Dehradun AQI: उत्तराखण्ड में दीपावली 2025 पर वायु गुणवत्ता में भारी सुधार, शहरों की हवा हुई साफ
Dehradun AQI: उत्तराखण्ड में दीपावली 2025 पर वायु गुणवत्ता में भारी सुधार, शहरों की हवा हुई साफ
उत्तराखण्ड में इस वर्ष दीपावली के अवसर पर वायु गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार देखा गया है। राज्य के प्रमुख शहरों की हवा इस बार पहले से कहीं अधिक स्वच्छ रही, जिससे त्योहार का आनंद सुरक्षित और स्वस्थ वातावरण में मनाया जा सका। तकनीक आधारित उपायों, प्रशासनिक सक्रियता और नागरिकों के सहयोग ने इस सुधार में मुख्य भूमिका निभाई। अधिकांश शहरों में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) इस बार मध्यम या संतोषजनक श्रेणी में दर्ज किया गया, जो पिछले वर्ष की तुलना में स्पष्ट रूप से बेहतर है।
दीपावली 2025 (20 अक्टूबर) को दर्ज किए गए AQI स्तरों के अनुसार देहरादून में 128 (मध्यम), ऋषिकेश 54 (संतोषजनक), टिहरी 66 (संतोषजनक), काशीपुर 168 (मध्यम), रुड़की 190 (मध्यम), हल्द्वानी 198 (मध्यम) और नैनीताल में 111 (मध्यम) स्तर दर्ज किए गए। तुलना के लिए, दीपावली 2024 में कई शहरों की वायु गुणवत्ता खराब श्रेणी में थी। देहरादून और काशीपुर का AQI 269 (खराब) था, जबकि ऋषिकेश का 175 (मध्यम) दर्ज किया गया था। इस साल के परिणाम यह दिखाते हैं कि राज्य में प्रदूषण नियंत्रण के लिए उठाए गए कदम प्रभावी साबित हुए हैं।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उत्तराखण्ड का लक्ष्य केवल त्योहारों तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे वर्ष स्वच्छ वायु सुनिश्चित करना है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष के परिणाम यह साबित करते हैं कि नवाचार, जागरूकता और सामूहिक भागीदारी से वास्तविक और ठोस परिवर्तन संभव है। मुख्यमंत्री ने सभी नागरिकों, प्रशासनिक अधिकारियों और संबंधित एजेंसियों को उनके योगदान के लिए सराहा।
उत्तराखण्ड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (UKPCB) के अध्यक्ष आर. के. सुधांशु ने कहा कि इस वर्ष की स्वच्छ दीपावली सामूहिक प्रयासों का प्रत्यक्ष परिणाम है। उन्होंने बताया कि ड्रोन आधारित जल छिड़काव, नई यांत्रिक स्वीपिंग मशीनों की तैनाती और स्कूलों एवं कॉलेजों में चलाए गए जन-जागरूकता अभियान ने वायु गुणवत्ता में महत्वपूर्ण सुधार किया। देहरादून में ड्रोन आधारित वॉटर स्प्रिंकलिंग के माध्यम से PM₁₀ स्तर को नियंत्रित किया गया, जबकि देहरादून और ऋषिकेश में यांत्रिक स्वीपिंग मशीनों की तैनाती ने सड़कों पर धूल और कणों की मात्रा में कमी लाकर शहर की हवा को साफ किया। ये मशीनें राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) के तहत केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) और भारत सरकार के सहयोग से क्रय की गई थीं।
विशेषज्ञों के अनुसार, इस सुधार का मुख्य कारण केवल तकनीकी उपाय नहीं, बल्कि नागरिकों की जागरूकता, पटाखों के सीमित उपयोग और प्रशासनिक निगरानी रही। उन्होंने भविष्य में इस दिशा में और अधिक निरंतर प्रयासों की आवश्यकता पर भी जोर दिया, ताकि उत्तराखण्ड के शहर हर साल त्योहारों पर स्वच्छ और सुरक्षित हवा का अनुभव कर सकें। इस वर्ष की दीपावली ने राज्य में स्वच्छ वायु संरक्षण के लिए एक नई मिसाल कायम की है और यह साबित किया कि सही योजनाओं और सामूहिक भागीदारी से पर्यावरणीय सुधार संभव है।