Uttarakhand: पिरान कलियर की गंगनहर: आस्था के नाम पर जानलेवा लापरवाही

Uttarakhand: पिरान कलियर की गंगनहर: आस्था के नाम पर जानलेवा लापरवाही
पिरान कलियर, उत्तराखंड का प्रसिद्ध सूफी तीर्थ, हर साल लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। यहाँ की गंगनहर में स्नान करना आस्था का अहम हिस्सा माना जाता है, लेकिन यही आस्था कभी-कभी जानलेवा साबित होती है। हर साल डूबने की घटनाएँ होती हैं, फिर भी न प्रशासन सक्रिय दिखता है, न ही दरगाह प्रबंधन ने कोई ठोस सुरक्षा व्यवस्था की है।
खतरनाक स्थिति, जिम्मेदार कौन?
हाल की घटनाओं ने एक बार फिर साबित किया कि गंगनहर में स्नान करना कितना जोखिम भरा है। न तो वहाँ लाइफ गार्ड्स हैं, न चेतावनी बोर्ड, न गोताखोरों की व्यवस्था, और न ही कोई निगरानी तंत्र। यह लापरवाही सिर्फ़ प्रशासनिक विफलता नहीं, बल्कि मानवीय जीवन के प्रति संवेदनहीनता है।
क्यों नहीं सुधरती स्थिति?
प्रशासनिक उदासीनता: जिला प्रशासन की भूमिका सिर्फ़ कागजी कार्रवाई तक सीमित है। भीड़ प्रबंधन, जल सुरक्षा और आपातकालीन सेवाओं का पूरी तरह अभाव है।
दरगाह प्रबंधन की जवाबदेही: लाखों श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना दरगाह प्रशासन की भी जिम्मेदारी है, लेकिन उनकी ओर से कोई पहल नहीं दिखती।
जागरूकता की कमी: श्रद्धालुओं को पानी की गहराई और तेज बहाव के बारे में जानकारी नहीं दी जाती, जिससे दुर्घटनाएँ बढ़ती हैं।
क्या हो सकते हैं समाधान?
सुरक्षित स्नान क्षेत्र चिह्नित करना: नहर के कुछ हिस्सों को स्नान के लिए सुरक्षित घोषित किया जाए, जबकि खतरनाक जगहों पर प्रतिबंध लगे।
लाइफ गार्ड्स और गोताखोर तैनात करना: 24×7 बचाव दल की व्यवस्था होनी चाहिए।
चेतावनी बोर्ड और सीसीटीवी निगरानी: पानी की गहराई और खतरों के बारे में स्पष्ट जानकारी दी जाए।
सख्त नियम और जवाबदेही: हर दुर्घटना की जाँच हो और लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए।
निष्कर्ष: आस्था और सुरक्षा साथ-साथ चलें
धार्मिक स्थलों पर आस्था का सम्मान तभी सार्थक है जब जीवन की सुरक्षा सुनिश्चित हो। पिरान कलियर में हर साल होने वाली मौतें प्रशासनिक लापरवाही की कहानी कहती हैं। अब समय आ गया है कि जिला प्रशासन, दरगाह प्रबंधन और स्थानीय समुदाय मिलकर ठोस कदम उठाएँ, वरना यह पवित्र स्थल शोक स्थल बनता रहेगा।