Nirbhaya Fund: सरकार ने महिलाओं की सुरक्षा बढ़ाने के लिए निर्भया फंड के तहत योजनाएं लागू कीं, निर्भया फंड का करीब 76% हिस्सा इस्तेमाल किया

Nirbhaya Fund: सरकार ने महिलाओं की सुरक्षा बढ़ाने के लिए निर्भया फंड के तहत योजनाएं लागू कीं, निर्भया फंड का करीब 76% हिस्सा इस्तेमाल किया
वित्त वर्ष 2024-25 तक निर्भया फंड के तहत कुल 7712.85 करोड़ रुपये आवंटित किए गए, जिसमें से 5846.08 करोड़ रुपये का उपयोग किया गया है। यह राशि कुल आवंटन का लगभग 76% है। निर्भया फंड के तहत परियोजनाएं मांग-आधारित होती हैं, जिन्हें अधिकार प्राप्त समिति (ईसी) मूल्यांकित कर स्वीकृत करती है। इनमें कुछ योजनाएं केंद्रीय मंत्रालयों द्वारा संचालित की जाती हैं, जबकि अधिकांश योजनाओं को राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा लागू किया जाता है।
महिलाओं और लड़कियों की सुरक्षा बढ़ाने के लिए कई योजनाएं क्रियान्वित की गई हैं। मानव तस्करी की रोकथाम के लिए 827 मानव तस्करी विरोधी इकाइयां स्थापित की गई हैं। पुलिस थानों को महिलाओं के लिए अधिक अनुकूल बनाने के लिए 14,658 महिला सहायता डेस्क बनाई गई हैं, जिनमें से 13,743 का नेतृत्व महिला पुलिस अधिकारी कर रही हैं। साइबर अपराध से निपटने के लिए 33 राज्यों में साइबर फोरेंसिक सह प्रशिक्षण प्रयोगशालाएं स्थापित की गई हैं, जहां 24,264 व्यक्तियों को प्रशिक्षित किया गया है।
हिंसा से प्रभावित महिलाओं को सहायता प्रदान करने के लिए 802 वन-स्टॉप सेंटर (ओएससी) कार्यरत हैं, जिन्होंने अब तक 10.80 लाख से अधिक महिलाओं को मदद दी है। सभी 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में आपातकालीन प्रतिक्रिया सहायता प्रणाली (ईआरएसएस-112) की स्थापना की गई है, जिसमें अब तक 43 करोड़ से अधिक कॉल्स को संभाला गया है। इसके अलावा, 35 राज्यों में समर्पित महिला हेल्पलाइन (डब्ल्यूएचएल-181) कार्यरत हैं, जिन्होंने 2.10 करोड़ से अधिक कॉल्स का संचालन किया और 84.43 लाख से अधिक महिलाओं की सहायता की।
महिलाओं और बच्चों के खिलाफ जघन्य अपराधों के मामलों का त्वरित निपटारा सुनिश्चित करने के लिए 790 फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट (एफटीएससी) को मंजूरी दी गई, जिनमें से 745 कोर्ट कार्यरत हैं और 3,06,000 से अधिक मामलों का निपटारा कर चुकी हैं। निर्भया फंड के तहत राज्य मुआवजा योजनाओं का समर्थन करने के लिए 200 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं।
सार्वजनिक स्थानों को सुरक्षित बनाने के लिए ‘सुरक्षित शहर परियोजनाएं’ अहमदाबाद, बेंगलुरु, चेन्नई, दिल्ली, हैदराबाद, कोलकाता, लखनऊ और मुंबई में लागू की गई हैं। महिलाओं के लिए सुरक्षित परिवहन सुनिश्चित करने हेतु रेलवे और सड़क परिवहन परियोजनाएं, एकीकृत आपातकालीन प्रतिक्रिया प्रणाली (आईईआरएमएस), वीडियो निगरानी प्रणाली, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) आधारित चेहरे की पहचान प्रणाली (एफआरएस), कमांड-एंड-कंट्रोल सेंटर, और वाहन ट्रैकिंग प्लेटफॉर्म जैसी सुविधाएं लागू की गई हैं। ये कदम महिलाओं की सुरक्षा और सशक्तिकरण के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं।