Jharkhand: झारखंड की मुख्यमंत्री पशुधन योजना से खुले स्वरोजगार के नए द्वार, महिलाओं और विशेष वर्गों को मिल रहा बड़ा लाभ

Jharkhand: झारखंड की मुख्यमंत्री पशुधन योजना से खुले स्वरोजगार के नए द्वार, महिलाओं और विशेष वर्गों को मिल रहा बड़ा लाभ
झारखंड सरकार की महत्वाकांक्षी मुख्यमंत्री पशुधन योजना ग्रामीण क्षेत्रों में स्वरोजगार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से शुरू की गई एक महत्वपूर्ण पहल है। इस योजना के तहत पशुपालन के माध्यम से लोगों की आमदनी बढ़ाने का अवसर मिल रहा है। खास बात यह है कि इस योजना में महिलाओं, अनुसूचित जाति-जनजाति (एससी/एसटी) वर्ग, दिव्यांग और विधवा महिलाओं को प्राथमिकता दी जा रही है। सरकार का मकसद है कि ग्रामीण क्षेत्र के लोग आत्मनिर्भर बनें और कृषि के साथ-साथ पशुधन को आय का मुख्य स्रोत बना सकें।
इस योजना के तहत महिला और पुरुष दोनों आवेदन कर सकते हैं, लेकिन उनके लिए नियम और अनुदान की दरें अलग-अलग तय की गई हैं। महिलाएं दो दुधारू गायों के लिए आवेदन कर सकती हैं, जिसमें उन्हें 75 प्रतिशत तक का अनुदान दिया जाएगा। अगर कोई महिला दिव्यांग या विधवा है, तो उसे 90 प्रतिशत तक का अनुदान मिलेगा। इस तरह की सहायता महिलाओं को न केवल आर्थिक रूप से सशक्त बनाती है, बल्कि उन्हें अपनी पहचान भी बनाने का अवसर देती है।
पुरुष लाभुकों के लिए 5 और 10 दुधारू गायों तक की सुविधा उपलब्ध है। यदि आवेदक अनुसूचित जाति या जनजाति वर्ग से है, तो उसे 75 प्रतिशत तक का अनुदान मिलेगा। वहीं, अन्य सामान्य वर्ग के पुरुषों को 50 प्रतिशत तक की सब्सिडी दी जाएगी। यह सब्सिडी सीधी उनके बैंक खातों में ट्रांसफर की जाती है, जिससे प्रक्रिया में पारदर्शिता बनी रहती है।
गोड्डा जिले के जिला गव्य विकास पदाधिकारी अरविंद कुमार ने बताया कि इस योजना में आवेदन करने के लिए अब लाभुकों को जिला कार्यालय तक जाने की आवश्यकता नहीं है। वे सीधे अपने प्रखंड कृषि पशुपालन पदाधिकारी के पास जाकर आवेदन कर सकते हैं। इसके बाद लाभुक का नाम ग्राम सभा में प्रस्तुत किया जाएगा, जहां उसकी पात्रता की पुष्टि की जाएगी। यदि ग्राम सभा द्वारा उनका नाम स्वीकृत कर दिया जाता है, तो मात्र 20 से 30 दिनों के भीतर उन्हें योजना का लाभ मिल सकता है।
योजना में पशु अनुदान को चरणों में दिया जाता है ताकि लाभुक पर अचानक भारी आर्थिक बोझ न पड़े और पशुपालन की प्रक्रिया व्यवस्थित रूप से आगे बढ़े। पहले चरण में:
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अगर किसी ने 10 गायों के लिए आवेदन किया है, तो पहले 5 गायों के लिए अनुदान दिया जाएगा।
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5 गायों के आवेदन पर पहले चरण में 2 गायों की सहायता दी जाएगी।
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2 गायों के आवेदन पर किसी भी वर्ग को पहले चरण में 1 गाय की अनुदान राशि मिलेगी।
बाकी गायों के लिए अनुदान 6 महीने बाद, दूसरे चरण में दिया जाएगा, जिससे लाभुक को पशुओं के रखरखाव और व्यवस्था में भी संतुलन बनाने का मौका मिलता है।
यह योजना खासकर उन लोगों के लिए बेहद उपयोगी है जो पारंपरिक खेती के साथ-साथ अतिरिक्त आय के साधन की तलाश कर रहे हैं। पशुपालन के जरिए न केवल दूध उत्पादन होता है, बल्कि गोबर से जैविक खाद, गोमूत्र से कीटनाशक और कृषि के कई सहयोगी उत्पाद भी तैयार किए जा सकते हैं। साथ ही, यह ग्रामीण महिलाओं को अपने घर की चारदीवारी से बाहर निकलकर एक नया आयाम देने में भी सहायक है।
मुख्यमंत्री पशुधन योजना झारखंड सरकार की एक दूरदर्शी पहल है जो आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। अगर आप भी इस योजना का लाभ उठाना चाहते हैं, तो जल्द ही अपने प्रखंड कृषि पशुपालन पदाधिकारी से संपर्क करें, आवश्यक दस्तावेजों के साथ आवेदन करें और ग्राम सभा में नाम स्वीकृत करवा कर सरकार की इस अनूठी योजना से लाभान्वित हों।