Char Dham Yatra: चारधाम यात्रा को सुरक्षित, सुगम और सुव्यवस्थित बनाने को लेकर शासन प्रशासन ने कसी कमर

Char Dham Yatra: चारधाम यात्रा को सुरक्षित, सुगम और सुव्यवस्थित बनाने को लेकर शासन प्रशासन ने कसी कमर
चारधाम यात्रा को लेकर उत्तराखंड शासन और प्रशासन ने व्यापक तैयारियों के साथ कमर कस ली है। मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने शनिवार को सचिवालय स्थित सभागार में अधिकारियों के साथ बैठक कर यात्रा मार्गों की व्यवस्थाओं का गहन समीक्षा की। उन्होंने सभी संबंधित विभागों को निर्देश दिए कि वे समयबद्ध रूप से अपनी तैयारियां पूरी करें और यह सुनिश्चित करें कि श्रद्धालुओं को यात्रा के दौरान किसी प्रकार की असुविधा न हो।
मुख्य सचिव ने यात्रा मार्गों को चारधाम यात्रा शुरू होने से पहले पूरी तरह दुरुस्त करने पर बल दिया और कहा कि हर धाम एवं उसके मार्ग पर मूलभूत सुविधाओं की सुनिश्चित व्यवस्था होनी चाहिए। उन्होंने देहरादून से केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री मार्गों की तैयारियों की समीक्षा संबंधित सचिवों से की और जिलाधिकारियों को निर्देशित किया कि सचिवों के फीडबैक के अनुसार कार्य में सुधार करें।
स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर भी मुख्य सचिव ने सख्त निर्देश दिए। उन्होंने हरिद्वार, ऋषिकेश और विकासनगर में हेल्थ स्क्रीनिंग सेंटर्स की संख्या बढ़ाने के निर्देश दिए ताकि यात्रा की शुरुआत में ही यात्रियों की स्वास्थ्य जांच सुनिश्चित की जा सके। साथ ही केदारनाथ में निर्माणाधीन अस्पताल को यात्रा शुरू होने से पूर्व क्रियाशील करने को भी कहा गया। मल्टी लेवल पार्किंग व्यवस्था को दुरुस्त करने, भोजन, स्वास्थ्य और ट्रैफिक प्रबंधन की ठोस योजनाएं तैयार करने के निर्देश भी दिए गए।
यात्रा मार्गों पर श्रद्धालुओं द्वारा वृक्षारोपण हेतु स्मृति वन विकसित करने की भी योजना पर चर्चा हुई। मुख्य सचिव ने ऐसे स्थानों को चिन्हित कर श्रद्धालुओं को वृक्षारोपण का विकल्प देने की बात कही ताकि वे अपनी यात्रा को स्मृति में संजो सकें। जाम और दुर्घटनाओं की तत्काल जानकारी के लिए डिजिटल डिस्प्ले बोर्ड लगाए जाने और जब तक यह व्यवस्था लागू न हो तब तक बल्क एसएमएस एवं व्हाट्सएप के जरिए जानकारी प्रसारित करने के निर्देश दिए गए।
स्वच्छता पर भी विशेष बल देते हुए मुख्य सचिव ने ‘सुलभ’ संस्था को नियमित सफाई और जल आपूर्ति सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। इसके साथ ही प्रदेशभर में सफाई व्यवस्था को सुदृढ़ करने हेतु उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड एवं वित्त आयोग से फंड्स उपलब्ध कराने की योजना बनाई जा रही है।
सभी प्रकार के सेवा प्रदाताओं—दुकानदारों, घोड़ा-खच्चर संचालकों आदि के RFID टैग अनिवार्य रूप से बनाए जाएंगे। टेंट आदि आवासीय व्यवस्थाओं को सुव्यवस्थित तरीके से लगाने के लिए जिलाधिकारियों को निर्देश दिए गए। यात्रा मार्गों पर संभावित भूस्खलन क्षेत्रों का शीघ्र उपचार एवं दीर्घकालिक समाधान की दिशा में भी काम प्रारंभ करने को कहा गया।
बैठक में सचिव शैलेश बगोली, नितेश कुमार झा, सचिन कुर्वे, डॉ. बीवीआरसी पुरुषोत्तम, डॉ. पंकज कुमार पांडे, डॉ. आर राजेश कुमार, डॉ. नीरज खैरवाल, कमिश्नर गढ़वाल विनय शंकर पांडे, सचिव युगल किशोर पंत, महानिदेशक सूचना बंशीधर तिवारी समेत अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से चारधाम से संबंधित जिलों के जिलाधिकारी भी बैठक में जुड़े।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देशों के तहत पशुपालन विभाग भी यात्रा को सुरक्षित बनाने में जुटा है। विशेषकर यमुनोत्री, केदारनाथ और हेमकुंड साहिब की यात्रा के लिए उपयोग में लाए जाने वाले घोड़ा-खच्चरों की स्वास्थ्य जांच की जा रही है। श्रीनगर स्थित रोग अनुसंधान केंद्र में रोजाना नमूनों की जांच की जा रही है, जहां अब तक 5 हजार से अधिक नमूने आ चुके हैं।
ग्लैंडर्स और इक्वाइन इन्फ्लुएंजा जैसे संक्रमणों को रोकने के लिए पशुपालन विभाग ने बैरियर पॉइंट्स पर नमूने लेना प्रारंभ किया है, जिन्हें श्रीनगर लैब भेजा जा रहा है। आंकड़ों के मुताबिक, हर वर्ष लगभग आठ हजार घोड़े-खच्चर केदारनाथ, तीन हजार यमुनोत्री और एक हजार हेमकुंड साहिब की यात्रा में भाग लेते हैं। संक्रमण से प्रभावित पशु को आइसोलेट और इच्छामृत्यु देना आवश्यक होता है ताकि संक्रमण और पशुओं में न फैले।
इन सब तैयारियों से स्पष्ट है कि उत्तराखंड सरकार इस बार चारधाम यात्रा को सुरक्षित, सुगम और सुव्यवस्थित बनाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रही है।