Monika Devi Success Story: “छोटे सपनों से बड़े मुकाम तक की यात्रा” – मोनिका देवी ने बदली अपनी दुनिया

Monika Devi Success Story: “छोटे सपनों से बड़े मुकाम तक की यात्रा” – मोनिका देवी ने बदली अपनी दुनिया
हरिद्वार जिले के ग्रामीण क्षेत्र की एक साधारण महिला ने अपनी मेहनत, इच्छाशक्ति और सरकारी सहयोग से असाधारण सफलता की मिसाल पेश की है। ग्राम सरठेडी शाहजहाँपुर, विकासखंड भगवानपुर की रहने वाली मोनिका देवी ने न सिर्फ अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ किया, बल्कि गांव की अन्य महिलाओं के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बन गई हैं। यह कहानी है छोटे सपनों से शुरू होकर आत्मनिर्भरता के बड़े मुकाम तक पहुंचने की।
मुख्य विकास अधिकारी हरिद्वार, श्रीमती आकांक्षा कोण्डे के नेतृत्व में जिले में ग्रामोत्थान (रीप) परियोजना के तहत अल्ट्रा पूवर सपोर्ट, फॉर्म व नॉन फॉर्म एंटरप्राइजेज तथा सामुदायिक आधारित संगठनों (CBO) को सशक्त बनाने का काम किया जा रहा है। इसी परियोजना के तहत मोनिका देवी को अपने उद्यम को नया आकार देने का अवसर प्राप्त हुआ।
मोनिका देवी और उनके पति पहले एक सीमित संसाधनों वाली छोटी सी मोबाइल रिपेयरिंग की दुकान चलाते थे। आय बहुत सीमित थी, जिससे परिवार का गुज़ारा मुश्किल से हो पाता था। लेकिन मोनिका देवी ने हार नहीं मानी। दुर्गा स्वयं सहायता समूह और मंगलमय सीएलएफ की सक्रिय सदस्य होने के नाते वह लगातार ग्राम स्तरीय बैठकों में भाग लेती रहीं। यहीं से उनकी किस्मत ने करवट ली।
ग्रामोत्थान परियोजना की टीम ने जब उनकी दुकान का दौरा किया, तो मोनिका की लगन और सामर्थ्य को देखते हुए उन्हें व्यक्तिगत उद्यम प्रोत्साहन योजना की जानकारी दी गई। मोनिका ने आगे बढ़कर 1,00,000 रुपये की लागत का प्रस्ताव प्रस्तुत किया। इसमें से 70,000 रुपये उन्होंने स्वयं का योगदान किया और 30,000 रुपये का अनुदान ग्रामोत्थान परियोजना से प्राप्त किया।
अब उनकी दुकान ग्राम रोहल्की में एक स्थायी मोबाइल रिपेयरिंग शॉप के रूप में स्थापित हो चुकी है। यह दुकान आज मोनिका और उनके पति के लिए स्थायी रोजगार का स्रोत बन चुकी है। वर्तमान में उनकी मासिक आय 7,000 से 10,000 रुपये के बीच पहुंच गई है, जो पहले की तुलना में कहीं अधिक है। इस आय से न केवल परिवार की मूलभूत आवश्यकताएं पूरी हो रही हैं, बल्कि उनके बच्चों को अब बेहतर शिक्षा भी मिल रही है।
मोनिका देवी ने इस उपलब्धि के लिए ग्रामोत्थान परियोजना और जिला प्रशासन हरिद्वार का हृदय से आभार व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि अगर उन्हें यह समर्थन न मिला होता, तो शायद वह आज भी सीमित संसाधनों में संघर्ष कर रही होतीं।