Teelu Rauteli Award: पौड़ी गढ़वाल की रोशमा देवी को तीलू रौतेली पुरस्कार, आत्मनिर्भरता की मिसाल बनीं ग्रामीण महिला

Teelu Rauteli Award: पौड़ी गढ़वाल की रोशमा देवी को तीलू रौतेली पुरस्कार, आत्मनिर्भरता की मिसाल बनीं ग्रामीण महिला
पौड़ी गढ़वाल के डुंगरी गांव की रहने वाली रोशमा देवी को उनकी उत्कृष्ट कृषि और पशुपालन कार्यों के लिए प्रतिष्ठित तीलू रौतेली पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। रोशमा देवी ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने और महिला आत्मनिर्भरता का मार्ग प्रशस्त करने में अहम भूमिका निभाई है। वह डेयरी व्यवसाय के साथ-साथ मशरूम उत्पादन, सब्ज़ी खेती और अनाज उत्पादन के क्षेत्र में भी लगातार प्रगति कर रही हैं।
एक साधारण कृषक परिवार में जन्मी रोशमा देवी ने अपने जीवन में कई कठिनाइयों का सामना किया, लेकिन कभी हार नहीं मानी। 12 दिसंबर 1991 को ग्राम गमड़ु (गगनपुर), ब्लॉक खिर्सू में जन्मी रोशमा देवी ने विवाह के बाद खेती और पशुपालन को ही अपने जीवन का आधार बनाया। आज वह न केवल आत्मनिर्भर हैं बल्कि अपने क्षेत्र की अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा का प्रतीक बन चुकी हैं।
रोशमा देवी प्रतिदिन 30 से 35 लीटर दूध बेचती हैं और इसके साथ ही पनीर और शुद्ध देसी घी बनाकर भी अच्छा मुनाफा कमाती हैं। उन्होंने डेयरी उत्पादन को व्यावसायिक रूप दिया है, जिससे उनके परिवार की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हुई है। इसके अतिरिक्त, उन्होंने मशरूम उत्पादन में भी कदम बढ़ाया है और स्थानीय बाजार में जैविक उत्पादों की मांग को बढ़ावा दिया है।
सब्ज़ी उत्पादन के क्षेत्र में वे आलू, प्याज, मटर, बीन्स, शिमला मिर्च, पत्तागोभी, फूलगोभी, लौकी, कद्दू, टमाटर, तोरी और भिंडी जैसी फसलों की खेती करती हैं। इस वर्ष उन्होंने 8 क्विंटल आलू का जैविक उत्पादन किया और 40 रूपये प्रति किलो की दर से बेचकर लगभग 20,000 रूपये का शुद्ध लाभ अर्जित किया।
रोशमा देवी पहाड़ी खेती की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए गहत, भट्ट, मडुआ, और झंगोरा जैसे अनाजों का उत्पादन कर रही हैं। इसके अलावा उन्होंने दलहन उत्पादन में मसूर, सोयाबीन और तूर दाल की खेती कर उत्कृष्ट परिणाम प्राप्त किए। मसूर की फसल से उन्हें 180 से 200 रूपये प्रति किलो का मूल्य मिला। तिलहन उत्पादन में उन्होंने लगभग 2 क्विंटल सरसों का उत्पादन किया, जिससे घरेलू उपयोग के साथ-साथ व्यावसायिक लाभ भी अर्जित किया।
उनकी मेहनत और लगन से यह सिद्ध हो गया है कि पर्वतीय क्षेत्रों में भी सीमित संसाधनों के बावजूद आत्मनिर्भरता हासिल की जा सकती है। रोशमा देवी ने न केवल अपने परिवार की आर्थिक स्थिति में सुधार किया बल्कि ग्रामीण महिलाओं को भी रोजगार और सशक्तिकरण की राह दिखाई। उनका कार्य क्षेत्र की अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गया है और उनका यह सम्मान पूरे उत्तराखण्ड के लिए गर्व का विषय है।