• June 25, 2025

Mamta Success Story: ममता की मिठास भरी सफलता: सीमित साधनों से आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ती एक महिला उद्यमी की प्रेरक कहानी

 Mamta Success Story: ममता की मिठास भरी सफलता: सीमित साधनों से आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ती एक महिला उद्यमी की प्रेरक कहानी
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Mamta Success Story: ममता की मिठास भरी सफलता: सीमित साधनों से आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ती एक महिला उद्यमी की प्रेरक कहानी

हरिद्वार, जून 2025 — मुख्य विकास अधिकारी हरिद्वार श्रीमती आकांक्षा कोण्डे के मार्गदर्शन में चल रही ग्रामोत्थान (रीप) परियोजना ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने की दिशा में प्रभावशाली परिणाम दे रही है। इस योजना के तहत भगवानपुर विकासखंड के तेज्जुपुर गांव की ममता ने खुद को एक सफल महिला उद्यमी के रूप में स्थापित किया है और अपने आत्मनिर्भर बनने के सपने को साकार किया है।

ममता, जो पहले गणपति स्वयं सहायता समूह की सदस्य के रूप में चाय, समोसे और मिठाई बेचने का छोटा सा काम करती थीं, अपनी मेहनत और लगन से अब “काका मिष्ठान एवं चाट भंडार” की मालिक बन चुकी हैं। पहले जहां उनकी मासिक आय 6,000–7,000 रुपये तक सीमित थी, वहीं अब वह 15,000–20,000 रुपये तक की शुद्ध मासिक बचत कर रही हैं।

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उनके व्यवसाय में सबसे बड़ी बाधा मिठाइयों का जल्दी खराब होना था, जिससे बिक्री सीमित रह जाती थी। लेकिन ग्रामोत्थान (रीप) परियोजना के तहत वित्तीय वर्ष 2024–25 में उन्हें 75,000 रुपये की आर्थिक सहायता, 1,50,000 रुपये का बैंक ऋण और 75,000 रुपये का स्वयं का योगदान मिलाकर कुल 3,00,000 रुपये की लागत से उन्होंने अपनी दुकान का विस्तार किया। इस आर्थिक सहयोग ने ममता के जीवन को एक नया मोड़ दे दिया।

ममता का यह उद्यम न सिर्फ उनके लिए आमदनी का जरिया बना, बल्कि उन्होंने गांव की अन्य महिलाओं के लिए भी रोज़गार और प्रेरणा का रास्ता खोला है। उनका समूह विश्वास ग्राम संगठन और उज्ज्वलमय बहुउद्देशीय स्वायत्त सहकारिता से जुड़ा हुआ है, जिससे उन्हें व्यापारिक सलाह, विपणन और प्रबंधन का भी मार्गदर्शन मिला।

“अगर संकल्प हो, तो सीमित साधनों से भी सफलता की मिठास पाई जा सकती है,” यह कहावत ममता ने अपने जीवन से सच साबित कर दिखाई। उनकी यह उपलब्धि न केवल रीप परियोजना की सफलता का उदाहरण है, बल्कि यह हरिद्वार सहित पूरे उत्तराखंड के ग्रामीण अंचलों में महिलाओं के उद्यमशीलता विकास का एक जीवंत उदाहरण बन चुकी है।

ममता की कहानी यह संदेश देती है कि यदि अवसर और मार्गदर्शन मिले, तो ग्रामीण महिलाएं भी सफलता की नई इबारत लिख सकती हैं।

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