Sucess Story: मध्यप्रदेश के किसान गोविंद पटेल का जैविक बागीचा बना देशभर के किसानों के लिए प्रेरणा का स्रोत

Sucess Story: मध्यप्रदेश के किसान गोविंद पटेल का जैविक बागीचा बना देशभर के किसानों के लिए प्रेरणा का स्रोत
भारत में बागवानी क्रांति ने किसानों के जीवन को नई दिशा दी है, और इसी क्रांति को साकार कर रहे हैं नरसिंहपुर जिले के प्रगतिशील किसान गोविंद पटेल, जिन्होंने अपने दो एकड़ खेत को एक फलते-फूलते जैविक बगीचे में बदल दिया है। यह बगीचा न केवल विविध प्रकार के देसी-विदेशी फलों से सजा है, बल्कि पारंपरिक कृषि से हटकर आधुनिक, टिकाऊ और लाभकारी खेती का जीवंत उदाहरण भी है।
गोविंद पटेल का यह बगीचा बागवानी की नई परिभाषा बन चुका है, जिसमें 200 से अधिक फलों के पौधे मौजूद हैं। इन पौधों में 150 वैरायटी विदेशी हैं और 40 वैरायटी केवल आम की हैं। जापान से आयातित ‘मायर’ प्रजाति का आम, जिसकी कीमत 2 लाख 70 हजार रुपये प्रति किलो तक जाती है, इस बगीचे का विशेष आकर्षण है। इसके अलावा, यहां एक से पांच किलो तक के आम की किस्में उगाई जा रही हैं, जिनके नाम भी आम लोगों ने शायद ही सुने होंगे।
लेकिन यह केवल आमों तक सीमित नहीं है। गोविंद के इस अनूठे बगीचे में अंगूर, अमरूद, ड्रैगन फ्रूट, स्ट्रॉबेरी, चीकू, सेब, लीची, अफगानिस्तान की हींग और चीन का ‘चिली मैंगो’ जैसे अनेक फल और मसाले उगाए जा रहे हैं। इस पूरी बागवानी में सबसे खास बात यह है कि गोविंद पटेल पूरी तरह जैविक खेती करते हैं—बिना किसी रासायनिक खाद और कीटनाशकों के।
जल संरक्षण और सिंचाई के लिए उन्होंने ड्रिप इरिगेशन सिस्टम अपनाया है, जिससे पौधों को आवश्यकतानुसार पानी मिलता है और बर्बादी नहीं होती। साथ ही, उन्होंने खेत में एक तालाब भी बनाया है, जिसमें वर्षा जल को संरक्षित किया जाता है। यह एक सतत और पर्यावरण-सम्मत कृषि मॉडल है, जो आने वाले समय में अन्य किसानों के लिए भी अनुकरणीय बन सकता है।
गोविंद पटेल का कहना है कि उन्हें स्कूल के समय से ही पौधे लगाने का शौक था। उसी जुनून को उन्होंने आज अपनी पहचान और मिशन बना लिया है। उनका यह बगीचा अब केवल उत्पादन केंद्र नहीं, बल्कि एक ‘ओपन फार्म’ बन चुका है, जहां कोई भी आकर फल खा सकता है, देख सकता है और सीख सकता है कि परिश्रम, नवाचार और समर्पण से कैसे जमीन को सोना बनाया जा सकता है।
उनकी योजना है कि इस बगीचे को और भी बड़ा किया जाए ताकि यह जगह एक शैक्षणिक और प्रेरणादायी केंद्र के रूप में विकसित हो सके। उन्होंने यह साबित कर दिया है कि सही सोच और मेहनत से बागवानी न केवल लाभदायक हो सकती है, बल्कि यह किसानों की आत्मनिर्भरता और सम्मानजनक जीवन का भी आधार बन सकती है।
गोविंद पटेल की कहानी पूरे देश के किसानों के लिए एक प्रेरणास्रोत है—जो यह दिखाती है कि आधुनिक तकनीक, पारंपरिक ज्ञान और जैविक दृष्टिकोण का संगम भविष्य की खेती का रास्ता है।