Uttarakhand Literature Award: उत्तराखंड में हिंदी दिवस पर दीर्घकालीन साहित्य सेवी सम्मान, साहित्यकारों को मिला विशेष गौरव
 
            
      Uttarakhand Literature Award: उत्तराखंड में हिंदी दिवस पर दीर्घकालीन साहित्य सेवी सम्मान, साहित्यकारों को मिला विशेष गौरव
देहरादून में हिंदी दिवस के अवसर पर आयोजित भव्य समारोह में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड और देश के प्रख्यात साहित्यकारों को सम्मानित किया। इस अवसर पर उन्होंने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार साहित्य, भाषा और संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए प्रतिबद्ध है और आने वाली पीढ़ियों को अपनी विरासत से जोड़े रखने के लिए ठोस कदम उठा रही है।
समारोह का आयोजन आईआरडीटी सभागार, सर्वे चौक में हुआ, जहां प्रदेश भर से आए साहित्यकारों, कवियों और भाषा प्रेमियों की मौजूदगी ने माहौल को साहित्यिक गरिमा से भर दिया। मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि साहित्य समाज का दर्पण है और हिंदी आत्मा की सच्ची अभिव्यक्ति। उन्होंने साहित्यकारों को संवेदनशील मार्गदर्शक बताते हुए कहा कि उनकी रचनाएँ समाज को नई दिशा देती हैं और सकारात्मक बदलाव का मार्ग प्रशस्त करती हैं।

मुख्यमंत्री ने इस मौके पर साहित्यकार शैलेश मटियानी, गिरीश तिवारी ‘गिर्दा’, शेरदा अनपढ़ और हीरा सिंह राणा को मरणोपरांत “उत्तराखंड दीर्घकालीन साहित्य सेवी सम्मान 2025” से सम्मानित किया। इसके साथ ही सोमवारी लाल उनियाल और अतुल शर्मा को भी इस प्रतिष्ठित सम्मान से नवाजा गया। प्रत्येक सम्मानित साहित्यकार को पांच लाख रुपये की पुरस्कार राशि प्रदान की गई।
मुख्यमंत्री ने हिंदी दिवस पर प्रदेश के 176 मेधावी छात्रों को भी सम्मानित किया। इनमें हाईस्कूल और इंटर परीक्षा में हिंदी में सर्वोच्च अंक पाने वाले छात्र-छात्राएं शामिल थे। इसके साथ ही भाषाई प्रतियोगिताओं में श्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले विद्यार्थियों को भी प्रोत्साहित किया गया। उन्होंने बताया कि बीते दो वर्षों में सरकार ने 62 साहित्यकारों को पुस्तकों के प्रकाशन हेतु अनुदान दिया है और इस वर्ष 25 लाख रुपये का विशेष बजट भी पुस्तक प्रकाशन के लिए रखा गया है।

अपने संबोधन में धामी ने उत्तराखंड की समृद्ध साहित्यिक परंपरा को याद करते हुए सुमित्रानंदन पंत, महादेवी वर्मा, शिवानी, गिर्दा, शैलेश मटियानी और शेरदा अनपढ़ जैसे रचनाकारों का स्मरण किया। उन्होंने कहा कि समकालीन दौर में प्रसून जोशी, अतुल शर्मा और उनियाल जैसे लेखक इस परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि सरकार दो साहित्य ग्रामों की स्थापना करेगी, जिनमें साहित्यकारों के लिए आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। इससे न केवल साहित्यकारों को शोध और लेखन में सुविधा होगी बल्कि उत्तराखंड को साहित्यिक पर्यटन केंद्र के रूप में भी विकसित किया जाएगा।

धामी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार जताते हुए कहा कि उनके नेतृत्व में देश की सांस्कृतिक और साहित्यिक पहचान को नया सम्मान मिला है। उन्होंने साहित्यकारों से आह्वान किया कि वे अपनी लेखनी से हिंदी को विश्व की प्रमुख भाषा बनाने में योगदान दें और अपनी रचनाओं के माध्यम से समाज और राष्ट्र के भविष्य को सशक्त बनाएं।
समारोह में कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल, विधायक खजान दास, सचिव नीरज खैरवाल, भाषा संस्थान की निदेशक जसविंदर कौर सहित प्रदेश के अनेक शिक्षाविद्, साहित्यकार और संस्कृति प्रेमी उपस्थित रहे। पूरा आयोजन हिंदी भाषा और साहित्य की समृद्ध धरोहर के संरक्षण और संवर्धन की दिशा में राज्य सरकार की प्रतिबद्धता का प्रतीक बना।
 
                      
                     