हरिद्वार की सबनम: एक साधारण गृहिणी से सफल महिला उद्यमी तक का सफर

हरिद्वार की सबनम: एक साधारण गृहिणी से सफल महिला उद्यमी तक का सफर
हरिद्वार जिले के माधोपुर हजरतपुर गांव की सबनम ने साबित कर दिया है कि अगर सही मार्गदर्शन, संसाधन और हौसला हो, तो कोई भी महिला आत्मनिर्भर बन सकती है। एक समय था जब सबनम की पहचान एक गृहिणी तक सीमित थी — न कोई नियमित आमदनी, न व्यवसाय का अनुभव। लेकिन आज, वह “आस्था सीएलएफ के रोजा स्वयं सहायता समूह” की प्रेरणास्रोत सदस्य और एक सफल ग्रामीण महिला उद्यमी हैं।
बकरी पालन से आत्मनिर्भरता की ओर
सबनम के जीवन में यह परिवर्तन ग्रामोत्थान परियोजना (REAP) के तहत शुरू हुआ। वर्ष 2023-24 में उन्होंने एकल कृषि उद्यम योजना के अंतर्गत बकरी पालन व्यवसाय को विस्तार देने का निर्णय लिया। पहले वे 2-3 बकरियों के सीमित पालन से हर छह महीने में केवल ₹15,000–20,000 तक की आय कर पाती थीं।
योजनाबद्ध निवेश से मिला बड़ा लाभ
ग्रामोत्थान परियोजना की मदद से उनके लिए ₹3 लाख की एक व्यावसायिक योजना तैयार की गई:
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₹75,000 अनुदान
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₹75,000 स्वयं का अंशदान
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₹1,50,000 बैंक ऋण
इस राशि से सबनम ने 9–10 बकरियों की एक व्यवस्थित इकाई शुरू की। आज वह हर छह महीने में ₹60,000 से ₹70,000 तक की आय कमा रही हैं।
परिवार से समाज तक बदलाव की कहानी
सबनम की बढ़ती आय ने न केवल उनके परिवार की आर्थिक स्थिति सुधारी, बल्कि बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य और घरेलू सुविधाएं भी बेहतर हुईं। वह अब अपने गांव की अन्य महिलाओं के लिए एक प्रेरणा बन चुकी हैं, जो अपने पैरों पर खड़े होने की राह तलाश रही हैं। सबनम की कहानी यह दिखाती है कि सशक्तिकरण का वास्तविक अर्थ केवल रोजगार देना नहीं, बल्कि विश्वास, प्रशिक्षण और संसाधन देना है। अगर ग्रामीण महिलाओं को सही मंच और सहयोग मिले, तो वे सिर्फ अपने परिवार का ही नहीं, पूरे समुदाय का भविष्य बदल सकती हैं।