Uttarakhand Space Conference 2025: मुख्यमंत्री धामी ने किया अंतरिक्ष सम्मेलन 2025 का शुभारंभ, इसरो के साथ विज्ञान नवाचार को नई उड़ान

Uttarakhand Space Conference 2025: मुख्यमंत्री धामी ने किया अंतरिक्ष सम्मेलन 2025 का शुभारंभ, इसरो के साथ विज्ञान नवाचार को नई उड़ान
मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को मुख्यमंत्री आवास स्थित मुख्य सेवक सदन में आयोजित अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी एवं अनुप्रयोग अंतरिक्ष सम्मेलन 2025 में भाग लेकर उत्तराखंड को “स्पेस टेक्नोलॉजी फ्रेंडली स्टेट” बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण घोषणा की। यह सम्मेलन विकसित भारत @2047 के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए हिमालयी राज्यों की आवश्यकताओं के अनुरूप आयोजित किया गया था। इस अवसर पर इसरो अध्यक्ष डॉ. वी. नारायणन विशेष अतिथि के रूप में मौजूद रहे।
विज्ञान की शक्ति से उत्तराखंड के विकास का संकल्प
मुख्यमंत्री ने कहा कि अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी अब अनुसंधान तक सीमित नहीं रह गई है, बल्कि यह संचार, कृषि, मौसम पूर्वानुमान, आपदा प्रबंधन, स्वास्थ्य, शिक्षा और अवसंरचना विकास जैसे क्षेत्रों में क्रांतिकारी परिवर्तन ला रही है। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन में वैज्ञानिक शुभांशु शुक्ला द्वारा तिरंगा फहराने को गर्व का क्षण बताते हुए इसे गगनयान मिशन और भविष्य के अभियानों के लिए प्रेरणादायक बताया।
चंपावत मॉडल और इनोवेशन की दिशा में कदम
मुख्यमंत्री ने इस मौके पर चंपावत मॉडल जिले के लिए ISRO-UCOST द्वारा विकसित डैशबोर्ड का शुभारंभ किया और ISRO द्वारा प्रकाशित एक पुस्तक का विमोचन भी किया। उन्होंने कहा कि राज्य में साइंस सिटी, इनोवेशन सेंटर, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रोबोटिक्स, ड्रोन टेक्नोलॉजी व अत्याधुनिक प्रयोगशालाओं की स्थापना पर तेजी से कार्य किया जा रहा है।
ISRO अध्यक्ष डॉ. नारायणन ने भारत की अंतरिक्ष यात्रा को बताया प्रेरणास्रोत
इसरो अध्यक्ष ने भारत की अंतरिक्ष यात्रा पर प्रकाश डालते हुए बताया कि 1963 में जब पहला रॉकेट साइकिल से लाया गया, तब से आज तक भारत 131 सेटेलाइट लॉन्च कर चुका है। उन्होंने कहा कि भारत चंद्रमा के साउथ पोल पर उतरने वाला पहला देश, और मंगल मिशन में पहले प्रयास में सफल होने वाला चौथा देश बना है। आने वाले वर्षों में भारत का लक्ष्य 2030 तक स्पेस स्टेशन और 2040 तक मानव को चंद्रमा पर भेजना है।
राष्ट्रीय नीति में सेटेलाइट डेटा का बढ़ता महत्व
राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र के निदेशक डॉ. प्रकाश चौहान ने कहा कि उत्तराखंड में ऋषि गंगा आपदा के दौरान सेटेलाइट आधारित मैपिंग से मिली जानकारी को राष्ट्रीय नीति में जगह मिली। ग्लेशियर मॉनिटरिंग, बादल फटना, वनाग्नि और पशुधन डेटा जैसे क्षेत्रों में सेटेलाइट टेक्नोलॉजी के उपयोग को गेमचेंजर बताया।
मुख्य सचिव ने इसरो से मांगा तकनीकी सहयोग
मुख्य सचिव श्री आनंद बर्द्धन ने अंतरिक्ष तकनीक के स्थायी ढांचे के विकास की आवश्यकता पर बल देते हुए इसरो से साइंस सेंटर गोद लेने और Cartosat जैसी हाई-रेजोल्यूशन इमेजरी को रियल टाइम में गैर-व्यावसायिक आधार पर उपलब्ध कराने का अनुरोध किया।
सम्मेलन में वरिष्ठ अधिकारी और वैज्ञानिकों की भागीदारी
इस सम्मेलन में प्रमुख सचिव आर.के. सुधांशु, आर. मीनाक्षी सुंदरम, सचिव शैलेश बगौली, नितेश झा, यूकॉस्ट के महानिदेशक प्रो. दुर्गेश पंत सहित अनेक वैज्ञानिक व तकनीकी विशेषज्ञ शामिल हुए।