Uttarakhand: आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर उत्तराखंड में राज्य स्तरीय संवाद और सम्मान समारोह का आयोजन

Uttarakhand: आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर उत्तराखंड में राज्य स्तरीय संवाद और सम्मान समारोह का आयोजन
उत्तराखंड सरकार आगामी 25 जून को आपातकाल लागू किए जाने की 50वीं वर्षगांठ के अवसर पर मुख्यमंत्री आवास में एक भव्य राज्य स्तरीय संवाद कार्यक्रम आयोजित करने जा रही है। इस ऐतिहासिक अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी उन लोकतंत्र सेनानियों को सम्मानित करेंगे, जिन्हें 1975 से 1977 के आपातकाल के दौरान मीसा (Maintenance of Internal Security Act) और डीआईआर (Defence of India Rules) जैसे कड़े कानूनों के अंतर्गत जेलों में बंद किया गया था। इसके अतिरिक्त उन लोकतंत्र सेनानियों की दिवंगत आत्माओं को भी श्रद्धांजलि अर्पित की जाएगी, जिनके जीवनसाथी आज भी जीवित हैं। मुख्यमंत्री द्वारा उनके पतियों या पत्नियों को विशेष रूप से आमंत्रित कर ससम्मान सम्मानित किया जाएगा।
कार्यक्रम के दौरान आपातकाल के उस भयावह दौर के अनुभवों को साझा करने के लिए एक संवाद सत्र भी रखा गया है, जहां लोकतंत्र सेनानी और आमंत्रित अतिथि उस समय की घटनाओं, यातनाओं और संघर्षों की दास्तान साझा करेंगे। यह कार्यक्रम केवल एक सरकारी आयोजन न होकर, लोकतंत्र के मूल्य और अभिव्यक्ति की आज़ादी की याद दिलाने वाला महत्वपूर्ण प्रयास भी होगा।
मुख्य समारोह के अतिरिक्त राज्य के सभी जिलों में भी आम जन की भागीदारी के साथ विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। जिलाधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में जनसहभागिता के साथ रचनात्मक कार्यक्रमों की रूपरेखा बनाएं। इसके अलावा, पूरे राज्य में 50 प्रमुख स्थलों पर आपातकाल की घटनाओं, उसके प्रभाव और लोकतंत्र पर पड़े उसके खतरे को प्रदर्शित करने वाली विशेष प्रदर्शनी भी लगाई जाएगी, जिससे युवा पीढ़ी इतिहास की इन घटनाओं से परिचित हो सके।
भारत सरकार के निर्देशानुसार आयोजित इस कार्यक्रम की तैयारी के लिए गृह विभाग की अपर सचिव श्रीमती निवेदिता कुकरेती की अध्यक्षता में एक बैठक का आयोजन किया गया, जिसमें विभिन्न विभागों एवं जिलाधिकारियों को आयोजन से संबंधित जिम्मेदारियां सौंपी गईं। बैठक में यह भी तय किया गया कि मुख्यमंत्री आवास में आयोजित मुख्य कार्यक्रम में लोकतंत्र सेनानियों को उनके जिलों से ही व्यक्तिगत रूप से आमंत्रण भेजा जाएगा, ताकि वे पूरे सम्मान के साथ कार्यक्रम में भाग ले सकें।
उत्तराखंड सरकार का यह प्रयास न केवल लोकतंत्र की रक्षा के लिए संघर्षरत रहे वीरों को सम्मान देने की दिशा में एक प्रेरणादायक कदम है, बल्कि यह नई पीढ़ी को भी यह संदेश देगा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और लोकतंत्र की रक्षा कोई साधारण बात नहीं है, इसके पीछे अनेक लोगों का संघर्ष और बलिदान छिपा है।