Gorakhpur Farmer Success Story: गांव वालों के ताने बने प्रेरणा: गोरखपुर के किसान सागर यादव ने परवल की खेती से कमाए करोड़ों, बदली गांव की तस्वीर

Gorakhpur Farmer Success Story: गांव वालों के ताने बने प्रेरणा: गोरखपुर के किसान सागर यादव ने परवल की खेती से कमाए करोड़ों, बदली गांव की तस्वीर
गोरखपुर जिले के चौरीचौरा तहसील के पुरनाहा गांव के किसान सागर यादव की कहानी संघर्ष, मेहनत और आत्मविश्वास का जीवंत उदाहरण है। कभी गांव के लोग उनका मजाक उड़ाते थे, लेकिन आज वही लोग उनकी सफलता को नमन कर रहे हैं। सागर यादव ने परवल की खेती से न केवल अपनी जिंदगी बदल डाली, बल्कि पूरे गांव और आसपास के इलाके को समृद्धि की राह दिखा दी।
सागर यादव ने वर्ष 2010 में महज एक एकड़ जमीन पर परवल की खेती शुरू की थी। शुरुआती पांच साल तक उन्हें उपेक्षा, अपमान और तानों का सामना करना पड़ा। गांव के लोग कहते थे कि परवल से कोई बड़ा फायदा नहीं होगा। लेकिन सागर ने हार नहीं मानी। धीरे-धीरे खेती का दायरा बढ़ाया और अपनी मेहनत से यह साबित कर दिया कि संकल्प और सही तकनीक के बल पर असंभव भी संभव है।
आज पुरनाहा गांव ही नहीं, आसपास के छह गांवों में भी परवल की खेती बड़े पैमाने पर हो रही है। सागर यादव बताते हैं कि अब उनके छोटे से गांव में 21 ट्रैक्टर हैं और 400 से ज्यादा किसान परवल की खेती कर रहे हैं। यही नहीं, करीब 80% किसानों ने इस खेती को अपनाकर हर साल लाखों रुपये की कमाई शुरू कर दी है।
सागर ने बताया कि पिछले साल 7 एकड़ में उन्होंने 31 लाख रुपये का परवल बेचा। इस साल उन्होंने 9 एकड़ में 2300 बोरे परवल बेचकर करीब 20 लाख रुपये कमाए। हालांकि, इस साल बाजार में मंदी रही, फिर भी उनकी आय लाखों में रही। अब तक वे परवल की खेती से 1 करोड़ रुपये से अधिक की कमाई कर चुके हैं और यह आंकड़ा आने वाले वर्षों में और बढ़ेगा।
उनके पास अब अपनी मिनी पिकअप गाड़ियां हैं, जिनसे वे सीधे गोरखपुर मंडी तक परवल पहुंचाते हैं। कई बार व्यापारी सीधे उनके खेत से ही पूरा माल खरीद लेते हैं। इस तरह वे न केवल आत्मनिर्भर बने, बल्कि गांव के लिए प्रेरणा का केंद्र भी बन गए।
सागर यादव का कहना है कि परवल की खेती में पानी की ज्यादा आवश्यकता नहीं होती। अगस्त-सितंबर में बुवाई करने के बाद अक्टूबर-नवंबर में फसल आनी शुरू हो जाती है और मार्च से उत्पादन चरम पर पहुंच जाता है। नियमित सिंचाई और जैविक कीटनाशकों का प्रयोग खेती को सफल बनाता है। जैविक खेती से न केवल उत्पादन बेहतर होता है बल्कि फल का स्वाद भी अच्छा बना रहता है।
उन्होंने यह भी बताया कि परवल की उन्नत किस्में जैसे स्वर्ण रेखा, बनारसी, पूसा हाइब्रिड और स्वर्ण रेखा-2 किसानों के लिए बेहद लाभकारी हैं। इनसे पैदावार ज्यादा होती है और बाजार में अच्छे दाम भी मिलते हैं। यही कारण है कि गोरखपुर जिले में परवल की खेती अब किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है।
सागर यादव की कहानी इस बात का प्रमाण है कि अगर मन में दृढ़ संकल्प और हिम्मत हो, तो गांव की मिट्टी से भी करोड़ों की फसल उगाई जा सकती है।