UP Education Scheme: यूपी में शिक्षकों को मिलेगा कैशलेस इलाज का तोहफ़ा, प्रस्ताव पर काम तेज़

UP Education Scheme: यूपी में शिक्षकों को मिलेगा कैशलेस इलाज का तोहफ़ा, प्रस्ताव पर काम तेज़
उत्तर प्रदेश सरकार शिक्षकों और शिक्षा से जुड़े कर्मचारियों के लिए एक बड़ी सौगात देने जा रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पहले ही घोषणा की थी कि बेसिक, माध्यमिक और उच्च शिक्षा के शिक्षकों के साथ शिक्षामित्रों, अनुदेशकों और रसोइयों को भी कैशलेस चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। अब इस घोषणा को अमल में लाने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ाए जा रहे हैं। बेसिक शिक्षा विभाग और माध्यमिक शिक्षा विभाग मिलकर इस योजना के लिए विस्तृत प्रस्ताव तैयार कर रहे हैं।
योजना का उद्देश्य यह है कि शिक्षकों और उनके परिवार के सदस्यों को किसी भी गंभीर बीमारी या आकस्मिक स्थिति में बिना नकद भुगतान किए बेहतर चिकित्सा सुविधा प्राप्त हो सके। प्रस्ताव के लागू होते ही प्रदेश के लगभग 9 से 10 लाख शिक्षकों को इसका प्रत्यक्ष लाभ मिलेगा। विभागीय अधिकारी अभी वास्तविक लाभार्थियों की सटीक संख्या तय करने की प्रक्रिया में हैं। अंतिम प्रस्ताव तैयार होने के बाद इसे शासन को भेजा जाएगा, जिसके बाद मंजूरी मिलने पर आगे की कार्यवाही शुरू होगी।
वर्तमान आंकड़ों के अनुसार, प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में इस समय 3,38,590 शिक्षक कार्यरत हैं, जबकि 79 हजार से अधिक पद खाली पड़े हैं। उच्च प्राथमिक विद्यालयों में 1,20,860 शिक्षक काम कर रहे हैं और यहां 41 हजार पद रिक्त हैं। इसके अतिरिक्त 1,42,450 शिक्षामित्र और 25 हजार अनुदेशक अपनी सेवाएं दे रहे हैं। वहीं एडेड माध्यमिक कॉलेजों में 65 हजार शिक्षक कार्यरत हैं। यदि यह योजना लागू होती है तो न केवल शिक्षकों को बल्कि उनके आश्रित परिवार के सदस्यों को भी बड़ी राहत मिलेगी।
शिक्षक संगठनों ने सरकार के इस निर्णय का स्वागत किया है। उनका कहना है कि लंबे समय से शिक्षकों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने की मांग की जा रही थी। अक्सर छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों में कार्यरत शिक्षक गंभीर बीमारियों की स्थिति में आर्थिक संकट झेलते हैं, ऐसे में कैशलेस इलाज की सुविधा उनके जीवन में बड़ा सहारा साबित होगी। विशेषज्ञों का मानना है कि इस योजना से शिक्षकों का मनोबल बढ़ेगा और वे शिक्षा कार्य में और अधिक समर्पण से जुड़ सकेंगे।
जल्द ही यह प्रस्ताव शासन को भेजा जाएगा और उम्मीद जताई जा रही है कि मंजूरी मिलने के बाद अगले वित्तीय वर्ष की शुरुआत में इस योजना को लागू कर दिया जाएगा। यह कदम न केवल शिक्षकों बल्कि पूरे शिक्षा जगत के लिए मील का पत्थर साबित हो सकता है।