• November 22, 2025

Uttarakhand Dairy Success: धामी सरकार की पहल, कुल्हा डेयरी समिति को राष्ट्रीय गोपाल रत्न पुरस्कार 2025

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Uttarakhand Dairy Success: धामी सरकार की पहल, कुल्हा डेयरी समिति को राष्ट्रीय गोपाल रत्न पुरस्कार 2025

उत्तराखंड ने राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान मजबूत की है। मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के पशुपालन एवं डेयरी विभाग द्वारा घोषित राष्ट्रीय गोपाल रत्न पुरस्कार (एनजीआरए) 2025 में जनपद ऊधम सिंह नगर की दूध उत्पादक सहकारी समिति लिमिटेड, कुल्हा ने सर्वश्रेष्ठ डेयरी सहकारी समिति/दूध उत्पादक/डेयरी किसान उत्पादक संगठन (पूर्वोत्तर/हिमालयी श्रेणी) में प्रथम स्थान प्राप्त किया। यह पुरस्कार देश के पशुधन और डेयरी क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए दिया जाता है।

कुल्हा डेयरी समिति महिला नेतृत्व का एक सशक्त उदाहरण है। वर्ष 1991 से संचालित इस समिति की 300 से अधिक सदस्य महिलाएँ हैं, जिनमें से सभी सक्रिय रूप से उत्पादन और प्रबंधन में योगदान देती हैं। समिति की अध्यक्ष द्रोपती देवी पिछले 15 वर्षों से लगातार निर्विरोध चुनी जा रही हैं, जो ग्रामीण महिलाओं के सशक्तिकरण का प्रेरणादायक उदाहरण प्रस्तुत करती हैं।

समिति का दूध उत्पादन हमेशा उत्कृष्ट रहा है। वर्तमान में यह प्रतिदिन लगभग 1100 लीटर दूध की आपूर्ति कर रही है। गुणवत्ता, पारदर्शी कार्यप्रणाली और उत्कृष्ट प्रबंधन के कारण यह डेयरी कभी भी नुकसान में नहीं रही। प्रत्येक वर्ष लाभ अर्जित कर समिति अपने सदस्यों को बोनस वितरित करती है। इस वर्ष सभी सदस्यों को कुल 2,41,000 रुपये का बोनस प्रदान किया गया।

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उत्तराखंड सरकार और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में राज्य में डेयरी और पशुपालन क्षेत्र को सशक्त बनाने के निरंतर प्रयासों का प्रतिफल है कि कुल्हा डेयरी जैसी समितियाँ राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित हो रही हैं। यह प्रथम पुरस्कार पूर्वोत्तर और हिमालयी क्षेत्र के 11 राज्यों में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के आधार पर मिला, जिसमें 2 लाख रुपये की राशि भी प्रदान की गई।

समिति पशुधन के उपचार की सभी व्यवस्थाएँ स्वयं के चिकित्सकों के माध्यम से करती है और पशुओं के लिए साइलेंज, पशु आहार जैसी आवश्यक सामग्री दुग्ध विकास विभाग के माध्यम से उपलब्ध कराती है। विभाग के सभी निर्देशों का पूर्ण पालन समिति द्वारा किया जाता है।

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कुल्हा दूध उत्पादक सहकारी समिति केवल दूध उत्पादन तक सीमित नहीं है। यह ग्रामीण महिलाओं की आर्थिक आत्मनिर्भरता, नेतृत्व क्षमता और सामुदायिक विकास का जीवंत प्रतीक भी है। धामी सरकार की महिला सशक्तिकरण नीतियों ने ऐसे संगठनों को नई ऊँचाइयाँ प्रदान की हैं, जिससे ग्रामीण क्षेत्र में विकास और सशक्तिकरण की नई दिशा स्थापित हुई है।

कविता जोशी (सदस्य, दूध उत्पादक सहकारी समिति, कुल्हा)
राजेश मेहता (महाप्रबंधक, दुग्ध विकास विभाग, उत्तराखंड)

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