UP: उत्तर प्रदेश बनेगा आयुष के बढ़ते बाजार का अग्रणी खिलाड़ी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का बड़ा कदम
लखनऊ, 20 अप्रैल। प्रयागराज महाकुंभ, अयोध्या में रामलला मंदिर और काशी विश्वनाथ कॉरिडोर जैसे ऐतिहासिक धार्मिक पर्यटन स्थलों के बाद अब उत्तर प्रदेश का फोकस हेल्थ टूरिज्म पर है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने आयुर्वेद और आयुष पर विशेष ध्यान केंद्रित किया है, जिससे प्रदेश को एक नए स्तर पर स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में स्थापित किया जा सके। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में एक कार्यक्रम में कहा था, “धर्म के बाद अब उत्तर प्रदेश हेल्थ टूरिज्म में भी नंबर एक बनेगा। इसके लिए हमें अपनी पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों, जैसे आयुर्वेद और दादी-नानी के नुस्खों को संरक्षित करना होगा। क्योंकि एक स्वस्थ शरीर ही सबसे बड़ा सुख है।” योगी सरकार की यह मंशा है कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में प्रदेश को एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित केंद्र बनाया जाए, जिससे न सिर्फ प्रदेश बल्कि देश और दुनिया को आयुष के माध्यम से स्वास्थ्य लाभ मिल सके।
आयुष क्षेत्र की संभावनाएं और योग का योगदान
आयुष, या आयुर्वेद, योग, यूनानी, होम्योपैथी और सिद्ध चिकित्सा पद्धतियों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसे पूरी दुनिया में तेजी से स्वीकारा जा रहा है। आयुर्वेद और योग की बढ़ती लोकप्रियता ने इसे वैश्विक स्तर पर एक खास पहचान दिलाई है। योग, जो कि भारत की प्राचीन धरोहर है, आज पूरी दुनिया में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस (21 जून) के रूप में मनाया जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा हर्बल उत्पादों को मान्यता देना भारत के लिए एक अहम अवसर साबित हो सकता है। योगी सरकार का मानना है कि आयुर्वेद का यह वैश्विक विस्तार आने वाले वर्षों में और भी बढ़ेगा, जिससे प्रदेश को आयुष के क्षेत्र में अग्रणी स्थान प्राप्त होगा।
आयुष उत्पादों के वैश्विक बाजार में अभूतपूर्व वृद्धि
आयुष का वैश्विक बाजार आज अभूतपूर्व गति से बढ़ रहा है। 2014 में आयुष उत्पादों का वैश्विक बाजार 2.85 अरब अमेरिकी डॉलर था, जो 2024 में बढ़कर 43.4 अरब डॉलर का हो गया है, यानी पिछले 10 वर्षों में इसमें 15 गुना वृद्धि हुई है। इस वृद्धि में कोविड-19 महामारी के बाद एक जबरदस्त उछाल आया है। आंकड़े बताते हैं कि अब भारत के हर्बल उत्पाद 100 से अधिक देशों में निर्यात हो रहे हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि आयुष के प्रति वैश्विक जागरूकता और स्वीकृति बढ़ रही है। इसी वृद्धि को देखते हुए योगी सरकार को पूरा भरोसा है कि उत्तर प्रदेश आयुर्वेद के क्षेत्र में अग्रणी बनेगा और यह राज्य स्वास्थ्य और वेलनेस टूरिज्म का प्रमुख केंद्र बन सकता है।
आयुष के क्षेत्र में विकास के प्रयास
योगी सरकार ने इस क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। गोरखपुर में महायोगी गुरु गोरखनाथ के नाम पर प्रदेश का पहला आयुष विश्वविद्यालय लगभग तैयार हो चुका है। इस विश्वविद्यालय का उद्घाटन 21 अगस्त 2021 को तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने किया था। इस विश्वविद्यालय में नियमित ओपीडी सेवाएं भी शुरू हो चुकी हैं, और उम्मीद जताई जा रही है कि इस साल के अंत तक यह विश्वविद्यालय पूरी क्षमता से कार्य करना शुरू कर देगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का मानना है कि आयुष चिकित्सा पद्धति न केवल शारीरिक स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि इससे हेल्थ टूरिज्म में रोजगार के कई अवसर भी पैदा होंगे।
आयुष विश्वविद्यालय का महत्व
गोरखपुर स्थित आयुष विश्वविद्यालय, न सिर्फ इस क्षेत्र में शिक्षा का स्तर ऊंचा करेगा, बल्कि अन्य आयुष संस्थानों का समन्वय और एकरूपता लाकर शोध और नवाचार को भी बढ़ावा देगा। यहां सर्टिफिकेट, डिप्लोमा और डिग्री कोर्स चलाए जाएंगे, जिससे छात्रों को रोजगार के नए अवसर मिल सकेंगे। योगी सरकार ने पहले ही आयुष बोर्ड का गठन किया है, जो इस क्षेत्र के विकास और प्रोत्साहन के लिए काम करेगा।
अयोध्या और वाराणसी में नए आयुष कॉलेज
गोरखपुर के अलावा, अयोध्या में आयुर्वेदिक कॉलेज और वाराणसी में होम्योपैथिक कॉलेज भी जल्द ही खुलने जा रहे हैं। इसके अतिरिक्त प्रदेश में 2110 आयुर्वेदिक, 254 यूनानी और 1585 होम्योपैथिक चिकित्सा केंद्र कार्यरत हैं। साथ ही आठ आयुर्वेदिक कॉलेज, दो यूनानी कॉलेज और 9 होम्योपैथिक कॉलेज भी कार्यरत हैं। इन संस्थाओं के खुलने से प्रदेश में आयुष शिक्षा और चिकित्सा सेवाओं की गुणवत्ता में और सुधार होगा।
किसानों और उद्यमियों के लिए अवसर
आयुष के बढ़ते व्यापार से प्रदेश में औषधीय पौधों की खेती को प्रोत्साहन मिलेगा। स्थानीय स्तर पर कुटीर उद्योग स्थापित होंगे, जो इन पौधों के प्रसंस्करण, पैकेजिंग, मार्केटिंग और वितरण से जुड़े रोजगार के अवसर पैदा करेंगे। इससे किसानों और छोटे उद्यमियों को आर्थिक लाभ होगा।
गोरक्षपीठ की परंपरा में आयुष का योगदान
गोरक्षपीठ की परंपरा में योग और आयुर्वेद दोनों का अहम स्थान है। योगी आदित्यनाथ, जो गोरखपुर स्थित गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर भी हैं, ने इस परंपरा को और आगे बढ़ाया है। इस पीठ में नियमित रूप से योग का प्रशिक्षण दिया जाता है, और एक विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित किया जाता है। यहां आयुर्वेदिक उपचार और योग का संयुक्त रूप से अभ्यास किया जाता है, जिससे लोगों को शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य की पूरी जानकारी मिलती है।
उत्तर प्रदेश आयुष के क्षेत्र में अपनी परंपराओं और चिकित्सा पद्धतियों को विश्व स्तर पर स्थापित करने के लिए कृतसंकल्पित है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में प्रदेश को आयुष और हेल्थ टूरिज्म का केंद्र बनाने के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं, जिससे न केवल प्रदेश की समृद्धि बढ़ेगी, बल्कि यहां के लोगों को भी नई स्वास्थ्य सेवाओं और रोजगार के अवसर मिलेंगे।