• May 11, 2025

Uttarakhand: राजभवन की सर्वधर्म गोष्ठी में गूंजा एकता का संदेश, मुख्यमंत्री धामी और राज्यपाल गुरमीत सिंह ने की धर्मों की एकजुटता की सराहना

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देहरादून के राजभवन में शनिवार को एक ऐतिहासिक सर्वधर्म गोष्ठी का आयोजन हुआ, जिसमें मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) के साथ सभी धर्मों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। वर्तमान समय की चुनौतियों को देखते हुए इस गोष्ठी ने देश की एकता और अखंडता के प्रति सामूहिक प्रतिबद्धता को और मजबूत किया।

राज्यपाल गुरमीत सिंह ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि यह आयोजन सिर्फ एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि हमारे साझा उत्तरदायित्व की अभिव्यक्ति है। उन्होंने कहा कि आज यहां हम सभी धर्म, जाति और संप्रदाय की सीमाओं से ऊपर उठकर एक साथ खड़े हैं, और यह दृश्य हमारी सेना के उस अदम्य साहस और मनोबल का प्रतीक है, जो सीमाओं पर देश की आत्मा की रक्षा करता है। एक सैनिक के अनुभव साझा करते हुए उन्होंने कहा कि उसकी सबसे बड़ी ताकत उसका परिवार, देश और मनोबल होता है और आज की यह गोष्ठी उन सैनिकों के हौसले को और सशक्त कर रही है।

राज्यपाल ने कहा कि सभी धर्मों का मूल संदेश एक ही है — एकता, शांति और करुणा। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि हिन्दू धर्म ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः’ की शिक्षा देता है, सिख धर्म ‘एकम’ की भावना से सबको देखता है, बुद्ध ‘अपने दीपक खुद बनो’ का संदेश देते हैं, जैन धर्म अहिंसा को परम धर्म मानता है, इस्लाम भाईचारे की शिक्षा देता है और ईसाई धर्म शांति फैलाने की प्रेरणा देता है। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारतीय सेना आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक प्रहार कर रही है और हमारी बेटियां, कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह, इस अभियान का नेतृत्व कर देश की शक्ति और मातृशक्ति दोनों का प्रतीक बन रही हैं।

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मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने संबोधन में कहा कि जब भी देश पर संकट आता है, तब भारतवासी धर्म, जाति, भाषा और क्षेत्र की सीमाओं से ऊपर उठकर एकजुट हो जाते हैं। उन्होंने वेदों का उद्धरण देते हुए कहा, “संगच्छ ध्वं संवदद ध्वं सं वो मनांसि जानताम्”, यानी हम सब मिलकर आगे बढ़ें, एक मन से विचार करें और एक लक्ष्य की ओर बढ़ें। मुख्यमंत्री ने धर्म का वास्तविक उद्देश्य समाज में सत्य, प्रेम, करुणा और समरसता की स्थापना बताया।

मुख्यमंत्री ने भारतीय इतिहास के उदाहरणों से धर्म की ताकत को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि त्रेतायुग में भगवान श्रीराम ने रावण का अंत कर धर्म की स्थापना की थी, द्वापरयुग में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को धर्मयुद्ध के लिए प्रेरित किया था। गुरु गोविंद सिंह ने धर्म और देश की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व बलिदान किया, ईसा मसीह ने प्रेम और क्षमा का संदेश दिया और पैगम्बर मोहम्मद साहब ने समरसता का मार्ग दिखाया। उन्होंने कहा कि अधर्म के विरुद्ध खड़ा होना ही सच्चे धर्म का पालन है और भारत हमेशा सत्य और न्याय के पक्ष में खड़ा रहा है।

मुख्यमंत्री धामी ने उत्तराखंड की वीर भूमि का स्मरण करते हुए कहा कि हमारे सैनिकों ने हर संघर्ष में देश का मान बढ़ाया है और आज का समय है कि हम भी उनके साथ मज़बूती से खड़े हों।

परमार्थ निकेतन के स्वामी चिदानंद मुनि ने कहा कि पूजा पद्धति भले ही अलग हो, लेकिन भक्ति का मार्ग सिर्फ राष्ट्रभक्ति में मिलता है। उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स ने कहा कि भारत से सुंदर कोई देश नहीं और हम सब भारत माता की संतान हैं।

बौद्ध धर्मावली श्री सोनम चोग्याल, ईसाई प्रतिनिधि ब्रदर जोसेफ एम. जोसेफ और सिख समुदाय के सरदार गुरबक्श सिंह राजन ने भी अपने विचार रखते हुए भारत की एकता, अखंडता और संप्रभुता को बनाए रखने की प्रार्थना की। कार्यक्रम में राज्यपाल के सचिव रविनाथ रमन, महानिदेशक सूचना बंशीधर तिवारी सहित विभिन्न धर्मों के अनुयायी और समाजसेवी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। राजभवन का यह आयोजन एक सशक्त संदेश बनकर उभरा कि भारत की आत्मा उसकी विविधता में नहीं, बल्कि उस विविधता में निहित एकता में बसती है।

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