• July 31, 2025

Mahi Dairy Haridwar: हरिद्वार में ग्रामीण आत्मनिर्भरता की मिसाल बनीं माही समूह की महिलाएं, मुख्य विकास अधिकारी ने किया डेयरी और मिल्क बार का निरीक्षण

 Mahi Dairy Haridwar: हरिद्वार में ग्रामीण आत्मनिर्भरता की मिसाल बनीं माही समूह की महिलाएं, मुख्य विकास अधिकारी ने किया डेयरी और मिल्क बार का निरीक्षण
Sharing Is Caring:

Mahi Dairy Haridwar: हरिद्वार में ग्रामीण आत्मनिर्भरता की मिसाल बनीं माही समूह की महिलाएं, मुख्य विकास अधिकारी ने किया डेयरी और मिल्क बार का निरीक्षण

हरिद्वार, ग्रामीण महिलाओं के सामूहिक प्रयास और आत्मनिर्भरता की दिशा में उठाए गए एक उल्लेखनीय कदम के तहत, मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) हरिद्वार श्रीमती आकांक्षा कोंडे ने आज विकासखंड नारसन के अंतर्गत आने वाले सिकंदरपुर मवाल गांव स्थित “माही स्वयं सहायता समूह” द्वारा संचालित डेयरी इकाई और ‘माही मिल्क बार’ का भौतिक निरीक्षण किया। यह पहल उत्तराखण्ड ग्राम्य विकास समिति की “ग्रामोत्थान (रीप)” परियोजना के सहयोग से श्री राधे कृष्णा सीएलएफ के अंतर्गत सीबीओ स्तर के उद्यमों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से शुरू की गई है।

इस दौरे के दौरान सीडीओ आकांक्षा कोंडे ने समूह की महिलाओं से संवाद करते हुए उनके अनुभव, चुनौतियों और उपलब्धियों को जाना। महिलाओं ने बताया कि कुछ वर्षों पहले तक वे बहुत ही सीमित संसाधनों के साथ छोटे स्तर पर दुग्ध उत्पादन करती थीं और आर्थिक रूप से पूरी तरह निर्भर थीं। उनकी आय इतनी कम थी कि अपने बच्चों की शिक्षा, पोषण और स्वास्थ्य जैसी बुनियादी जरूरतों को पूरा करना भी मुश्किल हो जाता था।

ग्रामोत्थान परियोजना के माध्यम से समूह को वर्ष 2023-24 में वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई गई। श्री राधे कृष्णा सीएलएफ की मदद से इंडियन ओवरसीज बैंक से तीन लाख रुपये का ऋण दिलाया गया, वहीं एक लाख रुपये का अंशदान समूह ने स्वयं किया और छह लाख रुपये की सहायता ग्रामोत्थान परियोजना से प्राप्त हुई। इस आर्थिक सहायता से न केवल उनके व्यवसाय को कार्यशील पूंजी मिली, बल्कि ढांचागत विकास भी संभव हुआ।

आज ‘माही स्वयं सहायता समूह’ प्रतिदिन लगभग 450 लीटर दूध का उत्पादन कर रहा है, जिसमें से 350 लीटर दूध आंचल डेयरी और अन्य पांच स्थानीय डेयरियों — रुड़की, मंगलौर और मोहम्मदपुर में सप्लाई किया जा रहा है। साथ ही मंगलौर में ‘माही मिल्क बार’ के नाम से एक खुद का आउटलेट भी सफलतापूर्वक संचालित हो रहा है। यहां से दही, लस्सी, पनीर, मावा, मक्खन जैसे उत्पादों का निर्माण और विक्रय किया जाता है। अकेले इस आउटलेट से प्रतिदिन पांच हजार से सात हजार रुपये की आय हो रही है।

समूह की आय का विश्लेषण करें तो वे दूध को पचास रुपये प्रति लीटर की दर से खरीदते हैं, जिससे उनकी प्रतिदिन लागत बाईस हजार पांच सौ रुपये होती है। यह दूध पचपन रुपये प्रति लीटर की दर से बेचा जाता है, जिससे चौबीस हजार सात सौ पचास रुपये की दैनिक आमदनी होती है। इस प्रकार प्रतिदिन दो हजार दो सौ पचास रुपये का सकल लाभ अर्जित होता है, जो महीने में सड़सठ हजार पांच सौ रुपये होता है। इसके बाद मासिक खर्च — परिवहन सात हजार पांच सौ रुपये, लेबर दस हजार रुपये और बिजली एक हजार रुपये — को घटाकर शुद्ध लाभ उनचास हजार रुपये प्रतिमाह हो रहा है।

इस आय से समूह की महिलाएं अब अपने परिवारों की बुनियादी ज़रूरतें पूरी कर रही हैं, बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल रही है और पोषण की स्थिति में भी सुधार आया है। “माही स्वयं सहायता समूह” की यह आर्थिक आत्मनिर्भरता और सफलता ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं के नेतृत्व में सामाजिक परिवर्तन का प्रमाण बनकर उभरी है।

सीडीओ आकांक्षा कोंडे ने समूह की महिलाओं के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि यह मॉडल उत्तराखण्ड के अन्य गांवों के लिए एक प्रेरणा है। उन्होंने आश्वस्त किया कि जिला प्रशासन इस तरह की पहल को हर स्तर पर सहयोग और प्रोत्साहन देता रहेगा। उन्होंने समूह के उत्पादों की गुणवत्ता, विपणन रणनीति और ग्राहक संतुष्टि के पहलुओं पर भी चर्चा की और सुझाव दिए कि भविष्य में वे ब्रांडिंग, पैकेजिंग और डिजिटल मार्केटिंग के ज़रिए अपने उत्पादों को और बेहतर बाज़ार दे सकते हैं।

निरीक्षण के दौरान जिला परियोजना प्रबंधक श्री संजय सक्सेना, ग्रामोत्थान परियोजना के आईटी विशेषज्ञ अमित सिंह, खंड विकास अधिकारी सुभाष सैनी, बीएमएम प्रशांत, एमएंडई अधिकारी राशिद, एलसी हीना, कृषि विशेषज्ञ ललित सहित श्री राधे कृष्णा सीएलएफ की बीओडी और स्टाफ के सभी सदस्य उपस्थित रहे।

“माही स्वयं सहायता समूह” की यह यात्रा यह सिद्ध करती है कि जब महिलाओं को संगठित होकर सशक्त किया जाए और उन्हें उचित वित्तीय व तकनीकी सहायता मिले, तो वे न केवल आर्थिक रूप से स्वतंत्र हो सकती हैं, बल्कि पूरे समाज को प्रेरित कर सकती हैं।

Sharing Is Caring:

Admin

https://nirmanshalatimes.com/

A short bio about the author can be here....

Related post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *