Bundelkhand: बुंदेलखंड में जल और ऊर्जा क्रांति: खेतों में पानी के साथ अब होगी बिजली की खेती

Bundelkhand: बुंदेलखंड में जल और ऊर्जा क्रांति: खेतों में पानी के साथ अब होगी बिजली की खेती
बुंदेलखंड, जो अब तक अपने जल संकट और सूखे के लिए जाना जाता था, आज एक नई क्रांति की ओर अग्रसर है। योगी आदित्यनाथ सरकार की दूरदर्शी नीतियों और योजनाओं के चलते यह इलाका अब न केवल जल संरक्षण का उदाहरण बन रहा है, बल्कि सौर ऊर्जा उत्पादन में भी प्रदेश का अग्रणी क्षेत्र बनने जा रहा है। खेत तालाब योजना और सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने की नीति ने मिलकर वह सपना साकार किया है जिसमें किसान अपने खेतों में न केवल फसल उगा रहे हैं, बल्कि बिजली भी पैदा कर रहे हैं।
राज्य सरकार की खेत तालाब योजना के तहत अब तक लगभग 5000 तालाबों की खुदाई की जा चुकी है। इन तालाबों में बारिश का जल संरक्षित किया जाता है, जिससे सूखे समय में सिंचाई के साथ-साथ मवेशियों की जल आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके। योजना के अंतर्गत सामान्य वर्ग के लघु सीमांत किसानों को 50% या अधिकतम 80,000 रुपये तथा अनुसूचित जाति और जनजाति के किसानों को 75% या एक लाख रुपये तक की सब्सिडी दी जा रही है।
साथ ही, बुंदेलखंड में सौर ऊर्जा के क्षेत्र में भी तेजी से प्रगति हो रही है। सरकार ने पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों—जैसे कि थर्मल और हाइड्रो पावर—की तुलना में सौर ऊर्जा को प्राथमिकता देना शुरू कर दिया है, जिससे प्रदूषण में कमी आएगी और ऊर्जा लागत घटेगी। यह रणनीति न केवल पर्यावरण हितैषी है, बल्कि उत्तर प्रदेश को हरित ऊर्जा की दिशा में आत्मनिर्भर भी बनाएगी।
प्रदेश में ऊर्जा की वार्षिक खपत में लगभग 16% की वृद्धि हो रही है, और आने वाले वर्षों में यह 53,000 मेगावाट से भी ऊपर जा सकती है। ऐसे में सौर ऊर्जा पर ध्यान केंद्रित करना न केवल व्यावहारिक निर्णय है, बल्कि राज्य की आर्थिक विकास योजनाओं के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। योगी सरकार का लक्ष्य प्रदेश को 1 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाना है, और इसके लिए ऊर्जा का भरपूर और सुलभ होना जरूरी है।
बुंदेलखंड क्षेत्र को विशेष रूप से सौर ऊर्जा के लिए उपयुक्त माना गया है। चित्रकूट में 800 मेगावाट, झांसी में 600 मेगावाट और ललितपुर में 1400 मिलियन यूनिट सालाना उत्पादन क्षमता वाले सोलर प्लांट प्रस्तावित हैं। साथ ही कानपुर देहात और आसपास के क्षेत्रों में भी सौर ऊर्जा उत्पादन की योजना है। इन सभी योजनाओं से न केवल क्षेत्र में बिजली उत्पादन बढ़ेगा, बल्कि युवाओं के लिए रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे।
एक और बड़ी पहल के तहत बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे को देश का पहला सोलर एक्सप्रेस वे बनाया जा रहा है। इसके दोनों किनारों पर 2447 एकड़ क्षेत्र में सोलर पार्क विकसित किए जाएंगे, जिनकी वार्षिक उत्पादन क्षमता लगभग 450 मेगावाट होगी। इस परियोजना पर करीब 2000 करोड़ रुपये खर्च होंगे, जिसमें देश की प्रमुख कंपनियां जैसे टाटा पावर रुचि दिखा चुकी हैं।
हालांकि सौर ऊर्जा का यह विस्तार सिर्फ बुंदेलखंड तक सीमित नहीं रहेगा। सरकार ने अयोध्या को सोलर सिटी के रूप में विकसित करने की योजना बनाई है और नोएडा समेत राज्य के 16 नगर निगमों को भी इसी दिशा में विकसित किया जा रहा है। मुख्यमंत्री का लक्ष्य है कि राज्य में कुल बिजली उत्पादन का कम से कम 10% हिस्सा सौर ऊर्जा से प्राप्त हो और आने वाले वर्षों में यह प्रतिशत लगातार बढ़ाया जाए।
प्रधानमंत्री की सूर्य घर योजना के तहत लोगों को एक से पांच किलोवाट तक के सोलर रूफटॉप लगाने के लिए भारी सब्सिडी दी जा रही है। केवल 7% ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है, जिससे आम नागरिक भी सोलर ऊर्जा का लाभ उठा सके। इसके अलावा पीएम-कुसुम योजना के तहत अब तक 76,000 से अधिक किसानों को सोलर पंप दिए जा चुके हैं और भविष्य में सभी सरकारी नलकूपों को भी सोलर से जोड़े जाने की योजना है।
प्रदेश सरकार एक ‘ग्रीन कॉरिडोर’ भी बना रही है, जो सौर ऊर्जा की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करेगा। इसके पहले चरण में गांवों और खेतों को प्राथमिकता दी गई है ताकि सिंचाई पंप और ग्रामीण बिजली आपूर्ति सौर ऊर्जा से की जा सके।
बुंदेलखंड में शुरू हुआ यह परिवर्तन सिर्फ एक क्षेत्र की कहानी नहीं है, यह उस नए उत्तर प्रदेश की बुनियाद है जो न केवल स्वावलंबी होगा बल्कि पर्यावरण के प्रति भी संवेदनशील रहेगा। जल संरक्षण और हरित ऊर्जा के इस समन्वय से बुंदेलखंड अब वीरता, संस्कृति और अब सौर ऊर्जा की नई पहचान के साथ देश के विकास पथ पर अग्रसर हो रहा है।