Uttarakhand: मत्स्य, पशुपालन और कृषि क्षेत्र में बड़े बदलाव, मुख्यमंत्री ने दी योजनाओं को गति

Uttarakhand: मत्स्य, पशुपालन और कृषि क्षेत्र में बड़े बदलाव, मुख्यमंत्री ने दी योजनाओं को गति
मुख्यमंत्री ने मत्स्य विभाग की समीक्षा बैठक के दौरान इसकी योजनाओं को स्वरोजगार सृजन और आर्थिकी को मजबूत करने वाला बताया। उन्होंने ट्राउट प्रोत्साहन योजना को पर्वतीय जनपदों में रोजगार सृजन का प्रभावी माध्यम मानते हुए लक्ष्यों की पूर्ति और तैयार कार्य योजना के प्रभावी अनुश्रवण के निर्देश दिए। साथ ही, इंटीग्रेटेड नमामि गंगा एक्वेटिक सेंटर और राज्य स्तरीय इंटीग्रेटेड एक्वा पार्क की स्थापना में तेजी लाने को कहा ताकि मत्स्य पर्यटन को बढ़ावा मिल सके और नए रोजगार के अवसर पैदा हों।
बैठक में जानकारी दी गई कि ट्राउट प्रोत्साहन योजना के लिए 170 करोड़ रुपये का वित्तीय प्रावधान किया गया है, जिसके तहत 600 टन ट्राउट मत्स्य उत्पादन, 75 लाख ट्राउट सीड उत्पादन और 600 प्रत्यक्ष रोजगार का लक्ष्य रखा गया है। वहीं, इंटीग्रेटेड एक्वेटिक सेंटर की स्थापना के लिए 250 करोड़ रुपये का बजटीय प्रावधान किया गया है, जिससे मत्स्य प्रजातियों के संरक्षण के साथ-साथ विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने की योजना बनाई गई है। इसके तहत एक्वा गैलरी के साथ मत्स्य विभाग की अन्य योजनाओं का भी विकास किया जाएगा।
राज्य स्तरीय इंटीग्रेटेड एक्वा पार्क के लिए 53.39 करोड़ रुपये प्रस्तावित किए गए हैं, जिसके तहत 5100 टन अतिरिक्त मत्स्य उत्पादन के साथ नई मत्स्य प्रजातियों और गुणवत्ता युक्त मछली की उपलब्धता सुनिश्चित होगी। मुख्यमंत्री ने पशुपालन विभाग की समीक्षा के दौरान आईटीबीपी को दी जा रही जीवित बकरी, भेड़, कुक्कुट और ट्राउट मछली की आपूर्ति की तर्ज पर सेना को भी इस व्यवस्था में शामिल करने के निर्देश दिए। इससे स्थानीय उत्पादकों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी और उनके उत्पादों की मांग बढ़ेगी। उन्होंने किसान उत्पादक संगठनों और पशुपालकों की समस्याओं के समाधान की प्रभावी व्यवस्था सुनिश्चित करने को कहा।
ग्राम्य गौ सेवक योजना और गो सदनों के निर्माण में भी तेजी लाने के निर्देश दिए। अक्टूबर 2024 तक जीवित बकरी, भेड़, कुक्कुट और मछली की 800 मीट्रिक टन आपूर्ति की गई। राज्य सरकार द्वारा 5 करोड़ रुपये के रिवॉल्विंग फंड की भी व्यवस्था की गई, जिससे 10 सहकारी समितियों और किसान उत्पादक संगठनों के 253 पशुपालकों को लाभ मिला। नवंबर 2024 तक किसानों को 1.60 करोड़ रुपये डीबीटी के माध्यम से भुगतान किया गया, इस अवधि में 6455 किलोग्राम ट्राउट मछली, 22,735 किलोग्राम जीवित कुक्कुट और 33,536 किलोग्राम जीवित भेड़-बकरी की आपूर्ति की गई। मुख्यमंत्री ने डेयरी विकास विभाग की समीक्षा के दौरान प्रदेश में दुग्ध उत्पादक किसानों को आय के अतिरिक्त साधन उपलब्ध कराने पर ध्यान देने को कहा और इसके लिए बायोगैस संयंत्रों की स्थापना पर जोर दिया। उन्होंने दुग्ध उत्पादकों को उनके उत्पाद का समय पर भुगतान सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री ने गन्ना चीनी विकास विभाग की समीक्षा करते हुए चीनी मिलों के आधुनिकीकरण तथा गन्ना किसानों को उनके गन्ना मूल्य के भुगतान की स्थिति की जानकारी ली। इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री सौरभ बहुगुणा, प्रमुख सचिव आर. मीनाक्षी सुंदरम, सचिव शैलेश बगोली, डॉ. बी.वी.आर.सी. पुरुषोत्तम, वी. षणमुगम, विनोद कुमार सुमन, रणवीर सिंह चौहान एवं संबंधित विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।