Yogi Adityanath: यूपी सरकार का ऐतिहासिक फैसला: आर्थिक रूप से कमजोर मेधावी छात्र अब विदेश में करेंगे मास्टर्स, सरकार उठाएगी खर्च

Yogi Adityanath: यूपी सरकार का ऐतिहासिक फैसला: आर्थिक रूप से कमजोर मेधावी छात्र अब विदेश में करेंगे मास्टर्स, सरकार उठाएगी खर्च
उत्तर प्रदेश सरकार ने एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए राज्य के आर्थिक रूप से कमजोर लेकिन मेधावी छात्रों के लिए उच्च शिक्षा के क्षेत्र में नई राह खोल दी है। अब ऐसे छात्र जो विदेश जाकर मास्टर्स की पढ़ाई करना चाहते हैं, उनके सपनों को पंख लगाने का जिम्मा सरकार ने उठाया है। योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में 7 अगस्त 2025 को हुई कैबिनेट बैठक में इस महत्वाकांक्षी योजना को मंजूरी दी गई है, जिसका लाभ हर साल चुनिंदा छात्रों को मिलेगा।
सरकार ने घोषणा की है कि हर वर्ष 5 प्रतिभावान छात्रों को विदेश में मास्टर्स की डिग्री प्राप्त करने के लिए भेजा जाएगा और उनके खर्च का आधा हिस्सा राज्य सरकार खुद वहन करेगी। इसके लिए उत्तर प्रदेश सरकार और यूनाइटेड किंगडम की सरकार के फॉरेन, कॉमनवेल्थ एंड डेवलपमेंट ऑफिस (FCDO) के बीच समझौता किया गया है। यह योजना एक विशेष छात्रवृत्ति योजना के रूप में चिह्नित की गई है, जिसका नाम रखा गया है – “भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी चिवनिंग उत्तर प्रदेश राज्य सरकार छात्रवृत्ति योजना”।
इस योजना के तहत छात्रों को यूनाइटेड किंगडम के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में मास्टर्स डिग्री हासिल करने का अवसर मिलेगा। इनमें कैंब्रिज यूनिवर्सिटी, लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स, इंपीरियल कॉलेज ऑफ लंदन, किंग्स कॉलेज ऑफ लंदन समेत अन्य मान्यता प्राप्त संस्थान शामिल हैं।
योजना की कुल लागत प्रति छात्र लगभग 38,048 पाउंड से लेकर 42,076 पाउंड तक होगी, जिसमें उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्रति छात्र 19,800 पाउंड (लगभग 23 लाख रुपये) खर्च किया जाएगा। शेष राशि का वहन एफसीडीओ द्वारा किया जाएगा। यह योजना फिलहाल वर्ष 2027 तक के लिए लागू की गई है।
सरकार के प्रवक्ता ने प्रेस वार्ता में बताया कि यह योजना भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की प्रेरणा से बनाई गई है, जिन्होंने शिक्षा, नेतृत्व और अंतरराष्ट्रीय संबंधों में असाधारण योगदान दिया। योजना का संचालन ब्रिटिश सरकार की प्रतिष्ठित छात्रवृत्ति इकाई चिवनिंग और ब्रिटिश काउंसिल की साझेदारी में किया जाएगा।
यह कदम न केवल उत्तर प्रदेश के मेधावी युवाओं को वैश्विक मंच पर आगे बढ़ने का अवसर देगा, बल्कि राज्य की अंतरराष्ट्रीय पहचान और शैक्षणिक महत्व को भी नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा। शिक्षा के क्षेत्र में यह पहल आने वाले वर्षों में एक मील का पत्थर साबित हो सकती है।