगो दें और सुबह उस पानी से सिर धोएं। इससे बालों की जड़ें मजबूत होंगी और बालों में चमक बढ़ेगी। यदि आंवला में मेंहदी मिलाकर बालों में लगाया जाए, तो सफेद बाल भी धीरे-धीरे काले हो जाते हैं। इसके अलावा, आंवला, रीठा और शिकाकाई का काढ़ा बनाकर सिर धोने से बाल मुलायम, लंबे और घने हो जाते हैं।
पेशाब की जलन और मूत्र रोगों में राहत
पेशाब में जलन या रुकावट होने पर आंवले का रस और शहद मिलाकर सेवन करने से त्वरित राहत मिलती है। इसके अतिरिक्त, आंवले की ताजी छाल के रस में हल्दी और शहद मिलाकर पीने से मूत्रकृच्छ यानी पेशाब में कष्ट दूर होता है। आंवला और इलायची का मिश्रण भी मूत्र मार्ग को साफ करता है।
बच्चों में हकलाहट और तुतलापन दूर करता है
बच्चों को रोज एक ताजा आंवला चबाने को देने से हकलाना और तुतलाना दूर होता है। आंवले का रस जीभ और आवाज को स्पष्ट करता है। हरे आंवले को चूसते रहने से जीभ पतली होती है और उच्चारण बेहतर होता है।
आंखों के लिए नैसर्गिक औषधि
आंवले का रस आंखों में डालने से नेत्रज्योति बढ़ती है और आंखों की सूजन मिटती है। सहजन के पत्तों का रस और सेंधानमक मिलाकर आंखों में डालने से मोतियाबिंद के शुरुआती लक्षणों में राहत मिलती है। आंवले और हरा धनिया मिलाकर सेवन करने से भी दृष्टिदोष दूर होते हैं।
गले की खराश और बैठी हुई आवाज के लिए उपयोगी
यदि आवाज बैठ जाए या गले में खराश हो, तो आंवले का चूर्ण शहद और घी के साथ चाटने से आवाज पुनः सामान्य हो जाती है। इसके अलावा, कच्चे आंवले को बार-बार चूसने से गला साफ होता है और बोलने में स्पष्टता आती है।
हिचकी और उल्टी की अचूक दवा
आंवले के रस में पिपली चूर्ण और शहद मिलाकर लेने से हिचकी में तत्काल लाभ होता है। गर्मियों की वजह से होने वाली उल्टी में आंवला, चंदन और मधु का मिश्रण अत्यंत प्रभावकारी होता है। इसके अलावा, आंवला और अंगूर का रस मिलाकर पीने से वात-पित्त-कफ से उत्पन्न उल्टी में भी राहत मिलती है।
संग्रहणी और अतिसार में लाभकारी
संग्रहणी रोग, जिसमें बार-बार पतले दस्त होते हैं, में आंवले के पत्तों और मेथी के दानों का काढ़ा बहुत प्रभावशाली है। रक्तातिसार यानी खून के साथ दस्त आने की अवस्था में आंवले का सेवन करना अत्यंत लाभकारी सिद्ध होता है।
बवासीर में रामबाण इलाज
खूनी या बादी बवासीर में आंवले का उपयोग विभिन्न रूपों में किया जा सकता है। आंवले का चूर्ण दही की मलाई या मट्ठे के साथ लेने से बवासीर के मस्से सूखकर गिर जाते हैं। आंवले को मिट्टी के बर्तन में छाछ के साथ मिलाकर रोगी को पिलाना भी लाभदायक है।
वीर्यवृद्धि और शुक्रमेह में कारगर
वीर्य की कमी, स्वप्नदोष या शुक्रमेह जैसे यौन रोगों में आंवला अत्यंत उपयोगी सिद्ध होता है। इसका चूर्ण मिश्री के साथ मिलाकर जल के साथ लगातार सेवन करने से इन समस्याओं में स्थायी राहत मिलती है।
प्राकृतिक विरेचन औषधि
जो रोगी विरेचन चाहते हैं, यानी जिन्हें शरीर से मलदोष निकालना है, उनके लिए आंवले का रस, शहद और चीनी मिलाकर सेवन कराना लाभदायक होता है। यह रक्तपित्त रोगियों में भी बहुत सहायक होता है।
अन्य उपयोग
धातु-वृद्धि, रक्तस्राव, पेट की जलन, कब्ज, आंखों की फूली, सिरदर्द, गले की सूजन जैसी अनेकों समस्याओं में आंवला एक सर्वसुलभ और सुरक्षित उपाय है।
आंवला एक ऐसा फल है जो न केवल भोजन के स्वाद को बढ़ाता है, बल्कि संपूर्ण शरीर के लिए टॉनिक के रूप में कार्य करता है। चाहे वह बाल हों, आंखें, पाचनतंत्र, मूत्रमार्ग या त्वचा—हर अंग को यह फल पोषण और सुरक्षा देता है। यदि आप प्रतिदिन एक आंवले का सेवन करते हैं तो न केवल रोगों से दूर रहेंगे, बल्कि दीर्घायु और निरोग जीवन की ओर अग्रसर होंगे। आयुर्वेद के इस चमत्कारी फल को अपने जीवन में अवश्य स्थान दें।
नी मिश्री मिलाकर ताजे जल के साथ 15 दिन सेवन करें