Uttarakhand Film Policy: उत्तराखण्ड में फिल्म उद्योग को मिलेगा बढ़ावा, राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव का प्रस्ताव तैयार
उत्तराखण्ड फिल्म विकास परिषद के संयुक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. नितिन उपाध्याय ने मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन से शिष्टाचार भेंट कर परिषद की गतिविधियों और भविष्य की योजनाओं की जानकारी दी। मुलाकात के दौरान मुख्य सचिव ने राज्य में फिल्म निर्माण से जुड़े इको सिस्टम को प्रोत्साहित करने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने निर्देश दिया कि भारत सरकार के सहयोग से राष्ट्रीय स्तर का फिल्म महोत्सव आयोजित करने हेतु प्रस्ताव तैयार किया जाए, जिससे उत्तराखण्ड को फिल्म जगत में और अधिक पहचान मिल सके।
मुख्य सचिव ने यह भी कहा कि दूरस्थ पर्वतीय क्षेत्रों में कम लागत वाले सिनेमा हॉल की स्थापना पर विचार किया जाए ताकि स्थानीय लोगों को मनोरंजन और सांस्कृतिक गतिविधियों का अवसर मिले। इसके साथ ही उन्होंने सुझाव दिया कि राज्य के युवाओं और कलाकारों को फिल्म निर्माण और अभिनय के क्षेत्र में अधिक अवसर प्रदान किए जाएं।
बैठक में डॉ. नितिन उपाध्याय ने मुख्य सचिव को राज्य की फिल्म नीति के क्रियान्वयन की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि उत्तराखण्ड में फिल्म निर्माण के लिए अनुमति प्रक्रिया को आसान और पारदर्शी बनाने के लिए सिंगल विंडो सिस्टम पहले से लागू है। इसके कारण फिल्मकारों को सुविधा मिल रही है और वे राज्य में अधिक संख्या में प्रोजेक्ट्स करने के लिए प्रेरित हो रहे हैं।
डॉ. उपाध्याय ने बताया कि बीते एक वर्ष में प्रदेश में लगभग 30 क्षेत्रीय फिल्मों का निर्माण हुआ है या निर्माणाधीन है। इसके अलावा कई बड़े बैनर और बड़े बजट की हिंदी फिल्में तथा वेब सीरीज़ भी उत्तराखण्ड की वादियों में शूट की जा रही हैं। यहां की प्राकृतिक सुंदरता और प्रशासनिक सहयोग फिल्मकारों को आकर्षित कर रहे हैं, जिससे राज्य तेजी से फिल्म उद्योग का नया हब बनता जा रहा है।
फिल्म महोत्सव के आयोजन और नए सिनेमा हॉल की संभावनाओं पर विचार से उत्तराखण्ड न केवल सांस्कृतिक दृष्टि से बल्कि पर्यटन और रोजगार की दिशा में भी बड़ी उपलब्धि हासिल कर सकता है। आने वाले समय में यह प्रदेश देश और दुनिया के फिल्मकारों का पसंदीदा गंतव्य बनने की ओर अग्रसर है।