Sandhya Devi Success Story: संध्या देवी की सफलता की कहानी: आत्मनिर्भरता की मिसाल बनीं हरिद्वार की ग्रामीण महिला

Sandhya Devi Success Story: संध्या देवी की सफलता की कहानी: आत्मनिर्भरता की मिसाल बनीं हरिद्वार की ग्रामीण महिला
हरिद्वार: कभी अपने घर के एक छोटे से कोने में ब्यूटी पार्लर का सीमित कार्य करने वाली संध्या देवी आज आत्मनिर्भरता की एक प्रेरणास्पद मिसाल बन चुकी हैं। हरिद्वार जिले के भगवानपुर विकासखंड स्थित बालेकी युसुफ़पुर गाँव की रहने वाली संध्या देवी ने न सिर्फ आर्थिक कठिनाइयों का साहसपूर्वक सामना किया, बल्कि ग्रामोत्थान (रीप) परियोजना के सहयोग से अपने जीवन को नई दिशा भी दी।
प्रारंभ में संध्या देवी की मासिक आय मात्र 1500 से 2000 रूपये के बीच हुआ करती थी। यह आय उनके परिवार की बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए भी नाकाफी थी। उनके भीतर अपने काम को बढ़ाने की तीव्र इच्छा थी, लेकिन सीमित संसाधनों और आर्थिक मजबूरियों ने उनके सपनों को रोक रखा था।
इसी समय, संध्या देवी को उत्तराखंड ग्राम्य विकास समिति द्वारा संचालित ग्रामोत्थान (रीप) परियोजना की जानकारी मिली। यह योजना राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने, उद्यमशीलता को बढ़ावा देने और स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कार्य कर रही है। मुख्य विकास अधिकारी महोदया के निर्देशन में जनपद के समस्त विकासखंडों में इस परियोजना के अंतर्गत अल्ट्रा पूवर सपोर्ट, फार्म एवं नॉन फार्म एंटरप्राइजेज तथा सीबीओ लेवल एंटरप्राइजेज की स्थापना की जा रही है।
संध्या देवी को ‘नॉन फार्म एंटरप्राइज में एकल गतिविधि’ के रूप में ब्यूटी पार्लर व्यवसाय के लिए 20,000 रूपये की अनुदान सहायता, 30,000 रूपये का बैंक ऋण तथा 50,000 रूपये का स्वयं का योगदान मिलाकर कुल 1,00,000 रूपये की आर्थिक सहायता प्राप्त हुई। इस पूंजी से उन्होंने अपने पार्लर को नया रूप दिया और हेयर स्ट्रेट मशीन, ब्राइडल मेकअप किट और ज्वेलरी किराए पर देने की सेवाएं शुरू कीं।
आज संध्या देवी अपने व्यवसाय को न केवल सफलतापूर्वक चला रही हैं, बल्कि हर माह 7000 से 9000 रूपये की नियमित बचत भी कर रही हैं। उनके पास अब स्थायी पार्लर, आधुनिक उपकरण और बढ़ती ग्राहक संख्या है। उनके आत्मविश्वास और व्यवसायिक दृष्टिकोण ने उन्हें गाँव की अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा बना दिया है।
ग्रामोत्थान (रीप) परियोजना के माध्यम से संध्या देवी की यह सफलता यह प्रमाणित करती है कि ग्रामीण महिलाओं को यदि सही मार्गदर्शन, वित्तीय सहायता और प्रशिक्षण उपलब्ध हो, तो वे भी उद्यमिता के क्षेत्र में अग्रणी बन सकती हैं। संध्या की यह यात्रा सिर्फ एक व्यक्तिगत सफलता नहीं, बल्कि ग्रामीण विकास की दिशा में एक सशक्त कदम है।