Uttarakhand: दिव्या रावत: मशरूम खेती में उत्तराखंड की ‘मशरूम गर्ल’
उत्तराखंड के चमोली जिले के कंडारा गांव की 23 वर्षीय दिव्या रावत ने मशरूम फार्मिंग के क्षेत्र में एक अद्वितीय पहचान बनाई है। अपने साहसिक कदम से उन्होंने कृषि उद्योग में एक नया मुकाम हासिल किया है, जिसे आज ‘मशरूम गर्ल’ के नाम से जाना जाता है। दिव्या की यह सफलता एक प्रेरणा का स्रोत बन चुकी है, जो ग्रामीण क्षेत्रों के युवाओं और महिलाओं को आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करती है।
शहरी क्षेत्रों से गांव की ओर रुख
दिव्या रावत ने नोएडा से सामाजिक कार्य में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की थी। हालांकि, शहरी क्षेत्रों में मिलने वाली रोजगार की अधिकतम संभावनाओं के बावजूद, उन्होंने अपनी मातृभूमि के लिए कुछ खास करने की ठानी। उन्होंने महसूस किया कि उत्तराखंड जैसे ग्रामीण क्षेत्रों में पलायन की समस्या बढ़ती जा रही है और गांवों में रोजगार के पर्याप्त अवसर नहीं हैं। इसलिए, उन्होंने अपनी जड़ों से जुड़ने का निर्णय लिया और मशरूम फार्मिंग को अपने जीवन का उद्देश्य बनाया।
सौम्य फूड प्राइवेट लिमिटेड की स्थापना
वर्ष 2016 में, दिव्या रावत ने ‘सौम्य फूड प्राइवेट लिमिटेड’ नामक कंपनी की स्थापना की। उनका लक्ष्य न केवल मशरूम की खेती को बढ़ावा देना था, बल्कि इस उद्योग से जुड़े किसान परिवारों को भी आत्मनिर्भर बनाना था। उनकी कंपनी बटन, ओएस्टर और मिल्की मशरूम का उत्पादन करती है, और यह किसानों को उन्नत खेती तकनीकों का प्रशिक्षण भी प्रदान करती है। उनके द्वारा स्थापित नेटवर्क में वर्तमान में 10,000 से अधिक किसान जुड़े हुए हैं।
मशरूम से बने 70 से अधिक उत्पाद
दिव्या रावत का व्यवसाय अब केवल मशरूम की खेती तक सीमित नहीं है। वह 70 से अधिक मशरूम आधारित उत्पादों का विपणन करती हैं, जिसमें मशरूम की सूप, पाउडर, और कई अन्य खाद्य उत्पाद शामिल हैं। इन उत्पादों को विभिन्न बाजारों में बेचा जाता है और यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था को एक नई दिशा दे रहे हैं। इसके अलावा, वह किसानों को मशरूम की खेती के विभिन्न पहलुओं के बारे में भी प्रशिक्षण देती हैं, जिससे वे इस व्यवसाय से अच्छा मुनाफा कमा सके।
नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित
दिव्या रावत के अद्वितीय कार्यों को देखकर उन्हें नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। यह पुरस्कार उनके सामाजिक और व्यवसायिक योगदान को मान्यता देने के लिए दिया गया। उनका यह सफर न केवल एक उद्यमिता की कहानी है, बल्कि यह ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं की शक्ति और साहस का भी प्रतीक है। दिव्या की सफलता यह साबित करती है कि अगर दृढ़ इच्छाशक्ति हो, तो कोई भी सपना साकार किया जा सकता है।
स्थानीय रोजगार और विकास की दिशा में कदम
दिव्या रावत का मशरूम फार्मिंग व्यवसाय अब स्थानीय स्तर पर रोजगार के नए अवसर पैदा कर रहा है। उनका उद्देश्य इस उद्योग को और भी अधिक विस्तारित करना है, ताकि अधिक से अधिक लोगों को इससे जुड़ा रोजगार मिल सके। इसके साथ ही, किसानों को अधिक मुनाफा और स्थिरता भी मिल रही है, क्योंकि उन्हें सीधे बाजार से जुड़ने का अवसर मिल रहा है। दिव्या ने यह भी सुनिश्चित किया है कि उनके व्यवसाय से जुड़े हर किसान को उच्चतम गुणवत्ता के उत्पाद और तकनीकी मार्गदर्शन प्राप्त हो।
आगे का रास्ता और भविष्य की योजनाएं
दिव्या रावत के पास इस व्यवसाय के विस्तार के लिए कई योजनाएं हैं। उनका उद्देश्य सिर्फ व्यवसाय को बढ़ाना नहीं है, बल्कि इसे और अधिक समाजोपयोगी बनाना है। उनके मुताबिक, मशरूम फार्मिंग न केवल किसानों को बेहतर आय प्रदान करता है, बल्कि यह पर्यावरण के लिए भी लाभकारी है। उनके अगले कदम में अधिक किसानों को इस व्यवसाय से जोड़ना, उत्पादों की गुणवत्ता में सुधार करना, और मशरूम के आयुर्वेदिक और औषधीय उपयोगों पर भी शोध करना शामिल है।
दिव्या रावत की यात्रा यह बताती है कि अगर किसी व्यक्ति में दृढ़ नायकत्व और कड़ी मेहनत हो, तो वह किसी भी चुनौती को पार कर सकता है। उन्होंने ना केवल अपनी मातृभूमि के लिए एक नया रास्ता खोला, बल्कि अन्य युवा उद्यमियों के लिए एक प्रेरणा भी बनीं। उनका काम न केवल उत्तराखंड के लिए, बल्कि समग्र भारत के लिए एक शानदार उदाहरण प्रस्तुत करता है, जहां ग्रामीण महिलाओं और युवाओं के लिए रोजगार और आत्मनिर्भरता की नई राहें खुल रही हैं।