Uttarakhand Sports Policy: उत्तराखण्ड बना खेल भूमि: राष्ट्रीय खेलों की ऐतिहासिक सफलता के बाद खेल नीति को मिला नया आयाम

Uttarakhand Sports Policy: उत्तराखण्ड बना खेल भूमि: राष्ट्रीय खेलों की ऐतिहासिक सफलता के बाद खेल नीति को मिला नया आयाम
उत्तराखण्ड राज्य, जिसने हाल ही में 38वें राष्ट्रीय खेलों की ऐतिहासिक मेज़बानी और प्रदर्शन से देशभर में खेल संस्कृति की एक नई मिसाल कायम की है, अब खेल क्षेत्र में दीर्घकालिक बदलाव की ओर अग्रसर है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में राज्य सरकार ने इस असाधारण उपलब्धि को केवल एक आयोजन तक सीमित न रखते हुए, इसे भविष्य की रणनीति की नींव बना लिया है।
मुख्यमंत्री धामी ने राष्ट्रीय खेलों में राज्य की उपलब्धियों को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि यह सिर्फ एक टूर्नामेंट नहीं था, बल्कि उत्तराखण्ड की खेल यात्रा में एक निर्णायक मोड़ है। पहली बार राज्य ने 100 से अधिक पदक जीतकर पदक तालिका में सातवां स्थान प्राप्त किया, जो इस पहाड़ी राज्य की क्षमता और खेलों के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता का प्रमाण है।
उन्होंने मुख्य सचिव को निर्देश दिए हैं कि राष्ट्रीय खेलों के आयोजन के लिए तैयार किए गए अंतरराष्ट्रीय स्तर के खेल ढांचे का अधिकतम और प्रभावी उपयोग सुनिश्चित किया जाए। इस दिशा में तेजी से कार्ययोजना तैयार की जा रही है, ताकि राज्य के खिलाड़ियों को उसी उत्कृष्ट सुविधाओं में प्रशिक्षण मिल सके जिनमें उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शन किया।
देहरादून स्थित महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज और हल्द्वानी का इंदिरा गांधी स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स आधुनिक सुविधाओं से युक्त किए जा चुके हैं। सरकार अब आठ शहरों में 23 खेल अकादमियों की स्थापना करने जा रही है, जो खेल लिगेसी प्लान का हिस्सा है। इन केंद्रों का उद्देश्य यही है कि युवा खिलाड़ियों को उनके गृह नगरों के आसपास ही शीर्ष स्तरीय प्रशिक्षण मिले, ताकि उन्हें बाहर जाकर संसाधन खोजने की आवश्यकता न हो।
राज्य की वर्ष 2021 में लागू नई खेल नीति के सकारात्मक परिणाम अब जमीन पर दिखने लगे हैं। इस नीति के अंतर्गत खिलाड़ियों को उनके प्रदर्शन के आधार पर सम्मानजनक नकद पुरस्कार, छात्रवृत्तियां, सरकारी नौकरी और अन्य सुविधाएं प्रदान की जाती हैं। ओलंपिक पदक विजेताओं के लिए 2 करोड़ रुपये तक की इनाम राशि की घोषणा ने राज्य के खिलाड़ियों के मनोबल को नई ऊंचाई दी है।
खेल विकास के इस सफर को संस्थागत स्वरूप देने के लिए हल्द्वानी में प्रस्तावित “खेल विश्वविद्यालय” एक मील का पत्थर बनने जा रहा है। यह विश्वविद्यालय न केवल खेल प्रशिक्षण और अनुसंधान का केंद्र बनेगा, बल्कि कोचिंग, खेल विज्ञान, फिजियोथेरेपी, खेल प्रबंधन और प्रशासन जैसे क्षेत्रों में युवाओं को करियर के नए अवसर भी देगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि “उत्तराखण्ड को आज एक उभरती खेल भूमि के रूप में देखा जा रहा है, जो पूरे राज्य के लिए गर्व की बात है। खेलों के प्रति नई चेतना और समर्पण से राज्य के मैदानों से लेकर पहाड़ों तक हर कोने में खेल प्रतिभाओं का उज्ज्वल भविष्य आकार ले रहा है।”
राज्य सरकार का यह प्रयास उत्तराखण्ड को न केवल राष्ट्रीय बल्कि अंतरराष्ट्रीय खेल मंच पर भी एक सशक्त पहचान देने की दिशा में एक निर्णायक कदम है। यह समर्पण और दृष्टिकोण राज्य को आने वाले वर्षों में एक खेल शक्ति के रूप में स्थापित कर सकता है।