Uttarakhand: उत्तराखंड में आयुर्वेद को मिलेगा बढ़ावा, 25 आयुष केंद्र बनेंगे सेंटर ऑफ एक्सीलेंस: मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन

Uttarakhand: उत्तराखंड में आयुर्वेद को मिलेगा बढ़ावा, 25 आयुष केंद्र बनेंगे सेंटर ऑफ एक्सीलेंस: मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन
उत्तराखंड सरकार आयुर्वेद और आयुष चिकित्सा को जन-जन तक पहुंचाने के लिए बड़े कदम उठाने जा रही है। सोमवार को सचिवालय में आयुष विभाग की समीक्षा बैठक के दौरान मुख्य सचिव श्री आनन्द बर्द्धन ने स्पष्ट किया कि राज्य में आयुर्वेद की प्राचीन परंपरा को मजबूत आधार बनाकर आधुनिक अनुसंधान और जनसंपर्क से जोड़ा जाएगा। उन्होंने निर्देश दिए कि आयुर्वेद को लोकप्रिय बनाने, शोध को बढ़ावा देने और अधिक लोगों को इससे जोड़ने के लिए ठोस योजना बनाई जाए।
मुख्य सचिव ने कहा कि प्रारंभ में प्रदेश के 25 आयुष एवं वेलनेस सेंटर को ‘सेंटर ऑफ एक्सीलेंस’ के रूप में विकसित किया जाएगा। इन केंद्रों में आयुर्वेद, होम्योपैथी, पंचकर्मा, योग आदि चिकित्सा व्यवस्थाओं को उच्च स्तर पर उपलब्ध कराया जाएगा। उन्होंने इन केंद्रों को पर्यटन से जोड़ने पर भी विशेष जोर दिया, जिससे हेल्थ टूरिज्म को बढ़ावा मिल सके।
उन्होंने सुझाव दिया कि वर्तमान में संचालित आयुर्वेदिक अस्पतालों को उन्नत कर सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के रूप में परिवर्तित किया जा सकता है। इसके साथ ही इन्वेस्टर्स समिट में प्राप्त हुए आयुष क्षेत्र से जुड़े अच्छे प्रस्तावों को दोबारा मूल्यांकन कर उन्हें धरातल पर उतारने के निर्देश भी दिए।
राष्ट्रीय आयुष मिशन के अंतर्गत चल रहे निर्माण कार्यों पर भी मुख्य सचिव ने गहन समीक्षा की और निर्देश दिए कि निर्माणाधीन आयुष अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों को तय समय सीमा में पूर्ण किया जाए। उन्होंने कहा कि निर्माण कार्य के साथ-साथ नए पदों के सृजन और उनकी स्वीकृति की प्रक्रिया भी समानांतर रूप से पूरी की जाए।
मुख्य सचिव ने इन आयुष एवं वेलनेस केंद्रों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए एक समग्र योजना बनाने के निर्देश भी अधिकारियों को दिए। उन्होंने इन केंद्रों को राज्य की आयुष नीति के तहत मॉडल संस्थान के रूप में विकसित करने की आवश्यकता जताई।
बैठक में आयुष सचिव श्री दीपेन्द्र कुमार चौधरी, अपर सचिव श्री आनन्द स्वरूप सहित अन्य विभागीय अधिकारी उपस्थित रहे।
यह पहल उत्तराखंड को आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा के क्षेत्र में एक अग्रणी राज्य के रूप में स्थापित कर सकती है, जिससे न केवल स्थानीय स्तर पर स्वास्थ्य सेवाएं सुदृढ़ होंगी, बल्कि हेल्थ टूरिज्म को भी नई पहचान मिलेगी।