Krishi Udyam Mela 2025: चतरा में कृषि नवाचार और आत्मनिर्भरता का महोत्सव बना कृषि उद्यम मेला 2025, किसानों और राष्ट्रीय कंपनियों के बीच हुआ ऐतिहासिक संवाद

Krishi Udyam Mela 2025: चतरा में कृषि नवाचार और आत्मनिर्भरता का महोत्सव बना कृषि उद्यम मेला 2025, किसानों और राष्ट्रीय कंपनियों के बीच हुआ ऐतिहासिक संवाद
चतरा के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में आयोजित दो दिवसीय कृषि उद्यम मेला – 2025 ने झारखंड के कृषि परिदृश्य में एक नई शुरुआत दर्ज की। यह मेला सिर्फ एक प्रदर्शनी नहीं, बल्कि किसानों को आत्मनिर्भर बनाने, राष्ट्रीय बाजारों से जोड़ने और बिचौलियों की भूमिका समाप्त करने की दिशा में एक ठोस और क्रांतिकारी प्रयास रहा। कार्यक्रम का उद्घाटन दीप प्रज्वलन के साथ भव्य रूप से किया गया और इसे जिले के कृषि इतिहास की एक ऐतिहासिक पहल के रूप में सराहा गया।
मेले में कृषि, मत्स्य, गव्य, उद्यान, भूमि संरक्षण और ग्रामीण विकास विभागों सहित 40 से अधिक स्टॉल लगाए गए, जिनमें SHG और FPO समूहों ने भी अपनी योजनाओं और उत्पादों को प्रस्तुत किया। 10 से अधिक कृषि विशेषज्ञों और 30 से अधिक राष्ट्रीय कंपनियों जैसे अमूल, रिलायंस, टोकरी फ्रेश, सुविधा मार्ट आदि ने इसमें भाग लिया। इस मेले ने किसानों और कंपनियों को सीधा संवाद और संभावित व्यापारिक साझेदारी का मंच प्रदान किया।
जन समाधान पोर्टल और लोक सेतु पोर्टल जैसे डिजिटल नवाचारों की शुरुआत से आम नागरिकों के लिए योजनाओं तक पहुंच और शिकायत समाधान अब और भी आसान हो गया है। ये पोर्टल अब किसानों के लिए योजनाओं की जानकारी, आवेदन और निगरानी का एकीकृत डिजिटल प्लेटफॉर्म बनेंगे।
उद्घाटन सत्र में उपायुक्त श्रीमती कीर्तिश्री जी ने कहा कि यह मेला किसानों की मेहनत, नवाचार और संभावनाओं को एक मंच देने की पहल है। उन्होंने बताया कि चतरा जिले में 88,700 हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि है, और जिले की प्रमुख फसलें – धान, गेहूं, मक्का, सब्जियां, तिलहन एवं दलहन – अब राष्ट्रीय ब्रांड्स तक पहुंच बना रही हैं। सिमरिया, गिद्धौर, ईटखोरी, हंटरगंज, प्रतापपुर जैसे प्रखंड सब्जी उत्पादन के हब बन चुके हैं।
उपायुक्त ने कहा कि कृषि, डेयरी, पशुपालन, मत्स्य, भूमि संरक्षण और महिला सशक्तिकरण से जुड़े प्रयासों को एकीकृत कर ‘वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट’ तथा ‘वोकल फॉर लोकल’ जैसी पहलों को धरातल पर उतारा जा रहा है। JSLPS के Palash ब्रांड के अंतर्गत महिला समूहों द्वारा अचार, हल्दी, तेल, मुर्गी पालन, बांस उत्पाद जैसे कई लोकल ब्रांड विकसित किए जा रहे हैं।
मेला उन किसानों के लिए भी प्रेरणा बना जो वैकल्पिक खेती की ओर बढ़ना चाहते हैं। जिला परिषद उपाध्यक्ष बृज किशोर तिवारी ने युवाओं से अपील की कि वे अफीम जैसी अवैध खेती से दूर रहें और फूल, फल, सब्जी, डेयरी जैसे वैकल्पिक क्षेत्रों में आय के नए अवसर खोजें। यह आयोजन मादक पदार्थों के खिलाफ जन-जागरूकता फैलाने का भी सशक्त मंच बना।
मेले का एक मुख्य आकर्षण रहा प्रगतिशील किसानों और राष्ट्रीय क्रेता कंपनियों के बीच सीधा संवाद सत्र, जिसमें किसानों ने अपनी खेती प्रणाली, उत्पादों, बाजार की अपेक्षाओं और समस्याओं को साझा किया। इससे बिचौलियों की भूमिका कम करने और स्थायी व्यापारिक समझौतों की दिशा में ठोस पहल हुई।
कार्यक्रम में श्री जिशान कमर, निदेशक (गव्य विकास), उप विकास आयुक्त अमरेंद्र कुमार सिन्हा, अनुमंडल पदाधिकारी जहूर आलम, सन्नी राज, अरविंद कुमार सहित अनेक विभागीय अधिकारी मौजूद रहे। श्री कमर ने चतरा की टमाटर उत्पादन क्षमता की सराहना की और कहा कि सरकार किसानों को तकनीक, प्रशिक्षण और बाजार से जोड़ने की दिशा में गंभीर प्रयास कर रही है।
गव्य विकास योजना के तहत 216 किसानों को दुधारू पशु, बोरिंग, मिल्किंग मशीन, वर्मी कम्पोस्ट और पनीर निर्माण यूनिट जैसे संसाधन उपलब्ध कराए गए हैं। भूमि संरक्षण की दिशा में 125 डीप बोरिंग, 124 परकोलेशन टैंक और 250 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई सुनिश्चित की गई है। 1,000 से अधिक किसानों को मिनी ट्रैक्टर और कृषि यंत्र वितरित किए गए हैं।
Soil Health Card के माध्यम से 2,000 से अधिक मिट्टी परीक्षण पूरे किए गए हैं और आत्मा योजना के अंतर्गत किसानों को बिहार, उड़ीसा और छत्तीसगढ़ के अनुसंधान संस्थानों में प्रशिक्षण के अवसर दिए जा रहे हैं।
मेले के दूसरे दिन यानी 2 अगस्त को संवाद सत्रों, सम्मान समारोह और पुरस्कार वितरण जैसी गतिविधियां आयोजित होंगी। यह आयोजन अब केवल एक वार्षिक मेला नहीं, बल्कि चतरा की समृद्ध कृषि परंपरा को समकालीन बाजार और तकनीक से जोड़ने वाली ऐतिहासिक पहल बन चुका है।