• December 2, 2025

Uttarakhand Lok Virasat: उत्तराखंड लोक विरासत–2025, सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा—लोक संस्कृति हमारी पहचान, संरक्षण सामूहिक जिम्मेदारी

 Uttarakhand Lok Virasat: उत्तराखंड लोक विरासत–2025, सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा—लोक संस्कृति हमारी पहचान, संरक्षण सामूहिक जिम्मेदारी
Sharing Is Caring:

Uttarakhand Lok Virasat: उत्तराखंड लोक विरासत–2025, सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा—लोक संस्कृति हमारी पहचान, संरक्षण सामूहिक जिम्मेदारी

उत्तराखंड के सांस्कृतिक वैभव और लोक धरोहर को नई ऊर्जा देने के उद्देश्य से देहरादून स्थित सोशल बलूनी पब्लिक स्कूल में आयोजित “उत्तराखंड लोक विरासत–2025” कार्यक्रम का आयोजन उत्साहपूर्ण माहौल में हुआ, जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी शामिल हुए। कार्यक्रम स्थल पर पहुंचने पर मुख्यमंत्री का जनसमूह और आयोजकों द्वारा गर्मजोशी से स्वागत किया गया, जबकि विधायक विनोद चमोली सहित बड़ी संख्या में जनप्रतिनिधि और स्थानीय लोग उपस्थित रहे।

मुख्यमंत्री धामी ने मंच से संबोधित करते हुए कहा कि “उत्तराखंड लोक विरासत” केवल सांस्कृतिक आयोजन नहीं, बल्कि यह हमारी पहचान, हमारी जड़ों का उत्सव और हमारी पीढ़ियों को जोड़ने वाला जीवंत सेतु है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की लोक संस्कृति सदियों से जीवित परंपराओं, लोक नृत्यों, वेशभूषा, संगीत, त्यौहारों और लोक कलाओं में बसती है।
उन्होंने जोर देते हुए कहा कि झोड़ा, छपेली, चांचरी, पंवारी जैसे लोक नृत्य केवल कलात्मक शैली नहीं, बल्कि सामूहिकता, प्रेम, वीरता और सामाजिक मूल्यों की गहराई को दर्शाते हैं।

मुख्यमंत्री धामी ने उत्तराखंड की पारंपरिक वेशभूषा जैसे पिछोड़ा, घाघरा, फेटूआ, पगड़ी, तथा रिंगाल शिल्प, काष्ठ कला, चांदी के आभूषण और ऊनी वस्त्रों का उल्लेख करते हुए कहा कि ये केवल सांस्कृतिक धरोहर ही नहीं बल्कि राज्य की अर्थव्यवस्था का आधार भी हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि रिंगाल, काष्ठ कला, ऊनी उद्योग और धातुकला को वैश्विक मंच दिलाने के लिए सरकार निरंतर प्रयास कर रही है, जिससे स्थानीय कारीगरों और शिल्पकारों की आय में वृद्धि होगी।

धामी ने कहा कि बग्वाल, फूलदेई, हरेला, इगास–बग्वाल, मकर संक्रांति जैसे पर्व प्रकृति की पूजा और सामाजिक एकता का प्रतीक हैं। इनके संरक्षण और संवर्धन में जनता की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि लोक संस्कृति पीढ़ियों के बीच मूल्य और परंपराएँ स्थानांतरित करने का सबसे जीवंत माध्यम है।

मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश आज सांस्कृतिक पुनर्जागरण के स्वर्णिम दौर से गुजर रहा है। उन्होंने “विरासत भी–विकास भी” के मंत्र को भारत की सांस्कृतिक चेतना का सार बताया और कहा कि राम मंदिर, काशी विश्वनाथ धाम, महाकाल लोक और बदरी–केदार धाम का पुनर्विकास भारतीय आध्यात्मिक शक्ति के जागरण का सशक्त प्रमाण है।

कलाकारों को मजबूत करने के लिए राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री ने बताया कि हर छह माह में कलाकारों की नई सूची तैयार की जा रही है, ताकि सहायता और योजनाओं का लाभ बिना देरी के उन तक पहुंच सके। कोविड काल में लगभग 3,200 पंजीकृत कलाकारों को प्रतिमाह आर्थिक सहायता दी गई, जबकि 60 वर्ष से अधिक आयु वाले कलाकारों के लिए पेंशन व्यवस्था लागू की गई है।
युवा पीढ़ी को लोक कला से जोड़ने के लिए गुरु–शिष्य परंपरा के तहत प्रशिक्षण कार्यक्रम भी संचालित किए जा रहे हैं।

महिला सशक्तिकरण पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि लखपति दीदी योजना राज्य की बड़ी उपलब्धि है, जिसमें 1 लाख 68 हजार से अधिक महिलाएं आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन चुकी हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार “विकल्प रहित संकल्प” के साथ सांस्कृतिक, सामाजिक और आध्यात्मिक मूल्यों की सुरक्षा और संवर्धन के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कलाकारों और संस्कृति प्रेमियों से अपील की कि वे अपनी रचनात्मक क्षमता से समाज का मार्गदर्शन करें और उत्तराखंड की अनमोल विरासत को नई पीढ़ियों तक पहुंचाएं।

अंत में मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए सभी को धन्यवाद दिया, और कहा कि इस तरह के आयोजन लोक संस्कृति की जड़ों को और मजबूत करते हैं तथा सामाजिक एकता और गौरव की भावना को सुदृढ़ करते हैं। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में लोक कलाकार, जनप्रतिनिधि, शिक्षाविद और स्थानीय नागरिक उपस्थित रहे।

Sharing Is Caring:

Admin

https://nirmanshalatimes.com/

A short bio about the author can be here....

Related post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *