Bihar Politics 2025: विकास, रोजगार और सुशासन की नींव पर खड़े मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, विपक्षी आरोपों को ठोस कार्यों से दे रहे जवाब

Bihar Politics 2025: विकास, रोजगार और सुशासन की नींव पर खड़े मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, विपक्षी आरोपों को ठोस कार्यों से दे रहे जवाब
पटना, 30 जून
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक बार फिर अपनी व्यावहारिक राजनीतिक शैली और विकासोन्मुखी दृष्टिकोण से राज्य की राजनीति की धुरी बन गए हैं। जहां विपक्ष लगातार हमलावर रुख अपनाए हुए है, वहीं नीतीश कुमार ने आरोपों का जवाब अपने काम के जरिये देने की रणनीति अपनाई है — और वह भी “प्ले ऑफेंसिव” की शैली में।
नीतीश कुमार, जो सामान्यतः शांत और विनम्र व्यवहार के लिए जाने जाते हैं, राजनीतिक कटाक्षों का जवाब बिना आक्रामक हुए केवल ठोस योजनाओं और परिणामों के साथ दे रहे हैं। उनकी सरकार का फोकस विकास, रोजगार सृजन, कानून-व्यवस्था और सामाजिक सुरक्षा पर है, जिसने विपक्ष को मुद्दाविहीन कर दिया है।
एक्शन में मुख्यमंत्री, योजनाओं की बौछार
बीते कुछ समय में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कई महत्वपूर्ण विकास योजनाओं का लोकार्पण किया और नई परियोजनाओं की नींव रखी। पटना से राघोपुर को जोड़ने वाले छह लेन पुल का उद्घाटन कर उन्होंने न केवल भौगोलिक संपर्क बढ़ाया, बल्कि राघोपुर दियारा के विकास को लेकर समिति गठित कर दी — जो इस इलाके को विकास की मुख्यधारा में लाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।
इसके अलावा उन्होंने पटना को देश के पहले डबल डेकर पुल की सौगात दी, साथ ही जीपीओ गोलंबर से पटना जंक्शन तक मल्टीमॉडल हब, सबवे और पार्किंग की योजना को मूर्त रूप दिया। पीएमसीएच में विश्वस्तरीय चिकित्सा सुविधाओं के लिए नये भवन का उद्घाटन किया गया, वहीं भूपतिपुर से महूली तक एलिवेटेड रोड परियोजना ने राजधानी के ट्रैफिक जाम की समस्या को काफी हद तक खत्म कर दिया है। दीघा से दीदारगंज तक गंगा पाथवे का विस्तार राज्य की कनेक्टिविटी को नई ऊंचाइयों पर ले गया है।
सामाजिक सुरक्षा में बड़ा फैसला: पेंशन तीन गुना
नीतीश कुमार ने सामाजिक सुरक्षा को लेकर ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए पेंशन की राशि 400 रुपये से बढ़ाकर 1100 रुपये कर दी। वृद्धजन, दिव्यांगजन और विधवा महिलाएं अब जुलाई 2025 से इस नई दर पर पेंशन पाएंगी। इस फैसले से 1 करोड़ 9 लाख से अधिक लाभार्थी सीधे तौर पर लाभान्वित होंगे, जिससे मुख्यमंत्री ने सामाजिक न्याय और समानता की दिशा में एक ठोस कदम उठाया है।
रोजगार सृजन में नया मानक
“रोजगार मतलब नीतीश कुमार” — यह नारा अब हकीकत बन चुका है। हाल ही में मुख्यमंत्री ने 21,391 पुलिसकर्मियों को नियुक्ति पत्र बांटे, जिसमें महिलाओं की भागीदारी सबसे अधिक रही। इसके साथ ही 55 हजार और सिपाहियों की बहाली का निर्देश देकर उन्होंने राज्य में सुरक्षा और रोजगार दोनों को मजबूती दी।
इसके अलावा, 59 हजार से अधिक शिक्षकों और सैकड़ों वास्तुविदों को भी नियुक्ति पत्र प्रदान किए गए। इसके पहले मार्च में भी 51 हजार से ज्यादा शिक्षकों की बहाली की गई थी।
कानून-व्यवस्था: नीतीश सरकार की यूएसपी
बिहार में नीतीश कुमार की सरकार को बेहतर कानून-व्यवस्था के लिए जाना जाता है। वर्ष 2005 में जहां पुलिस बल की संख्या 42 हजार थी, वहीं अब यह 1.25 लाख से अधिक हो चुकी है। संगठित अपराध और नक्सल गतिविधियों पर लगभग पूरी तरह से अंकुश लगाया जा चुका है।
सीएम ने कोर्ट प्रभारी और कोर्ट नायब की नियुक्ति प्रक्रिया को तेज कर लंबित मामलों के शीघ्र निपटारे की दिशा में कदम उठाया है। अपराध के प्रति ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति को सख्ती से लागू किया जा रहा है और यही वजह है कि नीतीश सरकार की छवि अब सुशासन के मॉडल के रूप में उभरी है।
निष्कर्ष:
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने केवल राजनीति नहीं, बल्कि जननीति को भी बदलने का प्रयास किया है। विकास के ज़मीनी मॉडल, रोजगार और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं की शक्ति से उन्होंने विपक्ष की आलोचनाओं को बेमानी बना दिया है। जब अन्य दल नारों में उलझे हैं, नीतीश काम पर फोकस किए हुए हैं — और शायद यही वजह है कि उनके “प्ले ऑफेंसिव” के सामने विपक्ष की सारी रणनीति बिखरती नज़र आ रही है।