Mushroom Farming Success: मशरूम की खेती से बदली महिलाओं की तक़दीर, कहलगांव की 80 महिलाएं बन रहीं आत्मनिर्भरता की मिसाल

Mushroom Farming Success: मशरूम की खेती से बदली महिलाओं की तक़दीर, कहलगांव की 80 महिलाएं बन रहीं आत्मनिर्भरता की मिसाल
भागलपुर, बिहार: इंसान अगर कुछ करने की ठान ले, तो हालात चाहे जैसे भी हों, रास्ते बन ही जाते हैं। कुछ ऐसी ही प्रेरणादायक कहानी है बिहार के भागलपुर जिले के कहलगांव की महिलाओं की, जिन्होंने आर्थिक तंगी के बीच आत्मनिर्भर बनने की ठानी और अब मशरूम की खेती के ज़रिए अपने जीवन को एक नई दिशा दे रही हैं। आत्मा योजना की मदद से गठित महिला स्वयं सहायता समूह ने न सिर्फ अपनी जीविका चलाई, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में महिला सशक्तिकरण की एक मजबूत मिसाल भी पेश की है।
कलगीगंज की प्रिया देवी ने ‘वसुंधरा खाद्य सुरक्षा समूह’ बनाकर मशरूम उत्पादन की शुरुआत की और आज वे न केवल खुद को आर्थिक रूप से सक्षम बना चुकी हैं, बल्कि गांव की दर्जनों महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बना रही हैं। उन्होंने बताया कि साल 2020 में गांव में किसान चौपाल के आयोजन में आत्मा योजना के बारे में जानकारी मिली थी। इसके बाद आत्मा, भागलपुर की सहायता से उन्हें राजेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय, पूसा, समस्तीपुर में पांच दिवसीय मशरूम उत्पादन का प्रशिक्षण मिला।
प्रशिक्षण के बाद प्रिया ने सात बैग में ऑयस्टर और बटन मशरूम की खेती शुरू की, जो अब बढ़कर 500 ऑयस्टर मशरूम बैग तक पहुंच चुकी है। वे अब साल भर मिल्की, ऑयस्टर और बटन मशरूम का उत्पादन करती हैं, जिससे रोजाना 500 से 1000 रुपये की आमदनी घर बैठे हो रही है।
प्रिया देवी ने बताया कि समूह गठन के बाद आत्मा, भागलपुर द्वारा उनके समूह में किसान पाठशाला चलाई गई, जिसमें बटन मशरूम के कंपोस्ट बनाने और बैगिंग की विस्तृत जानकारी दी गई। आत्मा के सहायक तकनीकी प्रबंधक प्रीतम कुमार राय की प्रेरणा और मार्गदर्शन ने महिलाओं को मशरूम उत्पादन में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया।
आज उनके समूह से जुड़ी 25 महिलाओं सहित कुल 80 महिलाएं मशरूम की खेती कर रही हैं। इस व्यवसाय से जुड़ने के बाद ये महिलाएं आर्थिक रूप से सक्षम हो चुकी हैं और आत्मनिर्भर जीवन की ओर बढ़ रही हैं। रामपुर पंचायत में महिलाओं ने मिल्की मशरूम के 50 बैग लगाए हैं, और निकट भविष्य में 500 और बैग लगाने की योजना बनाई गई है।
कहलगांव की महिलाओं द्वारा उत्पादित मशरूम की बाजार में भारी मांग है। यहां का ताज़ा मशरूम ₹250 से ₹300 प्रति किलो बिकता है, जबकि सुखा हुआ मशरूम ₹1000 से ₹1400 प्रति किलो तक के दाम पर बिक रहा है। मशरूम खेती की सबसे बड़ी खासियत है इसकी कम लागत और अधिक लाभ, जिस कारण ग्रामीण महिलाएं तेजी से इस ओर आकर्षित हो रही हैं। महिलाएं न केवल कच्चा मशरूम बेच रही हैं, बल्कि सुखाकर भी इसका विपणन कर रही हैं, जिससे उन्हें अतिरिक्त लाभ मिल रहा है।