भृंगराज: एक चमत्कारी आयुर्वेदिक औषधि जो करता है कायाकल्प

भृंगराज: एक चमत्कारी आयुर्वेदिक औषधि जो करता है कायाकल्प
आयुर्वेद में भृंगराज (False Daisy) को एक बहुमूल्य औषधि माना गया है, जिसका उपयोग न केवल बालों के लिए बल्कि लीवर, त्वचा, नेत्र रोग, मस्तिष्क विकारों और यहां तक कि कैंसर जैसे गंभीर रोगों में भी लाभकारी माना गया है। आयुर्वेदिक विशेषज्ञों का मानना है कि इसमें केश्य गुण विद्यमान होता है, जो बालों को घना, काला और मजबूत बनाने में सहायक है, लेकिन इसके औषधीय गुण इससे कहीं अधिक व्यापक हैं।
बालों को काला और मजबूत बनाए रखने के लिए भृंगराज की ताजी पत्तियों का रस निकालकर उसे प्रतिदिन रात को सिर पर मलकर सोना अत्यंत लाभकारी होता है। यदि पेट की समस्याएं, जैसे उलझन या अपच हो, तो भृंगराज की पत्तियों का रस या चूर्ण 10 ग्राम लेकर उसे एक कटोरी दही में मिलाकर दिन में तीन बार दो दिनों तक सेवन करने से राहत मिलती है।
पीलिया जैसी गंभीर बीमारी में भृंगराज रामबाण सिद्ध हो सकता है। रोगी को भृंगराज के पूरे पौधे का चूर्ण मिश्री के साथ मिलाकर खिलाने से पीलिया तुरंत काबू में आ सकता है। एक अन्य प्रयोग में पौधे का रस निकालकर उसमें एक ग्राम काली मिर्च पाउडर और थोड़ा मिश्री मिलाकर दिन में तीन बार तीन दिनों तक पिलाने से रोग में सुधार होता है।
सफेद दाग के उपचार के लिए काले पत्तों और शाखाओं वाला भृंगराज आवश्यक होता है। इसे आग पर सेंककर प्रतिदिन एक पौधा लगभग चार महीने तक खाने से लाभ मिलता है। नेत्रज्योति बढ़ाने के लिए इसकी पत्तियों का तीन ग्राम पाउडर एक चम्मच शहद में मिलाकर रोज सुबह खाली पेट सेवन करना चाहिए।
तुतलाने की समस्या से ग्रस्त बच्चों को इसके रस में देसी घी मिलाकर पका कर प्रतिदिन दस ग्राम देना चाहिए। यह प्रक्रिया एक महीने तक निरंतर करनी चाहिए। त्रिफला चूर्ण को भृंगराज के रस की तीन बार भावना देकर सुखाकर आधा चम्मच पानी के साथ लेने से बाल कभी सफेद नहीं होते, लेकिन यह कार्य किसी अनुभवी वैद्य की देखरेख में ही करना चाहिए।
भृंगराज के रस में लीवर से जुड़ी लगभग सभी बीमारियों को ठीक करने की शक्ति होती है। यदि प्रतिदिन ताजा दस ग्राम रस का सेवन किया जाए और उस दिन केवल दूध लिया जाए, तो यह शरीर के कायाकल्प में सहायक हो सकता है। यह एक कठिन लेकिन प्रभावी प्रयोग है।
प्रसव के बाद महिलाओं में होने वाले योनिशूल के लिए भृंगराज की जड़ और बेल की जड़ का पाउडर बराबर मात्रा में लेकर शहद के साथ पांच ग्राम की मात्रा में सेवन कराना चाहिए। यह प्रयोग दिन में एक बार खाली पेट सिर्फ सात दिनों तक करना होता है।
भृंगराज से बनाया गया तेल बालों के लिए अत्यंत उपयोगी है। इसकी पत्तियों का रस निकालकर बराबर मात्रा में नारियल तेल में मिलाकर धीमी आंच पर पकाया जाए, जब तक केवल तेल शेष रह जाए, तो भृंगराज केश तेल तैयार हो जाता है। यदि इसमें आंवले का रस भी मिला दिया जाए तो यह तेल और अधिक प्रभावशाली बनता है। बालों में रूसी और झड़ने की समस्या के लिए 15-20 ग्राम रस सिर पर लगाने से लाभ मिलता है।
एसिडिटी की समस्या में भृंगराज के सूखे चूर्ण को हर्र के चूर्ण के साथ समान मात्रा में लेकर गुड़ के साथ सेवन करने से राहत मिलती है। माईग्रेन या आधा सिर दर्द की अवस्था में इसकी पत्तियों को बकरी के दूध में उबालकर उस दूध की कुछ बूँदें नाक में डालने से आराम मिलता है।
भृंगराज और आंवले की ताजे पत्तियों को पीसकर बालों की जड़ों में लगाना और नीम, शिकाकाई, आंवला, कालातिल, रीठा को मिलाकर तैयार किया गया पेस्ट बालों के लिए बेहतरीन हर्बल शैम्पू के रूप में कार्य करता है, जो बालों की कंडीशनिंग और मजबूती में सहायक है।
भृंगराज की पत्तियों का रस निकालकर उसमें रुई भिगोकर सरसों के तेल में काजल बनाकर आंखों में लगाने से आंखों से पानी आना और खुजली जैसी समस्याओं से मुक्ति मिलती है।
निस्संदेह, भृंगराज एक ऐसी औषधि है जो प्राकृतिक रूप से शरीर, मस्तिष्क और सौंदर्य को स्वस्थ, सुंदर और दीर्घायु बनाए रखने की शक्ति रखती है। लेकिन इसका सेवन या प्रयोग किसी जानकार आयुर्वेदाचार्य या वैद्य की देखरेख में ही किया जाना चाहिए।