Uttarakhand Diabetes Initiative: उत्तराखंड टाइप-1 डायबिटीज से प्रभावित बच्चों के लिए उम्मीद का केंद्र बना, धामी सरकार की अनूठी पहल
Uttarakhand Diabetes Initiative: उत्तराखंड टाइप-1 डायबिटीज से प्रभावित बच्चों के लिए उम्मीद का केंद्र बना, धामी सरकार की अनूठी पहल
उत्तराखंड ने टाइप-1 डायबिटीज (T1D) प्रबंधन में एक नई मिसाल कायम की है। विश्व मधुमेह दिवस के अवसर पर राज्य सरकार ने बच्चों, किशोरों और युवाओं के लिए पहली बार राज्य स्तरीय तकनीकी और संचालन संबंधी गाइडलाइन जारी की। यह कदम टाइप-1 डायबिटीज से प्रभावित लोगों के लिए व्यवस्थित, वैज्ञानिक और समग्र स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।
देहरादून में आयोजित राज्य स्तरीय कार्यक्रम में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM), चिकित्सक विशेषज्ञ और विकास भागीदारों ने भाग लिया। अधिकारियों ने बताया कि टाइप-1 डायबिटीज मुख्य रूप से बच्चों और युवाओं में पाई जाती है और उपचार में किसी भी प्रकार की देरी या कमी जीवन के लिए खतरे का कारण बन सकती है। राज्य की चुनौतीपूर्ण पर्वतीय भौगोलिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए एक मानकीकृत और समग्र मॉडल की लंबे समय से आवश्यकता महसूस की जा रही थी।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में उत्तराखंड में “GUBARA Clinics” की स्थापना की गई है। यह देश के सबसे संवेदनशील और प्रभावी डायबिटीज देखभाल मॉडलों में से एक माना जा रहा है। GUBARA क्लीनिक टाइप-1 डायबिटीज से प्रभावित लोगों को एक ही स्थान पर सभी आवश्यक सेवाएं प्रदान करता है, जिसमें नियमित इंसुलिन थेरेपी, शुगर मॉनिटरिंग, निर्धारित अंतराल पर मेडिकल चेकअप, पोषण विशेषज्ञों द्वारा डाइट परामर्श, मनोवैज्ञानिक काउंसलिंग, परिवार परामर्श और मासिक फॉलो-अप शामिल हैं।
देहरादून जिले में 200 टाइप-1 डायबिटीज से प्रभावित बच्चों और युवाओं की पहचान कर उन्हें GUBARA क्लीनिक में नामांकित किया गया है। सरकार का लक्ष्य 2026-27 तक राज्य में 1,120 ऐसे व्यक्तियों तक इस कार्यक्रम की सेवाएं पहुँचाना है। देहरादून, हरिद्वार, बागेश्वर और उधमसिंहनगर सहित कई जिलों में GUBARA क्लीनिक पहले से सक्रिय हैं और लोगों को इसका प्रत्यक्ष लाभ मिल रहा है।
राज्य द्वारा जारी गाइडलाइन ने टाइप-1 डायबिटीज प्रबंधन को पेशेवर, सरल और समान रूप से लागू होने वाली प्रणाली में बदल दिया है। इसमें T1D के निदान और उपचार के लिए मानकीकृत चिकित्सकीय प्रोटोकॉल, सभी जिला अस्पतालों में GUBARA क्लीनिक चलाने हेतु संचालन संबंधी दिशा-निर्देश, ASHA, CHO, MO सहित स्वास्थ्य कर्मियों की स्पष्ट भूमिका, RBSK एवं सामुदायिक टीमों के माध्यम से मजबूत स्क्रीनिंग, नि:शुल्क इंसुलिन और शुगर मॉनिटरिंग उपकरणों की उपलब्धता, प्रभावित लोगों और उनके परिवारों के लिए संरचित परामर्श मॉड्यूल और राज्यभर में समान मॉनिटरिंग एवं रिपोर्टिंग प्रणाली शामिल है।
गाइडलाइन जारी होने के बाद सभी जिलों में ओरिएंटेशन कार्यक्रम शुरू होंगे, स्वास्थ्य प्रदाताओं का प्रशिक्षण बढ़ेगा और GUBARA क्लीनिकों का राज्यभर में विस्तार किया जाएगा। इसके साथ ही समुदाय स्तर पर जागरूकता और शुरुआती पहचान पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। इस पहल से उत्तराखंड आने वाले वर्षों में टाइप-1 डायबिटीज प्रबंधन में एक राष्ट्रीय मॉडल राज्य के रूप में स्थापित होने की दिशा में तेजी से बढ़ रहा है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उत्तराखंड का कोई भी बच्चा इलाज के अभाव में पीड़ा नहीं झेलेगा। GUBARA क्लीनिक टाइप-1 डायबिटीज से प्रभावित बच्चों के लिए एक संवेदनशील और मानवीय पहल है और यह कार्यक्रम पूरे राज्य में बच्चों के स्वास्थ्य, शिक्षा और भविष्य को सुरक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार ने कहा कि राज्य ने टाइप-1 डायबिटीज जैसे जटिल विषय को लेकर जो समग्र मॉडल अपनाया है, वह पूरे देश के लिए उदाहरण बनेगा। सर्वेक्षण, प्रशिक्षण, उपचार और परिवार समर्थन तंत्र को मजबूत करते हुए स्वास्थ्य परिणामों में महत्वपूर्ण सुधार लाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।