Transform Rural India: लखनऊ विश्वविद्यालय में ग्रामीण नवाचार, महिला नेतृत्व और विकसित यूपी पर होगा राष्ट्रीय मंथन

Transform Rural India: लखनऊ विश्वविद्यालय में ग्रामीण नवाचार, महिला नेतृत्व और विकसित यूपी पर होगा राष्ट्रीय मंथन
लखनऊ विश्वविद्यालय एक बार फिर सामाजिक परिवर्तन और नीतिगत संवाद का केंद्र बनने जा रहा है। शनिवार को यहां इंडिया रूरल कोलॉक्वी 2025 का आयोजन किया जाएगा, जिसे ट्रांसफॉर्म रूरल इंडिया (TRI) संस्था द्वारा आयोजित किया जा रहा है। यह आयोजन ग्रामीण भारत के समावेशी और सतत विकास को लेकर देशभर के नीति निर्माता, सामाजिक संगठन, युवा नवोन्मेषक और शिक्षाविदों को एक मंच पर लाने का एक बड़ा प्रयास है।
कोलॉक्वी में इस बार खासतौर पर उत्तर प्रदेश को केंद्र में रखते हुए ‘विकसित यूपी’ की परिकल्पना पर चर्चा की जाएगी, जिसमें यह विचार किया जाएगा कि कैसे प्रदेश के गांव आर्थिक विकास के इंजन बन सकते हैं। इसके साथ ही ग्रामीण उद्यमिता को आत्मनिर्भर भारत की रीढ़ मानते हुए इस पर भी गहन मंथन होगा कि युवाओं और खासतौर पर महिलाओं को कैसे मजबूत और स्वतंत्र उद्यमी बनाया जा सकता है।
कार्यक्रम में सीएम युवा योजना को विशेष रूप से रेखांकित किया जाएगा, जिसके अंतर्गत युवाओं, खासतौर पर ग्रामीण महिलाओं को स्वरोजगार, प्रशिक्षण और वित्तीय सहायता के माध्यम से सशक्त बनाया जा रहा है। इस योजना को ग्रामीण अर्थव्यवस्था में बदलाव का एक मॉडल माना जा रहा है। इसके साथ ही महिला नेतृत्व वाले एफपीओ यानी फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गनाइजेशन की भूमिका पर भी चर्चा होगी, जो अब ग्रामीण बाजारों को नया आकार दे रहे हैं और कृषि मूल्य श्रृंखलाओं को बेहतर बना रहे हैं।
पूर्व संस्करणों की तरह इस बार भी इंडिया रूरल कोलॉक्वी में देश के कई प्रमुख जनप्रतिनिधि, वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी, आर्थिक और सामाजिक विशेषज्ञ शामिल होंगे। पिछले वर्षों में केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक, भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार और कृषि उत्पादन आयुक्त जैसी हस्तियां इस मंच पर आकर अपने विचार रख चुकी हैं। इस बार भी कई ऐसे महत्वपूर्ण वक्ता और प्रतिनिधि भाग लेंगे जो ग्रामीण भारत के भविष्य को लेकर व्यापक अनुभव और दृष्टि रखते हैं।
यह आयोजन केवल संवाद का माध्यम नहीं, बल्कि नीति निर्माण, भागीदारी और स्केलेबल मॉडलों के विकास की दिशा में सुझाव देने वाला ठोस मंच है। इस संवाद से यह अपेक्षा की जा रही है कि ग्रामीण भारत की आवाज़ सिर्फ मंच तक सीमित न रहकर केंद्र और राज्य सरकारों की नीतियों तक पहुंचे और देश की विकास प्रक्रिया में गांवों की निर्णायक भूमिका सुनिश्चित हो।